भारत में बढ़ती आबादी के साथ-साथ इसकी वजह से लोगों की परेशानियां भी बढ़ रही हैं। बढ़ती आबादी के खतरे को देखते हुए दुनियाभर में जनसंख्या नियंत्रण के तमाम प्रयास अपनाए जा रहे हैं। जनसंख्या बढ़ने के साथ ही लोगों में जन्म के समय से ही होने वाली समस्याएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। कुछ समय पहले प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 के शुरुआत में पूरी दुनिया में लगभग 400,000 बच्चों का जन्म हुआ जिनमें से भारत में जन्में 67,385 बच्चों में जन्म के समय से ही अंधेपन (Childhood Blindness) की समस्या थी। ये आंकड़े अपने आप में चौंकाने वाले हैं। रिसर्चगेट पर भारत में तेजी से बढ़ रहे बच्चों में अंधेपन की समस्या को लेकर प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में जन्म के समय से ही बच्चों में अंधेपन और नजर से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं और इसके पीछे खानपान और पोषण जैसे कारक भी जिम्मेदार हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत में ब्लाइंड बच्चों की संख्या लगभग 2 मिलियन के आसपास है। ज्यादातर बच्चों में यह समस्या पोषण की कमी और सामान्य स्वास्थ्य कारणों की वजह से हो रही है। आइये विस्तार से जानते हैं भारत में बच्चों में बढ़ रही अंधेपन की समस्या के प्रमुख कारण और इससे बचाव के उपाय के बारे में।
बच्चों में जन्म से अंधेपन की समस्या के कारण (Childhood Blindness Causes In Children)
(image source - freepik.com)
चाइल्डहुड ब्लाइंडनेस या बच्चों में जन्म के समय से अंधेपन की समस्या के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। भारत में जन्म के समय से ही बच्चों में अंधेपन की समस्या होने की सबसे प्रमुख वजह गर्भवती मां का पोषण और उसकी जीवनशैली की भी माना जाता है। इसके अलावा कॉर्नियल क्लाउडिंग, स्कारिंग या डैमेज भी बच्चों को जन्म से ही अंधा बनाने के प्रमुख कारण हैं। कुछ समय पहले भारत के बच्चों में जन्म के समय से ही अंधेपन की समस्या को लेकर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक जन्म के समय से बच्चों में आंखों से जुड़ी समस्या या अंधेपन का एक प्रमुख कारण रिफ्रैक्टिव एरर्स की समस्या भी होती है। बच्चों में जन्म के समय से ही अंधेपन की समस्या के प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं।
इसे भी पढ़ें : बच्चों या बड़ों में आंखों के टेढ़ेपन (भैंगेपन) के क्या कारण हो सकते हैं? आई स्पेशलिस्ट से जानें जरूरी बातें
टॉप स्टोरीज़
- कॉर्नियल क्लाउडिंग, स्कारिंग या डैमेज
- रेटिनल ओपेसिटी, कॉर्नियल ओपेसिटी या आंखों से जुड़ी गंभीर समस्या
- आनुवांशिक बीमारियों की वजह से अंधेपन की समस्या
- शरीर में विटामिन ए की कमी
- विटामिन डी की कमी
- गर्भ में भ्रूण का सही से विकास न होने की वजह से
- बच्चों में डायबिटीज की समस्या के कारण
- कॉन्जेनिटल ग्लूकोमा

ऊपर बताई गयी स्थितियां बच्चों की आंख को कब प्रभावित करती हैं?
जन्म के समय से ही बच्चों में अंधेपन की समस्या के कारण ऊपर बताये गए हैं ये कारण बच्चों के गर्भ में रहने से लेकर पैदा होने के बाद तक प्रभावित कर सकते हैं। बच्चों के जन्म के बाद भी इन वजहों बच्चों में आंख से जुड़ी गंभीर समस्या या अंधापन हो सकता है। बच्चों में आंख की समस्या या अंधापन इन स्थितियों में शुरू हो सकता है।
- गर्भधारण करते समय आनुवांशिक कारणों की वजह से
- गर्भावस्था के दौरान आंख के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली स्थितियों के कारण
- जन्म के समय पर उत्पन्न स्थितियों की वजह से
- बच्चों के जन्म के बाद कुछ स्वास्थ्य कारणों से
बच्चों में अंधेपन की समस्या का इलाज और बचाव के टिप्स (Childhood Blindness Treatment And Prevention Tips)
बच्चों में जन्म के समय से ही अंधेपन की समस्या या आंख से जुड़ी गंभीर समस्या का पता उनके जन्म के बाद लगता है। इसके लिए आपको सबसे पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। ऐसे वक्त में माता-पिता को अन्धविश्वास में पड़ने या घबराने के बजाय समय रहते एक्सपर्ट चिकित्सक की देखरेख में इलाज शुरू करना चाहिए। बच्चों में जन्म के समय से अंधेपन की समस्या के लिए कई तरह की इलाज प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। डॉक्टर बच्चे की स्थिति के हिसाब से जांच के बाद इलाज की शुरुआत कर सकते हैं। बच्चों में जन्म से ही अंधेपन की समस्या से बचाव के लिए मां को गर्भावस्था के दौरान खानपान, पोषण और लाइफस्टाइल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बच्चों को गर्भ में मां के शरीर से ही उचित पोषण मिलता है और इसलिए हर मां को अपने शरीर में विटामिन ए, विटामिन डी जैसे आंखों के लिए जरूरी पोषक तत्वों का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा आनुवांशिक कारणों से अंधेपन के खतरे को कम करने के लिए आप जेनेटिक टेस्टिंग का सहारा ले सकते हैं।
भारत में जन्म के समय से ही बच्चों में अंधेपन की समस्या पर प्रकाशित रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं।
https://www.researchgate.net/publication/338702681_Prevalence_and_causes_of_childhood_blindness_in_India_A_systematic_review
https://journals.lww.com/ijo/fulltext/2021/06000/a_population_based_study_on_the_prevalence_and.7.aspx
(main image source - ET)