दिल की बीमारी आज के समय में स्वास्थ्य विभाग का सबसे संवेदनशील मद्दा बन गया है। यह शरीर का एक ऐसा अंग है जो न सिर्फ पूरी शरीर को चलाता है बल्कि इसके 1 सैकेंड रुकने मात्र से ही पूरे शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है। इतना जरूरी अंग होने के बावजूद लोग इसकी गंभीरता से केयर नहीं करते हैं। हाल ही में आई कई रिसर्च में यह साफ हो गया है कि यह रोग बड़ों से ज्यादा बच्चों और युवाओं को अपना शिकार बना रहा है। इसका कारण खराब खानपान और बिगड़ा हुआ लाइफस्टाइल है। सिर्फ यही नहीं मासूम बच्चे जो 10 साल से कम उम्र के हैं वह भी दिल के रोगों के शिकार हो रहे हैं।
हालांकि घबराने की बात नहीं है, बेहतर लाइफस्टाइल और सही जानकारी से इस बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है। बीमारी हो ही जाए तो भी सही इलाज और देखभाल से जिंदगी अच्छी कट सकती है। डॉक्टर्स कहते हैं कि परिवार में दिल की बीमारी की हिस्ट्री होने से बच्चों में यह रोग होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा सही लाइफ स्टाइल न अपनाने पर भी हृदय रोग या ब्लॉकेज की आशंका बढ़ जाती है। खानपान ठीक न होना, स्मोकिंग करना, एक्सरसाइज न करना, बेहद बिजी और टेंशन में रहना जैसे फैक्टर बीमारी की आशंका को 15 से 20 फीसदी बढ़ा देते हैं। हालांकि वक्त पर ब्लॉकेज का पता लगने और सही इलाज होने से हार्ट अटैक से बचा जा सकता है।
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कैसे पहचानें इस रोग को
दिल को पूरा साफ खून न मिल पाने पर सीने में दर्द की आशंका हो सकती है। यह तकलीफ चलते हुए या काम करते हुए ज्यादा होती है। कभी-कभी छाती से हाथ की ओर भी तकलीफ जा सकती है। कुछ मामलों में सांस फूलना भी एंजाइना का लक्षण हो सकता है। इसके अलावा निम्न भी इसके लक्षण हैं—
- सीने के बाएं हिस्से में हल्का या तेज दर्द महसूस होना, कभी-कभी यह दर्द कंधों, बांहों या जबडे तक भी पहुंच जाता है।
- कई बार अचानक दिल तेजी से धडकने लगता है तो कभी उसकी रफ्तार बहुत कम हो जाती है।
- सीने में जलन और दबाव महसूस होना।
- ब्लॉकेज की वजह से शरीर के सभी हिस्सों तक ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं पहुंच पाता। इसी वजह से सांस लेने में तकलीफ, घुटन, बेचैनी और थकान का अनुभव होता है।
- जी मिचलना एक ऐसा लक्षण है, जिसे अकसर लोग पाचन-तंत्र संबंधी समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं।
- बेवजह कमजोरी महसूस होना, जुबान लडखडाना।
- आंखों के सामने अंधेरा छाना और सामान्य तापमान में भी पसीना आना।
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लक्षण के बाद क्या करें
एंजाइना होने पर डॉक्टरी जांच कराएं। इसके लिए सबसे पहले ईसीजी किया जाता है, पर ईसीजी दिल की सिर्फ उसी वक्त की स्थिति की जानकारी देता है, इसीलिए चलते हुए ईसीजी किया जाता है। जरूरत पड़ने पर ईको काडिर्योग्राम भी किया जाता है, जिसमें दिल के सही साइज, वॉल्व्स की खराबी और दिल की कैपेसिटी आदि के बारे में सही जानकारी मिल जाती है, लेकिन इसमें भी कॉरोनरी ब्लॉकेज के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती। सेहतमंद आदमी के दिल की पावर 60 फीसदी होनी चाहिए लेकिन माइनर हार्ट अटैक के बाद यह पावर 55 फीसदी और मेजर हार्ट अटैक के बाद यह सिर्फ 30 फीसदी रह जाती है।
बच्चों में होने वाली दिल की मुख्य बीमारियां
- जन्मजात दिल की बीमारी
- एथेरोस्क्लेरोसी
- अरिद्मिया
- कावासाकी रोग
- हार्ट मरमर्स
- रूमैटिक दिल की बीमारी
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