अगर आप रोज-रोज की खटपट झेलते हैं तो न केवल इससे आपकी जिंदगी का शुकून खत्म होता है बल्कि इसके कारण जल्दी मौत होने का खतरा भी रहता है। डेनमार्क के अध्ययनकर्ताओं की मानें तो पार्टनर, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ अक्सर होने वाली बहसों से 25 साल से अधिक उम्र के लोगों में मौत का खतरा अधिक होता है।
एपिडेमोलॉजी और कम्युनिटी हेल्थ की एक पत्रिका में अध्ययनकर्ताओं ने इस बात का जि़क्र किया है कि लगातार होने वाली बहस से पुरुषों और बेरोजगार लोगों को ज्यादा खतरा होता है।
यह शोध यह भी बताता है कि नजदीकी संबंधों में आने वाली परेशानियां और अपेक्षाएं मौत की दर को बढ़ा सकती हैं। इसमें ये भी कहा गया है कि दबाव से निपटने की हर व्यक्ति में अलग-अलग क्षमता होती है, जो आदमी के व्यक्तित्व पर निर्भर करती है।
कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी की शोध टीम का आकलन है कि लगातार बहस और झगड़े से मृत्यु दर में दोगुना या तीन गुना इजाफा हो सकता है। वैसे वे इस बात की पूरी व्याख्या करने में असमर्थ रहे कि ऐसा क्यों होता है।
इससे पहले किए गए शोध में ये बात सामने आई थी कि जो इंसान अपने जीवनसाथी और बच्चों, तथा परिवार के नजदीकी सदस्यों के साथ अक्सर बहस में उलझता है, उसे दिल का दौरा पड़ने और दिल के रोगों की अत्यधिक संभावना होती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि दबाव में जिस तरह की मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया सामने आती है, जैसे कि रक्तचाच और दिल की बीमारियों के खतरे, ये सब बढ़े हुए मृत्यु दर की ओर ही इशारा करते हैं।
इस शोध में 36 से 52 वर्ष के करीब 9,875 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया था। उनसे जानकारियां जुटाते हुए इस बात की संभावनाओं का पता लगाने की कोशिश की गई कि तनावपूर्ण सामाजिक संबंधों और अकाल मृत्यु के बीच क्या संबंध है।
अध्ययन के दौरान पाया गया कि जीवनसाथी और बच्चों की ओर से की जाने वाली लगातार मांगों और हर रोज की कलह से मौत के खतरे में 50 से 100 फीसदी इजाफा हो जाता है।
source-bbc.com
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