देश और दुनियाभर में कोरोना का कहर अभी भी जारी है। भारत में कोरोना मरीजों की संख्या अब 1,04,50,284 हो चुकी है। राहत की बात ये है कि दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण की दर अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गई है। यहां पिछले 24 घंटों में 0.51 फीसदी संक्रमण दर रिकॉर्ड की गई है, जो कि अब तक सबसे कम स्तर है। पिछले 24 घंटों में यहां कोरोना वायरस संक्रमण के 399 नए मामले ही सामने आए हैं, जिसके बाद अब कुल मरीजों की संख्या बढ़कर 6,30,200 हो गई है। साथ ही एक और अच्छी खबर ये भी है कि देश में आगामी 16 जनवरी से कोरोना वायरस का टीकाकरण शुरू हो जाएगा। खास बात ये है कि दिल्ली सरकार ने रविवार को अपना वैक्सीनेशन प्लान भी जारी कर दिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने ये जानकारी खुद ही दी कि दिल्ली में 16 जनवरी से 89 साइट्स पर कोरोना का टीके लगाए जाएंगे। जहां, देश और दुनिया कोरोना के वैक्सीनेशन की तैयारियों में जुटी हुई है, वहीं कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर एक चौकाने वाला रिसर्च सामने आया है। 'द लैंसेट' पत्रिका में छपे शोध पत्र के मुताबिक, कोरोना वायरस का असर लोगों के फेफड़ों से ज्यादा उनके मस्तिष्क पर हो रहा है।
मस्तिष्क को ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है कोविड-19 : द लैंसेट
'द लैंसेट' पत्रिका में छपे इस अध्ययन के मुताबिक, कोरोना वायरस (Coronavirus) ने लोगों के श्वसन तंत्र के मुकाबले उनके मस्तिष्कों को ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। इस रिसर्च के दौरान 28 अप्रैल से पहले के कोरोना के 2 हजार से अधिक मरीजों में इसके नुकसानों को देखा गया। चौंकाने वाली बात ये है कि इन सभी कोरोना मरीजों में मतिभ्रम और कोमा में जाने की घटनाएं सामने आई हैं।
दरअसल ये अध्ययन अमेरिका स्थित वांडरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में 14 देशों के 69 आईसीयू के मरीजों पर किया गया था। अध्ययन में बताया गया कि कहा गया है कि मरीजों में इलाज के वक्त सेडेटिव दवाओं (Sedative Drugs) के इस्तेमाल और सोशल आइशोलेशन के कारण उनके मस्तिष्क की कार्यप्रणाली को काफी नुकसान हुआ है। इस दौरान आईसीयू में लंबे समय तक रहने के कारण लोग मतिभ्रम और डिमेंशिया के भी शिकार हुए हैं।
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वीयूएमसी में कार्यरत और इस रिसर्च के लेखक ब्रेंडा पन की मानें, तो कोरोना से पीड़ित मरीजों में दिमाग के ठीक से काम नहीं करने की गंभीर परेशानियां और बीमारियां सामने आई हैं। अध्ययन की मानें, कोरोना के 82 प्रतिशत मरीज 10 दिनों तक लगभग कोमा की स्थिति में रहें , जबकि 55 प्रतिशत में तीन दिन तक मतिभ्रम की स्थिति बनी रही। साथ ही आईसीयू में भर्ती मरीजों के दिमाग काम नहीं करने की स्थिति 12 दिनों तक बनी रही, जो कि काफी डरावना है।
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भोपाल में कोवैक्सीन का ट्रायल में भाग लेने वाली व्यक्ति की मौत
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में वैक्सीन ट्रायल (Corona Vaccine Trial) के बाद एक प्रतिभागी की मौत का मामला सामने आया है। दरअसल, भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में देश में बनी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन का ट्रायल 7 जनवरी को पूरा हुआ और इसके अगले ही दिन इसका डोज लेने वाले एक वॉलंटियर की मौत हो गई। इसका खुलासा 8 जनवरी को उसके बेटे ने किया, लेकिन पोस्टमार्टम की शुरुआती रिपोर्ट में व्यक्ति की मौत का कारण जहर बताया गया है। अब भारत बायोटेक ने (Bharat Biotech Vaccine Trial) वालंटियर की मौत पर सफाई दी है। कंपनी ने अपनी सफाई में कहा कि वालंटियर (Vaccine volunteer) को वैक्सीन ट्रायल की सभी नियम और शर्तों के बारे में सारी जानकारी दी गई है। वैक्सीन देने के अगले 7 दिनों तक उसका हालचाल लिया गया और किसी भी प्रकार के प्रतिकूल लक्षण उसमें नहीं पाए गए थे। साथ ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से भोपाल पुलिस का कहना है कि मौत का संभावित कारण कार्डियॉरेस्पिरेट्री फेलियर है, जो कि जहर के चलते हो सकता है और पुलिस इस मामले में अब भी जांच कर रही है।
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ये तो थे भारत में कोरोना से जुड़े सभी अपडेट्स। बात अगर दुनिया से जुड़े कोरोना के खबरों की करें, तो चीन में कोरोना की एक नई लहर सामने आई है। यहां अचानक से कोरोना मामलों में तेज इजाफा देखने को मिला है। चीन के हेबेई प्रांत में संक्रमण के 380 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिसमें रविवार को 40 नए मामले सामने आए और कुल संक्रमितों की संख्या 223 हो गई है। हालांकि, इनमें 161 लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं हैं और इसी वजह से चीन बिना लक्षण वाले इन कोरोना मरीजों की संख्या को संक्रमितों की गिनती में शामिल नहीं कर रहा।
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