
दुनिया कोरोना वायरस से त्रस्त हो चुकी है। दिसंबर 2019 में आया ये वायरस आज 8 महीने गुजर जाने के बाद भी न तो कंट्रोल किया जा सका है और न ही इसकी वैक्सीन बनाई जा सकी है। ये वायरस अब तक 8 लाख 46 हजार से ज्यादा लोगों की जान ले चुका है। लेकिन इस वायरस ने इंसानी स्वास्थ्य और सेहत से जुड़े कई राज भी खोले हैं। दुनियाभर में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा संख्या पुरुषों की है। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी हाली में ही ये खुलासा किया कि देश में कोरोना वायरस से मरने वाले 69% लोग पुरुष हैं, जबकि सिर्फ 31% महिलाएं हैं। ऐसे में एक सवाल यह जरूर उठता है कि क्या महिलाओं की इम्यूनिटी पुरुषों से ज्यादा मजबूत होती है? विज्ञान के पास इस सवाल का जवाब है। आइए आपको बताते हैं कि महिलाओं की इम्यूनिटी पुरुषों से क्यों अलग है।
दुनियाभर में मेडिकल रिसर्च के लिए प्रसिद्ध जर्नल 'Nature' में छपे एक अध्ययन के अनुसार महिलाओं की इम्यूनिटी ज्यादा मजबूत होती है। स्टडी में बताया गया है, "इंफेक्शन होने पर महिला मरीजों में T सेल एक्टिवेशन पुरुषों से ज्यादा होता है इसलिए उनकी इम्यूनिटी पुरुषों से ज्यादा होती है।
इस कारण से होती है महिलाओं की इम्यूनिटी ज्यादा
आपको बता दें कि T-सेल्स हमारे शरीर में इम्यून सिस्मट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, जो बाहरी वायरस को पहचानकर इसे नष्ट करने का काम करते हैं। यही सेल्स वायरस को पहचानने का काम भी करती हैं, ताकि अगर वायरस दोबारा अटैक करे, तो उससे लड़ सकें। उम्र जैसे-जैसे बूढ़ी होती जाती है, व्यक्ति का इम्यून सिस्टम उतना ज्यादा कमजोर होता जाता है। लेकिन वैज्ञानिकों ने पाया कि बुढ़ापे में भी महिलाओं की इम्यूनिटी पुरुषों के मुकाबले ज्यादा अच्छी होती है।
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पुरुषों की गलत लाइफस्टाइल भी है कमजोर इम्यूनिटी का कारण
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन के प्रेसिडेंट के. श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं कि व्यवहारिक चीजें भी इस मामले में काफी मायने रखती हैं जैसे- पुरुषों में तंबाकू, शराब, अनहेल्दी डाइट और शारीरिक रूप से कम एक्टिव रहने की आदत महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा पाई जाती है। इसके कारण उनमें कार्डियोवस्कुलर बीमारियां, डायबिटीज, श्वसन संबंधी बीमारियां, कैंसर और मोटापा आदि का भी महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा रहता है।
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पुरुषों में ACE-2 रिसेप्टर ज्यादा होते हैं
कोरोना वायरस, जिसे वैज्ञानिक SARS-CoC-2 शरीर के अंदर जाकर ACE-2 रिसेप्टर का इस्तेमाल करते हुए, इंफेक्शन फैलाते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार पुरुषों में ACE-2 रिसेप्टर्स की संख्या महिलाओं से ज्यादा होती है और ये रिसेप्टर्स सबसे ज्यादा फेफड़ों, हृदय और आंतों में पाए जाते हैं।
हार्मोन्स भी निभाते हैं बड़ी भूमिका
पुरुषों और महिलाओं की इम्यूनिटी में हार्मोन्स भी बड़ी भूमिका निभाते हैं। महिलाओं में मुख्य हार्मोन ओएस्ट्रोजेन होता है, जबकि पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन होता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि महिलाओं का ओएस्ट्रोजेन हार्मोन इम्यून सिस्टम को तुरंत प्रतिक्रिया करने के लिए उत्तेजित करता है, जबकि पुरुषों का हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन शरीर के इम्यून सिस्टम को थोड़ा स्लो करता है। इसलिए भी पुरुष कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद ज्यादा जल्दी इसके शिकार हो रहे हैं।
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जीन्स भी हैं एक बड़ा कारण
महिलाओं में X क्रोमोसोम की संख्या 2 होती है, जबकि पुरुषों में सिर्फ एक X क्रोमोसोम होता है। X क्रोमोसोम्स भी इम्यून सिस्टम की त्वरित प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसलिए महिलाओं का शरीर बाहरी वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ ज्यादा बेहतर तरीके से रिस्पॉन्स करता है, जबकि पुरुषों का शरीर अपेक्षाकृत कम रिस्पॉन्स करता है।
इन्हीं कारणों से महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा इस वायरस की चपेट में आने के बाद भी कम संख्या में बीमार हुई हैं और उनमें रोग की गंभीरता भी पुरुषों की अपेक्षा कम पाई गई है। लेकिन ध्यान रखें कि शरीर में दूसरे बहुत सारे फैक्टर्स ऐसे हैं, जो कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद आपके शरीर में रोग की गंभीरता के खतरे को बढ़ा सकते हैं, इसलिए कोरोना वायरस से सुरक्षित रहने की जरूरत सभी को है, चाहे वो महिला हो या पुरुष।
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