मॉर्डन लाइफस्टाइल की वजह से आजकल हर इंसान बीमारी का शिकार हो रहे हैं। भारत समेत दुनियाभर में डायबिटीज और कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर में कैंसर और डायबिटीज के मामलों में भारत दूसरे स्थान पर है। डायबिटीज के मरीज में कोलन कैंसर का खतरा भी बढ़ रहा है। जामा जर्नल में प्रकाशित हालिया अध्ययन के अनुसार, मधुमेह वाले लोगों में बिना डायबिटीज वालों की तुलना में कोलोरेक्टल (कोलेन) कैंसर होने का जोखिम 47% अधिक हो सकता है। डायबिटीज और कोलन कैंसर के बीच क्या कनेक्शन है इस विषय पर जानकारी के लिए हमने दिल्ली के मेदांता अस्पताल के डॉक्टर दीपक गिल से बातचीत की।
डायबिटीज और कोलन कैंसर के बीच कनेक्शन
शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले कैंसर को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे- मुंह का कैंसर, नाक का कैंसर, गले का कैंसर इत्यादि। इन्हीं कैंसर में से एक है कोलोरेक्टल कैंसर। यह दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला कोलन और दूसरा रेक्टल यानी इस कैंसर की वजह से मरीज के मलाशय और कोलन में कैंसर की कोशिकाएं असीमित रूप से विकसित होने लगती हैं।
डायबिटीज
डायबिटीज में शरीर का ब्लड शुगर संतुलित रूप से नहीं बनता है, जिससे ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। बल्ड में शर्करा के बढ़े हुए स्तर को संतुलित करने के लिए रक्त में इंसुलिन की मात्रा भी बढ़ जाती है। इसे मेडिकल साइंस की भाषा में हाइपरग्लाइसीमिया कहते हैं। हाइपरग्लाइसीमिया कोलोरेक्टल कैंसर होने का कारण होता है। ब्लड में अधिक शुगर होने से शरीर के अनेक हिस्से प्रभावित हो सकते हैं, जिसमें कोलन भी शामिल है।
कोलन कैंसर के लक्षण क्या हैं?
लाल या काला मल आना
पेट फूलना, या पेट में पानी भरना
भूख न लगना
अचानक वजन घटना
कैंसर का जोखिम कैसे कम किया जा सकता है?
नियमित चेकअप और स्क्रीनिंग: डायबिटीज रोगियों को नियमित अंतराल पर कोलन कैंसर स्क्रीनिंग करवानी चाहिए ताकि यदि कोई समस्या हो, तो उसे पहचाना जा सके।
स्वस्थ आहार: उच्च फाइबर वाले आहार का सेवन करें, जैसे कि फल, सब्जियां, और पूरे अनाज
व्यायाम: नियमित रूप से व्यायाम करना और शारीरिक सक्रियता को बढ़ाना कैंसर के खतरे को कम कर सकता है
वजन की निगरानी: वजन की निगरानी रखना और मोटापे से बचना डायबिटीज पेशेंट्स के लिए महत्वपूर्ण है
दवा और इलाज का सही तरीके से पालन करना: डायबिटीज रोगियों को अपने डॉक्टर के सुझाव के अनुसार दवाओं का सही तरीके से पालन करना और नियमित रूप से चेकअप करवाना चाहिए।