क्यों महिलाओं को प्रेगनेंसी के चौथे महीने तक रहता है मिसकैरेज का खतरा

प्रेगनेंसी के पहले तीन हफ्ते महिला के लिए महत्वपूर्ण होते हैं,क्योंकि उस समय मां के शरीर में बच्चे के सभी प्रमुख अंग और शरीर में प्रणालियां बनती हैं।

सम्‍पादकीय विभाग
Written by: सम्‍पादकीय विभागUpdated at: Oct 16, 2020 14:49 IST
क्यों महिलाओं को प्रेगनेंसी के चौथे महीने तक रहता है मिसकैरेज का खतरा

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एक प्रोफेशनल लाइफ में सेटल होने के बाद लोग अपनी जिंदगी के आने वाले समय के बारे में सोचना शुरू करते हैं। जिसमें एक महिला के लिए मां बनना किसी सपने से कम नहीं होता। लेकिन एक महिला प्रेगनेंट होती है तो वह पल खुशी लेकर आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रेगनेंसी के चौथे महीने तक महिलाएं किसी को अपनी प्रेगनेंसी के बारे में क्यों नही बताती और पहले चार महीनों में क्यों मिसकैरेज का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। जिसकी वजह से पहले 20 हफ्ते तक लोग अपनी प्रेगनेंसी  को छिपाकर रखते हैं। प्रेगनेंसी के समय महिला का खान-पान और रहन सहन बहुत महत्व रखता है, इसलिए ऐसे समय में हर महिला को अपना खास ख्याल रखना चाहिए। जिससे मां और होने वाले बच्चे पर कोई भूरा असर न पड़ें। तो आइए इसपर जानते हैं डॉ अविनाश बोथरा का क्या कहना है।

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प्रेगनेंसी  के पहले तीन हफ्ते मिसकैरेज का खतरा

फर्स्ट ट्राइमेस्टर यानी प्रेगनेंसी  के पहले तीन हफ्ते हर महिला के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि उस समय मां के शरीर में बच्चे के सभी प्रमुख अंग और शरीर में प्रणालियां बन रही होती हैं। जिसकी वजह से महिला का शरीर कई प्रमुख परिवर्तन से गुजर रहा होता है। एक महिला के लिए यह समय इसलिए मुश्किल भरा होता है क्योंकि वह हर पल एक नई चुनौती का सामना करती है। 

जब एक महिला मां बनने वाली होती है तो उसको अपना खानपान का ख्याल रखना होता है, जिससे मां और होने वाले बच्चे की सेहत पर कोई खराब असर न पड़े। लेकिन अगर कोई प्रेगनेंसी  के दौरान शराब, ड्रग्स (जैसे कि भांग, कोकीन और नायिका) ले रही है, तो विकिरण, कुछ दवाएँ, तम्बाकू और विषाक्त पदार्थ हैं। इनसे मां में पल रहे भ्रूण के विकास को नुकसान हो सकता है। जिसकी वजह  से मिसकैरेज तक हो जाने की संभावना बढ़ जाती है। 

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महिलाों में प्रेगनेंसी के 20 हफ्तों में अगर बच्चे में गुणसूत्र यानी क्रोमोसोम संबध्द प्रोटीन जो डीएनए के चारों ओर लिपटे रहते है। यह क्रोमोसोम बच्चे के शरीर में प्रोटीन पहुचाता है। यह बच्चे के विकास के लिए जरूरी माना जाता है। अगर इससे संबंधी कोई समस्या आती है तो इसके कारण महिला में पहली तिमाही में गर्भपातअक्सर होते हैं। 

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महिला की उम्र पर निर्भर करता है कि उसकी प्रेगनेंसी कैसी होगी। आज के समय में लोग अपना काम काज में इतना खो गए हैं कि वह अपनी निजी जिंदगी के बारे में सोचते ही नही।  आज के समय में एक महिला 30 के बाद शादी के लिए सोचती है और शादी के 4 से 5 साल और बच्चे के लिए नही सोचती लेकिन उम्र के साथ महिला में पेगनेंट होने सी संभावना कम होने लगती है और अगर वह कंसीव करती भी है तो उसमें गर्भपात होने की संभावना अधिक हो जाती है।

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इसलिए कहा जाता है कि महिला को प्रेगनेंसी के समय अपना खास ख्याल रखना चाहिए। न ही ज्यादा वजन उठाएं और न ही झुक-कर काम करें। हमेशा समय-समय पर कुछ न कुछ खाते रहें, जिसे मां और बच्चा दोनों सेहतमंद रहते हैं। 

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