क्या साइकिल चलाने से दूर होता है दिल की बीमारियों (हार्ट डिजीज) का खतरा? जानें डॉक्टर से

प्रतिदिन 20 मिनट साइकिल चलाने से स्ट्रोक, हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर आदि का खतरा कम हो जाता है। साइकिल हृदय के लिए लाभदायक है।
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क्या साइकिल चलाने से दूर होता है दिल की बीमारियों (हार्ट डिजीज) का खतरा? जानें डॉक्टर से


हार्ट डिजीज का खतरा एक हेल्दी लाइफस्टाइल से कम किया जा सकता है। साइकलिंग उन्हीं हेल्दी लाइफस्टाइल में से है। कानपुर में हृदय रोग संस्थान में कार्डियोलॉजी के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. अवधेश शर्मा का कहना है कि साइकलिंग एक एरोबिक एक्सरसाइज है। एरोबिक एक्सरसाइज में शरीर की सभी मांसपेशियां काम करती हैं। केवल हार्ट डिजीज ही नहीं बल्कि तनाव भी कम होता है, ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और फेफड़ों को मजबूती मिलती है। तनाव, ब्लड सर्कुलेशन और फेफड़ों में कमजोरी आदि सभी कारण हार्ट डिजीज से जुड़े हुए हैं। लेकिन साइकिल चलाने से इन सभी परेशानियों में फायदा मिलता है। डॉ. अवधेश शर्मा ने साइकिल चलाने से हार्ट डिजीज का खतरा कैसे कम होता है, इसके बारे में विस्तार से बताया है। 

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कितने समय साइकिल चलाना फायदेमंद?

डॉ. अवधेश शर्मा का कहना है कि एक दिन में 20 मिनट साइकिल चलाने से हार्ट डिजीज का खतरा कम होता है।

साइकलिंग से कैसे कम होता है हार्ट डिजीज का खतरा?

डॉ. अवधेश शर्मा ने निम्न कारण बताए हैं जो साइकिल चलाने से हृदय रोगों को कम करते हैं। 

दिल की क्षमता बढ़ाए

डॉ. अवधेश शर्मा का कहना है कि साइकिल चलाने से हार्ट की कैपेसिटी में इंप्रूवमेंट होता है। इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है जिससे हार्ट डिजीज का खतरा कम होता है। 

फेफड़ों को दे मजबूती

एक दिन में 30 मिनट साइकिल चलाने फेफड़ों की कैपेसिटी मजबूत होती है। डॉ. अवधेश शर्मा का कहना है कि साइकिल चलाने से फेफड़ों के सिकुड़ने और फैलने की क्षमता मजबूत होती है। जिससे रक्त का प्रवाह बेहतर होता है और हृदय रोगों की संभावना कम होती है। 

डॉक्टर का कहना है कि जिन पेशेंट्स की हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी होती है, उन्हें भी साइकलिंग की सलाह दी जाती है। इससे फेफड़ों की कैपेसिसटी बढ़ती है जिससे इंप्रूवमेंट होता है। साइकलिंग से ब्लड सर्कुलेसन और हार्ट रेट बेहतर होता है। जिससे हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है। 

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मांसपेशियों को मजबूती

डॉ. अवधेश शर्मा का कहना है कि साइकलिंग एक एरोबिक एक्सरसाइज है, जिसे करने से हार्ट डिजीज का खतरा कम होता है। लेकिन नॉन एरोबिक एक्सरसाइज करने शरीर के किसी एक हिस्से की मांसपेशियां बनती हैं, लेकिन साइकलिंग, वॉकिंग, स्वीमिंग जैसी एरोबिक एक्सरसाइज करने से शरीर की सभी मांसपेशियां काम करती हैं, और वे मजबूत होती हैं। 

साइकलिंग में हाथ से लेकर पैर तक की मूवमेंट होती हैं। डॉ. शर्मा का कहना है कि हृदय रोगों के शुरुआती लक्षण देखें तो उनमें पैरों में क्लोटिंग की समस्या भी सामने आती है, ऐसे में साइकलिंग करने से पैरों की मांसपेशियां लगातार काम करती हैं और स्वस्थ रहती हैं। साथ ही हाथ की मांसपेशियां भी बील्ड होती हैं। 

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वजन नियंत्रण

हार्ट अटैक का एक प्रमुख कारण मोटापा भी है। जिन लोगों में मोटापा ज्यादा होता है उनमें हार्ट अटैक का खतरा सामान्य व्यक्ति के मुकाबले बढ़ जाता है। डॉ. अवधेश शर्मा का कहना है कि मोटा व्यक्ति अगर दिन में 20 मिनट भी साइकिल चला लेता है तो उसका वजन नियंत्रण में रहेगा और उसे हार्ट की बीमारियों का खतरा कम होगा। 

तनाव रहे दूर

साइकिलंग करने से डोपामीन जैसे गुड हार्मोन बनते हैं। जिससे दिमाग में सकारात्मकता आती है जिससे स्ट्रेस लेवल कम होता है और हार्ट डिजीज का खतरा कम होता है। बॉडी का इम्युन सिस्टम मजबूत होता है जिससे हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है। 

प्रतिदिन 20 मिनट साइकिल चलाने से स्ट्रोक, हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर आदि का खतरा कम हो जाता है। साइकिल चलाना एक अच्छी एरोबिक एक्सरसाइज है, पूरी बॉडी के लिए फायदेमंद है। साइकिल चलाने से तनाव दूर रहता है जिससे स्ट्रेस कम होता है और हार्ट की बीमारी का खतरा कम होता है। इसलिए साइकिल को अपनी नियमित क्रिया में शामिल करना चाहिए।  

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