समय के समय शरीर में कई तरह बदलाव आते हैं, इन बदलावों में हार्मोनल बदलाव को भी शामिल किया जाता है। हार्मोनल बदलाव किसी भी उम्र में हो सकते हैं। यह अन्य समस्याओं के साथ ही मुंहासों की भी एक बड़ी वजह माने जाते हैं। हार्मोनल असंतुलन की वजह से होने वाले मुंहासे सामान्य रूप से युवावस्था, मासिक धर्म, गर्भावस्था, और पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) जैसी स्थितियों के दौरान दिखाई देते हैं। हालांकि, डॉक्टर व्यक्ति के शरीर के हार्मोनल को बैलेंस कर इन मुंहासों को दूर करने का प्रयास करते हैं। लेकिन, इसमें थोड़ा समय लग सकता है। वहीं, आप आयुर्वेदिक तरीके से भी इस तरह के मुंहासों को आसानी से दूर कर सकते हैं। इस लेख में वेव क्योर सेंटर के नैचुरोपैथी विभाग के डॉक्टर एस के पाठक से हार्मोनल एक्ने को दूर करने के तरीके के बारे में (Ayurvedic Treatment For Acne) जानते हैं।
आयुर्वेद में हॉर्मोनल असंतुलन के कारण मुंहासों का कारण - Causes Of Hormonal Acne According To Ayurveda
आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में तीन दोष (वात, पित्त, और कफ) होते हैं। जब इनमें असंतुलन होता है, तो यह शरीर की कार्यप्रणाली को प्रभावित करता है और विभिन्न समस्याओं का कारण बनता है। हॉर्मोनल असंतुलन और मुंहासों का संबंध आमतौर पर पित्त दोष से माना जाता है, जो त्वचा में अधिक गर्मी और तेल उत्पादन को बढ़ावा देता है, जिससे त्वचा में सूजन और मुंहासों होते हैं।
हार्मोनल एक्ने का आयुर्वेदिक उपचार - Ayurvedic Treatment Of Hormonal Acne In Hindi
आयुर्वेद में हॉर्मोनल असंतुलन और उससे जुड़े मुंहासों के इलाज के लिए कई प्राकृतिक और हर्बल उपचार उपलब्ध हैं। ये उपचार शरीर के भीतर से हॉर्मोनल संतुलन को ठीक करने और त्वचा की स्थिति में सुधार करने में मदद करते हैं।
त्रिफला (Triphala)
त्रिफला तीन फलों – हरड़, बहेड़ा, और आंवला का मिश्रण होता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह एक प्राकृतिक रक्तशोधक (Blood Purifier) के रूप में काम करता है और त्वचा को साफ रखने में मदद करता है। त्रिफला सेहत के लिए फायदेमंद होता है, इसको नियमित रूप से लेने से पाचन तंत्र भी स्वस्थ रहता है, जो हॉर्मोनल संतुलन को बनाए रखने में सहायक होता है।
नीम (Neem)
नीम में एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा की सूजन को कम करते हैं और मुंहासों के बैक्टीरिया को मारने में मदद करते हैं। नीम का सेवन और इसका बाहरी उपयोग दोनों ही मुंहासों के इलाज में प्रभावी होते हैं।
एलोवेरा (Aloe Vera)
एलोवेरा एक प्राकृतिक मॉइस्चराइजर और एंटीसेप्टिक है, जो त्वचा की सूजन को शांत करता है और उसे ठंडक प्रदान करता है। यह त्वचा के दाग-धब्बों को भी हल्का करने में मदद करता है और मुंहासों की दोबार होने से रोकता है।
शतावरी (Shatavari)
शतावरी एक प्रमुख आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जो हॉर्मोनल असंतुलन को संतुलित करने में मदद करती है। विशेषकर महिलाओं के लिए, यह मेंट्रुअल साइकिल को नियमित करने और हॉर्मोनल संतुलन बनाए रखने में सहायक है।
मंजिष्ठा (Manjistha)
मंजिष्ठा एक शक्तिशाली रक्तशोधक है, जो त्वचा की गहराई से सफाई करता है और त्वचा में आई सूजन को कम करता है। यह हॉर्मोनल असंतुलन से उत्पन्न मुंहासों को शांत करता है और लिवर को भी डिटॉक्सिफाई करता है।
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इसके अलावा, हार्मोनल एक्ने को दूर करने के लिए आयुर्वेदाचार्य वमन और अंभ्यगम थेरेपी का उपयोग कर सकते हैं। इससे शरीर काे हार्मोनल नियंत्रित होते हैं। आयुर्वेदिक औषधियों और जड़ी बूटियों से पित्त दोष को शांत करना आसान होता है। साथ ही, इसके प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है। लेकिन, मुंहासे होने पर खुद से किसी भी तरह औषधि न लें। ऐसे में आयुर्वेदाचार्य से सलाह लेने के बाद ही आप औषधि या उपाय को अपना सकते हैं।
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