वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने डायबिटीज की आयुर्वेदिक दवा ईजाद की है। यह डायबिटीज को नियंत्रण करने के साथ ही रोगी की इम्यूनिटी बढ़ाने में भी मदद करेगी। शोध पर आधारित आयुर्वेदिक की यह पहली दवा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक भारत में मधुमेह बहुत तेजी से अपने पैर पसार रहा है और एक अनुमान के मुताबिक साल 2030 तक दस करोड़ लोगों के इससे प्रभावित होने की आशंका है। दुनिया में करीब आठ प्रतिशत लोग मधुमेह की चपेट में हैं जबकि भारत में यह आबादी 11 से 13 प्रतिशत के बीच है।
डायबिटीज की दवा बीजीआर-34 तैयार करने के लिए सीएसआईआर के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "सीएसआईआर ने डायबिटीज के मरीजों के लिए पहली आयुर्वेदिक दवा बनाई है। आप सभी इस दवा की क्षमता के बारे में जानते हैं। अब हमारा लक्ष्य लोगों को इस दवा के लाभ के बारे में जागरूक करना होना चाहिए ताकि वे इसका अधिक से अधिक लाभ उठा सकें।"
बीजीआर-34 नामक एंटी-डायबेटिक आयुर्वेदिक को राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) और केन्द्रीय औषधीय और सुगंधित पौधे संस्थान (सीमैप) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि डीपीपी 4 अवरोधकों के मुकाबले बीजीआर-34 की कीमत बेहद कम है। इसकी कीमत पांच रूपये प्रति गोली रखी गयी है। यह आयुर्वेदिक दवा टाइप 2 डायबिटीज रोगियों के लिए बेहद कारगर है।
सीएसआईआर की उपलब्धियों को बेहद अहम बताते हुए उन्होंने कहा, "यह हर हिंदुस्तानी के लिए गर्व की बात है कि सीएसआईआर विकसित भारत के निर्माण में अपने योगदान का 75वां वर्ष मना रहा है।"
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