कोरोना वायरस संक्रमण का गंभीर असर महिलाओं से ज्यादा पुरुषों पर क्यों हो रहा है? एक्सपर्ट से जानें इसका जवाब

कोरोना वायरस का शिकार होने के बाद पुरुषों की मौत महिलाओं से ज्यादा हो रही है। एक्सपर्ट से जानें ऐसा क्यों हो रहा है और इससे बचाव का क्या तरीका है।
  • SHARE
  • FOLLOW
कोरोना वायरस संक्रमण का गंभीर असर महिलाओं से ज्यादा पुरुषों पर क्यों हो रहा है? एक्सपर्ट से जानें इसका जवाब

हार्मोन्स हमारे शरीर में मैसेंजर का काम करते हैं। ये एक तरह से केमिकल्स होते हैं, जिन्हें शरीर अपने इस्तेमाल के लिए बनाता है। जब आपके शरीर में हार्मोन्स का असंतुलन होता है, तो कई तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं। हार्मोन्स का असंतुलन खासकर महिलाओं में पीरियड्स और प्रेग्नेंसी के दिनों में पाया जाता है। कोरोना वायरस ने अब तक 177 लाख से ज्यादा लोगों को शिकार बनाया है। मगर वैश्विक आंकड़े बताते हैं इस वायरस की चपेट में महिलाओं से ज्यादा पुरुष आ रहे हैं। जब वैज्ञानिकों ने आगे शोध किया तो पाया कि इसका कारण पुरुषों और महिलाओं में पाए जाने वाले हार्मोन्स हैं। तो क्या पुरुषों का हार्मोन कोरोना वायरस का खतरा बढ़ा रहा है और महिलाओं का हार्मोन कोरोना वायरस से उन्हें बचा रहा है? इस विषय पर जानते हैं एक्सपर्ट की राय।

men coronavirus risk

पुरुषों के इम्यून सिस्टम को कंट्रोल करता है हार्मोन

Bio-Identical Hormone Replacement Therapy की एक्सपर्ट डॉ. रश्मि राय बताती हैं, "दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के कारण मरने वालों के आंकड़ों का जब अध्ययन किया, तो पाया कि महिलाओं की तुलना में पुरुष कोविड-19 का शिकार होने पर ज्यादा गंभीर परिणाम झेल रहे हैं। इसके बाद वैज्ञानिकों ने इस विषय पर आगे अध्ययन किया और पाया कि इसका कारण हार्मोन्स हैं। शुरुआती अध्ययनों के अनुसार, पुरुषों में सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन पाया जाता है, जो उनके शरीर में इम्यून सिस्टम के रिस्पॉन्स को नियंत्रित करता है। चूंकि समय के साथ ये हार्मोन व्यक्ति के शरीर में कम होता जाता है, इसलिए पुरुषों को कोविड-19 का खतरा ज्यादा होता है, खासकर ऐसे पुरुषों को जो एंड्रोपॉज (50 साल से ज्यादा उम्र) की तरफ बढ़ रहे हैं। यही इस बात का भी कारण है कि इस वायरस के कारण पुरुषों की मृत्यु महिलाओं से ज्यादा हुई है।"

इसे भी पढ़ें: कोविड-19 बीमारी से ठीक होने के बाद भी 78% लोगों को हो रही हैं हार्ट से जुड़ी समस्याएं

टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन कम, तो खतरा ज्यादा

डॉ. राय आगे कहती हैं, "कम टेस्टोस्टेरॉन लेवल के कारण पुरुषों को खतरा ज्यादा है। इसलिए अगर पुरुष इस वायरस की चपेट में आते हैं, तो उन्हें एंड्रोजेन्स टेस्ट कराना चाहिए, ताकि उनके शरीर में टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन और डाई हाइड्रोटेस्टोस्टेरॉन की मात्रा का पता लगाया जा सके। अगर इन हार्मोन्स का लेवल कम है, तो उन्हें सप्लीमेंटल थेरेपी दी जाती सकती है, ताकि ऐसे लोगों का इम्यून सिस्टम कोरोना वायरस से मजबूती के साथ लड़ सकने में उनकी मदद कर पाए। इसके अलावा पुरुषों को प्राकृतिक रूप से भी टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।"

कम हार्मोन का मतलब फेफड़ों पर वायरस का गंभीर अटैक

"दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन शरीर में मसल्स (मांसपेशियों) को भी कंट्रोल करता है। हमारे फेफड़े भी मसल्स से बने होते हैं, इसलिए कम टेस्टोस्टेरॉन लेवल आपके फेफड़ों को वायरस द्वारा जल्दी डैमेज करने में भी भूमिका निभा सकता है। यह तो आपको भी पता है कि कोरोना वायरस मुख्य रूप से फेफड़ों पर अटैक करता है। यही कारण है कि पुरुषों का इस वायरस में सर्वाइवल रेट अपेक्षाकृत कम है। इसलिए अगर किसी व्यक्ति में इस हार्मोन की बहुत ज्यादा कमी है, तो वो हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी ले सकता है।"

hormone replacement theory

हार्मोनल असंतुलन से बढ़ता है खतरा

डॉ. रश्मि बताती हैं कि कोरोन वायरस की चपेट में आने के बाद संक्रमण की गंभीरता और खतरे को बढ़ाने वाले कई कारक हैं, जिनमें से एक हार्मोन्स का असंतुलन भी है। लेकिन भारत में ज्यादातर लोग हार्मोन्स को सिर्फ प्रजनन के लिए ही उपयोगी मानते हैं। उन्हें पता ही नहीं होता है कि हार्मोन्स का काम शरीर के बहुत सारे फंक्शन्स को मेनटेन करना है। हार्मोन्स हमारी नींद, मेटाबॉलिज्म, सांस लेने की प्रक्रिया, मूड जैसे ढेर सारे फंक्शन्स को कंट्रोल करते हैं। इसलिए अगर किसी व्यक्ति के शरीर में हार्मोन्स का असंतुलन है, तो ये वायरस गंभीर रूप से बीमार कर सकता है।

इसे भी पढ़ें: लक्षणों के अनुसार 6 तरह के पाए गए हैं कोरोना वायरस, जानें कौन से लक्षण ज्यादा खतरनाक और कौन से हैं कम

क्या होती है हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी?

वैसे तो हार्मोन्स हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से बनाए जाते हैं। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं और पुरुषों दोनों के शरीर में हार्मोन्स की कमी होने लगती है। हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी आमतौर पर महिलाओं को मेनेपॉज के समय और पुरुषों को एंड्रोपॉज के समय दी जाती है। इसमें उन हार्मोन्स को बाहर से शरीर में डाला जाता है, जिन्हें शरीर कम मात्रा में बनाता है या बनाना बंद कर चुका होता है।

Read More Articles on Other Diseases in Hindi

Read Next

एलर्जी और साइनस में अंतर- लंबे समय से सर्दी जुकाम की समस्या सामान्य एलर्जी है या साइनस, जानें यहां

Disclaimer