आजकल के बिगड़ने लाइफस्टाइल के चलते दंपतियों का माता-पिता बनने का सुख अधूरा ही रह जा रहा है। जिसके चलते बच्चे को गोद लेने का चलन जोरों पर है। चाहे गोद लिया हुआ बच्चा हो या अपना खुद का जन्म दिया हुआ, उनके मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। अध्ययनों से पता चला है कि गोद लिये गए बच्चों में सामाजिक, बौद्धिक, या भावनात्मक समस्याओं का विकसित होने की संभावना अधिक होती है। आज हम आपको गोद लिए बच्चे की केयर करने के तरीके बता रहे हैं।
माता-पिता के लिए स्पेशल टिप्स
हांलाकि गोल लिये बच्चे के माता-पिता का उस बच्चे को गोद लेने से पहले उसके साथ हुए जोखिमों पर कोई नियंत्रम नहीं होता है, वे बच्चे को गोद लेने के बाद ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि घर पर आने पर उसे स्थिर और मानसिक रूप से स्वस्थ वातावरण मिले। टोरंटो में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए हिंक्स-डेलारेस्ट सेंटर में शोध निदेशक नैन्सी कोहेन ज़ोर देती हैं कि, "गोद लेने में सबसे मजबूत सुरक्षात्मक कारकों में से एक है सकारात्मक परिवार वाला वातावरण देना और बच्चे को एक सुरक्षित लगाव वाला रिश्ता बनाने का मौका देना।'' परिवार का महौल सकारात्मक रखने से न सिर्फ गोद लिये बच्चों के लिये अच्छा होता है, बल्कि अपने खुद के बच्चों के मानसिक विकास व मानसिक सुरक्षा के लिये भी ये बेहद जरूरी होता है।
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छोटी छोटी चीजों का रखें ख्याल
माता-पिता को इस बात के लिये भी सचेत रहना चाहिये कि गोद लिये जाने के बाद बच्चे की परिस्थितियों में कई बदलाव आए हैं, और उसी तरह से प्रतिक्रिया देनी चाहिये। विश्वस्तर पर उदाहरण के लिये, उत्तरी अमेरिका के माता-पिता शायद ही कभी अपने बच्चों के साथ सोते हैं। लेकिन चाइना में बच्चे अक्सर समूहों सोते हैं, वे नर्सरी में या उनके पालक परिवारों के साथ ही सोते हैं। तो बच्चे के साथ हुए इस तरह के बदलावों को माता-पिता को जरूर ध्यान में रखते हुए काम करना चाहिये। लेकिन उसे जरूरत से ज्यादा सुविधाएं भी न दें, उसे खुद के बच्चे की तरह ही रखें और सभी जरूरत की चीज़ें दें।
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