
प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में ढेर सारे बदलाव होते हैं। इनमें हार्मोनल बदलाव सबसे महत्वपूर्ण और खास होते हैं। प्रेगनेंसी के 9 महीनों के दौरान महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कब्ज, हाई ब्लड प्रेशर, चिड़चिड़ापन, नींद की कमी, मॉर्निंग सिकनेस, बाल झड़ने, कमजोरी, थकान और न जाने कितनी समस्याओं के साथ-साथ शरीर का ग्लो खोने और त्वचा की रंगत बदलने, खासकर निप्पल के डार्क होने की समस्या भी झेलनी पड़ती है। प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के स्तन यानी ब्रेस्ट में कई तरह के बदलाव आते हैं। आइए आपको बताते हैं क्या हैं ये बदलाव और क्यों काले हो जाते हैं निप्पल?
प्रेगनेंसी के दौरान स्तनों में होने वाले बदलाव
प्रेगनेंसी के बाद महिलाओं के स्तनों में दूध बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इस नई क्रिया को शुरू करने के लिए शरीर स्तनों में कई तरह के बदलाव करता है, जो महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान महसूस होते हैं। आमतौर पर ये बदलाव इस प्रकार होते हैं-
- स्तनों का आकार बढ़ने लगता है और उनमें भारीपन आने लगता है।
- निप्पल के आसपास दर्द और चुभन की समस्या शुरू हो जाती है क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान निप्पल बहुत ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं।
- प्रेगनेंसी के दौरान निप्पल से कई तरह के डिस्चार्ज शुरू हो जाते हैं, जो कि सामान्य है। लेकिन इनके बारे में अपने डॉक्टर से बात करते रहना जरूरी है।
- निप्पल के आसपास की त्वचा में कालापन आने लगता है और नसें तनी हुई दिखाई देने लगती हैं क्योंकि इस दौरान स्तनों में ब्लड सर्कुलेशन काफी बढ़ जाता है।
प्रेगनेंसी के दौरान त्वचा में होते हैं कई बदलाव
आमतौर पर प्रेगनेंसी के दौरान दूसरी तिमाही के बाद महिलाओं के निप्पल का रंग डार्क होने लगा है और उन्हें कई तरह की परेशानियां होनी शुरू हो जाती हैं, जैसे- दिनभर थकान रहना, जी मिचलाना, चक्कर आना आदि। इसी तरह कुछ अन्य अंगों जहां पहले से ही त्वचा डार्क है, वो और भी डार्क हो सकते हैं, जैसे- घुटने, कोहनी, कांख, उंगली के जोड़, पैर के जोड़ आदि। इसके अलावा कुछ महिलाओं को शरीर पर छोटे-छोटे धब्बे (मेलाज्मा) की समस्या भी हो सकती है। इसे प्रेगनेंसी मास्क भी कहते हैं। ये छोटे-छोटे धब्बे या मेलाज्मा आमतौर पर पीठ में, गर्दन पर या स्तनों और पेट के बीच में होते हैं। ये समस्याएं सांवली और पहले से डार्क स्किन वाली महिलाओं में ज्यादा होती हैं।
प्रेगनेंसी में क्यों डार्क हो जाते हैं निप्पल?
दरअसल हमारी त्वचा के कालेपन का मुख्य कारण मेलानिन होता है, जो त्वचा के निचले हिस्से में बनाया जाता है। जितना ज्यादा मेलानिन बनेगा, त्वचा उतनी ज्यादा डार्क यानी काली होगी। त्वचा में होने वाले इस डार्कनेस यानी कालेपन की समस्या का मूल कारण शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव हैं। प्रेगनेंसी के दौरान जब शरीर में बहुत सारे हार्मोनल बदलाव होते हैं, तो उन हार्मोनल बदलावों के कारण मेलानिन का उत्पादन प्राकृतिक रूप से बढ़ जाता है। इसे melanocyte stimulation hormone (MSH) कहते हैं। महिलाओं में पाए जाने वाले मुख्य सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजन के साथ मिलकर ये MSH ही त्वचा के कालेपन, खासकर निप्पल के कालेपन का कारण बनता है।
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डिलीवरी के बाद दूर हो जाती है समस्या
धूप में निकलने से भी त्वचा में मेलानिनका प्रोडक्शन बढ़ जाता है इसलिए धूप में रहने पर त्वचा काली हो जाती है। आमतौर पर प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के स्तनों, जोड़ों में आने वाला ये कालापन और शरीर के अन्य हिस्सों में होने वाली मेलाज्मा की समस्या डिलीवरी के बाद धीरे-धीरे अपने आप खत्म होने लगती है, जब शरीर में हार्मोनल असंतुलन संतुलित होने लगता है। इसलिए इसके कारण घबराने की बात नहीं है। हां लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि अगर बिना प्रेगनेंसी के किसी महिला के स्तनों में इस तरह का बदलाव आता है, तो वो किसी बीमारी का संकेत हो सकता है इसलिए ऐसी स्थिति में डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
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