
मिटरल वाल्व प्रोलेप्स को एमवीपी भी कहते हैं। यह दिल सम्बन्धित बीमारी है। और यह तब होती है जब दिल का बायां ऊपरी चैंबर (लेफ्ट आट्रिम) और बायां निचला चैंबर (लेफ्ट वेंट्रीकल) के बीच के वाल्व पूरी तरह से बंद नही होते हैं।
मिटरल वाल्व प्रोलेप्स में वाल्व आगे की ओर बढ़ जाता है या फिर पीछे की तरफ आलिंद (ऑट्रिम) की तरफ चला जाता है। इसके कारण बायें आलिंद में अंदर की तरफ खून का स्राव हो सकता है।
हालांकि दिल की यह समस्या कुछ लोगों के लिए ज्यादा घातक नही होती है। इसके कारण उनकी जीवनशैली में बदलाव भी नहीं होता। कुछ लोगों को इस समस्या के बाद भी इलाज की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन जो लोग पहले ही हृदय की अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह घातक साबित हो सकती है। उन्हें फौरन चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिये।
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मिटरल वॉल्व प्रोलेप्स के कारण -
दिल के बायें वेंट्रिकल में संकुचन के कारण मिटरल वॉल्व प्रोलेप्स की समस्या होती है। इसके कारण दिल के ऊपरी बायें आलिंद में खून का प्रवाह पूरी तरह से रुक जाता है। कुछ लोगों में मिटरल वाल्व की समस्या के कारण अतिरिक्त ऊतक बनते हैं, जिसके कारण संकुचन होने पर बायें आलिंद (ऑट्रिम) में बहुत ज्यादा उभार आ जाता है।
मिटरल वॉल्व प्रोलेप्स के लक्षण -
यह समस्या एक बार हो जाती है तो जीवनभर रहती है। हालांकि इस बीमारी के कुछ खास लक्षण नही होते हैं। इसके लक्षण अलग-अलग लोगों में कई प्रकार के हो सकते हैं।
दिल की धड़कन असामान्य होना, चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ होना इसके प्रमुख लक्षण हैं। कुछ मामलों में लोगों में थकान की समस्या भी दिखती है। सीने और उसके आसपास दर्द होना इसका अन्य लक्षण हैं। हालांकि कोरोनरी धमनी रोग और हार्ट अटैक से इसका कोई संबंध नही है।
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मिटरल वॉल्व प्रोलेप्स का उपचार -
यदि आपको ऊपरी लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क कीजिए, यदि निदान में इस बीमारी की पुष्टि हो गई तो इसका उपचार हो सकता है। इसके उपचार कई चरणों में होता है, शुरूआत में चिकित्सक रक्त को पतला करने के लिए आपको सामान्य दवाइयां लिख सकते हैं। लेकिन इस विकार से ग्रस्त लोगों के लिए सर्जरी सबसे अच्छा विकल्प है। सर्जरी के द्वारा वाल्व की मरम्मत की जाती है। सर्जरी के द्वारा मिटरल वॉल्व को बदल भी दिया जाता है। वॉल्व को सर्जरी के द्वारा बदलकर आर्टिफिशियल वाल्व लगाया जाता है।
यदि आपको भी लगता है कि आप इस समस्या से ग्रस्त हैं तो किसी भी प्रकार का भ्रम होने पर चिकित्सक से संपर्क कीजिए। कोई भी यात्रा चिकित्सक की सलाह से ही कीजिए।
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