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बात-बात पर गुस्सा और असहमति दिखाता है बच्चा तो हो सकता है ODD Disorder का शिकार, जानें इसके बारे में

कुछ बच्चे अपने दोस्तों, माता पिता और शिक्षकों का कहना बिल्कुल भी नहीं मानते हैं। साथ ही, बच्चे का स्वभाव लगातार गुस्सैल हो रहा है तो यह ओडीडी डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है।
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बात-बात पर गुस्सा और असहमति दिखाता है बच्चा तो हो सकता है ODD Disorder का शिकार, जानें इसके बारे में

आपने अक्सर इस बात को नोटिस किया होगा कि बच्चे माता-पिता या अन्य बच्चों के साथ चिल्ला कर या गुस्सा करके बात करते हैं। साथ ही, ऐसे बच्चे अक्सर किसी न किसी बात पर लोगों से लड़ते झगड़ते रहते हैं। बचपन का हर चरण न केवल शारीरिक और मानसिक विकास का हिस्सा होता है, बल्कि यह बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, कई बार बच्चों में सामान्य व्यवहार से अलग कुछ ऐसी समस्याएं देखने को मिलती हैं, जो उनकी ग्रोथ और पारिवारिक माहौल को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसी ही एक समस्या है ओपोजिशनल डिफायंट डिसऑर्डर (Oppositional Defiant Disorder - ODD)। ODD एक प्रकार का मानसिक विकार है, जिसमें बच्चा गुस्सैल, झगड़ालू और अधिकारों का विरोध करने वाला व्यवहार प्रदर्शित करता है। यह विकार यदि समय पर पहचाना न जाए, तो यह बच्चे के सामाजिक, शैक्षणिक और पारिवारिक जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इस लेख में यशोदा अस्पताल की पीडियाट्रिक्स सीनियर कंसल्टेंट डॉ दीपिका रुस्तगी बच्चों में ODD के कारणों के बारे में जानते हैं।

ओपोजिशनल डिफायंट डिसऑर्डर (ODD) क्या है? - What is ODD In Children In Hindi 

ODD बच्चों में होने वाला एक मानसिक और व्यवहारिक विकार है, जिसमें बच्चा नियमित रूप से गुस्सा करता है, बड़ों की बातों का विरोध करता है, और अपने आसपास के लोगों के प्रति नकारात्मक रवैया अपनाता है। यह विकार सामान्य बच्चों के गुस्से और जिद से अलग होता है, क्योंकि इसमें यह व्यवहार बार-बार और लंबे समय तक बना रहता है।

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बच्चों में ODD के लक्षण - Symptoms Of Oppositional Defiant Disorder in Hindi

ODD के लक्षण बच्चों के व्यवहार में स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। इसमें तीन मुख्य प्रकार के लक्षण होते हैं। 

  • हर छोटी बात पर गुस्सा करना।
  • दूसरों से आसानी से चिढ़ जाना।
  • हर समय नाराज रहना।
  • झगड़ालू और प्रतिरोधक व्यवहार
  • जानबूझकर बड़ों की बातों का विरोध करना।
  • हर काम में बहस करना।
  • दूसरों को परेशान करने के लिए जानबूझकर गलत काम करना।
  • नकारात्मक और प्रतिशोधी रवैया
  • छोटी-छोटी बातों का बदला लेने की कोशिश करना।
  • अपने गलत व्यवहार के लिए दूसरों को दोष देना।

यदि यह व्यवहार कम से कम 6 महीने तक नियमित रूप से बना रहे और बच्चे के जीवन के विभिन्न पहलुओं (जैसे स्कूल, घर, और दोस्तों के साथ) को प्रभावित करे, तो यह ODD का संकेत हो सकता है।

ODD के कारण - Causes Of ODD in Hindi

ODD के कारण कई प्रकार के हो सकते हैं। यह समस्या किसी एक कारक से नहीं, बल्कि जैविक, मनोवैज्ञानिक, और सामाजिक कारणों के संयोजन से उत्पन्न हो सकती है।

जैविक कारण (Biological Causes)

ODD से पीड़ित बच्चों के मस्तिष्क के उन हिस्सों में असामान्यता देखी गई है, जो सोचने, निर्णय लेने और भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसमें बच्चो को मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर (जैसे डोपामाइन) का असंतुलन बच्चों के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा यदि परिवार में किसी सदस्य को मानसिक विकार (जैसे अवसाद, चिंता, या एडीएचडी) हो, तो बच्चे में ODD होने की संभावना बढ़ जाती है।

मनोवैज्ञानिक कारण (Psychological Causes)

जिन बच्चों का आत्मविश्वास कम होता है, वे अक्सर नकारात्मक व्यवहार दिखाते हैं। इसके अलावा, भावनाओं को ठीक से न समझने या व्यक्त करने की समस्या ODD का कारण बन सकती है। यदि बच्चे को सही और गलत के बीच का अंतर सिखाने में असफलता होती है, तो वह अपने व्यवहार को नियंत्रित नहीं कर पाता।

सामाजिक और पारिवारिक कारण (Social and Family Causes)

जो बच्चे परिवार में कलह, माता-पिता के झगड़े, या तलाक जैसी परिस्थितियां देखते हैं,  वह मानसिक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।  इसके अलावा, बच्चों के साथ अधिक सख्त अनुशासन या बच्चे की हर बात को नजरअंदाज करना, दोनों ही ODD का कारण बन सकते हैं। वहीं, यदि बच्चे के आसपास के लोग (जैसे माता-पिता या भाई-बहन) झगड़ालू और गुस्सैल हैं, तो बच्चा भी वही व्यवहार सीख सकता है।

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ओपोजिशनल डिफायंट डिसऑर्डर एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है, लेकिन इसे सही समय पर पहचाना और उचित उपचार किया जाए तो इसका प्रबंधन संभव है। माता-पिता और परिवार का सहयोग बच्चे के सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्यार, समझदारी, और सही मार्गदर्शन से बच्चे को इस विकार से बाहर निकाला जा सकता है। यदि आपका बच्चा ODD से पीड़ित है, तो धैर्य रखें और विशेषज्ञ की मदद लें। बच्चे की मानसिक और भावनात्मक भलाई सुनिश्चित करने के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण कदम है।

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