अब चिकनगुनिया से मिलेगी तुरंत निजात, आईआईटी के छात्रों ने बनाई दवा

भारतीय प्राद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रूड़की के शोधकर्ताओं ने वायरस-रोधी अणु का पता लगाया है जिसका उपयोग कर बनाई जाने वाली दवा से चिकुनगुनिया के प्रकोप से निजात मिल सकती है।
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अब चिकनगुनिया से मिलेगी तुरंत निजात, आईआईटी के छात्रों ने बनाई दवा

भारतीय प्राद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रूड़की के शोधकर्ताओं ने वायरस-रोधी अणु का पता लगाया है जिसका उपयोग कर बनाई जाने वाली दवा से चिकुनगुनिया के प्रकोप से निजात मिल सकती है। मच्छर जनित इस रोग से पीड़ित मरीजों में तेज बुखार और जोड़ों के दर्द की शिकायत रहती है। अब तक इस रोग की रोकथाम व उपचार के लिए न तो कोई कारगर दवा बाजार में उपलब्ध है और न ही कोई टीका।


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रूड़की के शोधकर्ताओं ने पेप-1 और पेप-2 नामक दो अणुओं की खोज की है जो वायरस रोधी हैं। इनकी खोज के लिए शोधकर्ताओं ने चिकनगुनिया वायरस विशिष्ट एनएस-पी2 प्रोटीज के संरचनागत अध्ययन का उपयोग किया। आईआईटी रूड़की के बायोटेक्नोलोजी विभाग की प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता शैली तोमर ने कहा, एनएस-पी2 प्रोटीज एक सख्त वायरल एंजाइम है जो मानव में मौजूद नहीं होता है और यह चिकनगुनिया वायरस के लिए बेहतर एंटीवायरल ड्रग हो सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक जिन अणुओं यानी सूक्ष्मकणों में एनएस-पी2 प्रोटीज रहता है उनका उपयोग एंटीवायरल के रूप में किया जा सकता है।

कहां से आया चिकनगुनिया

  • भारत में 1824 में बुखार की महामारी, व्यग्रता और गठिया को चिकनगुनिया बुखार के बुनयादी लक्षणों के रूप में दर्ज कर लिया गया था। इसके वायरस को सबसे पहले तंजानिया में 1952-1953 में पाया गया था। तत्पश्चात 1960 से 1982 तक अफ्रीका और एशिया से चिकनगुनिया बुखार के कई प्रकोपों की खबर दर्ज की गई है।
  • चिकुनगुनिया बुखार का पहला प्रकोप, 1963 में कलकत्ता में फैला था। इस महामारी के बाद तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में इसका प्रकोप फैला था। भारत सहित एशिया में, एडीज एइजिप्ती मुख्य कारक है जो इस बीमारी का संक्रमण फैलाता है।

  • 32 सालों के बाद 2005 में  भारत में फिर से चिकुनगुनिया बुखार फैलने की सूचना मिली थी। अक्टूबर 2006 तक भारत के कई राज्य इस बीमारी की चपेट में आ गए थे जिनमें आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, केरल और दिल्ली इत्यादि का नाम उल्लेखनीय है। इन राज्यों के चिकनगुनिया बुखार के मरीजों में  जोड़ों का दर्द एवं बुखार के देखने को मिल रहे थे जिनकी जांच के बाद इस बात की पुष्टि होती रही कि वे चिकनगुनिया बुखार से पीड़ित थे।

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