मेलेसमा से निजात के लिए जरूरी है इसके कारणों और लक्षणों को जानना

मेलेसमा चेहरे पर पड़ने वाले सामान्‍य निशान होते हैं। इसमें हमारे चेहरे की त्‍वचा पर भूरे धब्‍बे पड़ सकते हैं। या फिर चेहरे पर नीले अथवा ग्रे रंग के निशान भी पड़ सकते हैं। ये निशान अधिकतर महिलाओं में प्रजनन के वर्षों के दौरान ही देखे जाते हैं।
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मेलेसमा से निजात के लिए जरूरी है इसके कारणों और लक्षणों को जानना


मेलेसमा चेहरे पर पड़ने वाले सामान्‍य निशान होते हैं। इसमें हमारे चेहरे की त्‍वचा पर भूरे धब्‍बे पड़ सकते हैं। या फिर चेहरे पर नीले अथवा ग्रे रंग के निशान भी पड़ सकते हैं। ये निशान अधिकतर महिलाओं में प्रजनन के वर्षों के दौरान ही देखे जाते हैं।

 

त्वचा पर निशानमेलेसमा के निशान आमतौर पर गालों के ऊपरी हिस्‍से, ऊपरी होंठ, माथे और ठोढ़ी पर नजर आते हैं। महिलाओं में यह समस्‍या 20 से 50 वर्ष की उम्र में अधिक देखी जाती है। हालांकि, यह बीमारी पुरुषों में भी हो सकती है, लेकिन ऐसा बहुत ही कम मामलों में देखा जाता है।


मेडिसिन नेट वेबसाइट पर प्रकाशित एक अनुमान के अनुसार अमेरिका में रहने वाली करीब 6 मिलियन यानी 60 लाख महिलायें इस रोग से पीड़ि‍त हैं। वहीं दुनिया भर में करीब साढ़े चार करोड़ से पांच करोड़ लोगों को मेलेसमा की शिकायत है। इन पीड़‍ित लोगों में 90 फीसदी महिलायें हैं। इससे बचाव के लिए सबसे पहले उपाय यही हे कि सूरज की रोशनी में बाहर निकलने से बचा जाए और खुद को सूरज की सीधी किरणों से बचाया जाए। और जहां तक इसके इलाज की बात है, तो इसके लिए सनस्‍क्रीन और दाग धब्‍बे हटाने वाली क्रीम का नियमित इस्‍तेमाल करना पड़ता है।

 

क्‍यों होता है मेलेसमा

मेलेसमा का वास्‍तविक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। जानकार मानते हैं कि मेलेसमा में पड़ने वाले गहरे निशानों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें गर्भावस्‍था, गर्भनिरोधक गोलियां, हार्मोन में बदलाव, हॉर्मोन रिप्‍लेस्‍मेंट थेरेपी, मेलेसमा का पारिवारिक इतिहास, अनुवांशिक और जातीय कारण, दवाओं का प्रभाव और कई ऐसे कारण जिनके कारण त्‍वचा अल्‍ट्रा वॉयलेट किरणों के कारण पिग्‍मेंटेशन के प्रति अधिक संवेदशनशील हो जाती है।

 

सूरज की रोशनी

सूरज की रोशनी में अधिक वक्‍त बिताना मेलेसमा का सबसे बड़ा कारण माना जाता है। जिन लोगों के परिवार में इस बीमारी का इतिहास है, उन्‍हें सूरज की रोशनी में अधिक वक्‍त बिताने से बचना चाहिए। कई शोध यह बात भी प्रामाणित कर चुके हैं कि गर्मियों के मौसम में जब सूर्य अपने प्रचंड रूप में होता है, तो यह बीमारी सबसे अधिक देखने को मिलती है। वहीं सर्दियों में मौसम में मेलेसमा में हाईपरपिग्‍मेंटेशन के लक्षण कम द‍िखायी पड़ते हैं।

 

अन्‍य कारण भी हैं महत्‍वपूर्ण

 

हालांकि इस बीमारी की मुख्‍य वजह सूरज की रोशनी में अधिक वक्‍त बिताना होता है। लेकिन, इसके साथ ही कुछ बाहरी कारण जैसे, गर्भनिरोधक गोलियों के कारण भी यह समस्‍या हो सकती है। गर्भावस्‍था के दौरान महिला के शरीर में कई हार्मोन बदलाव होते हैं, इनके कारण भी महिला के चेहरे पर ऐसे निशान आ सकते हैं। मेलेसमा सबसे अधिक गर्भवती महिलाओं में ही देखा जाता है। एशियाई और लैटिन वंश की महिलाओं में इस रोग के लक्षण सबसे सामान्‍य रूप से देखे जाते हैं। वे लोग जिनकी त्‍वचा जैतून के रंग की है जैसे, लातिन अमेरिकी, एशियाई और पश्चिमी और मध्‍य एशिया के लोग, उन्‍हें यह बीमारी होने की आशंका सबसे अधिक होती है

कहां नजर आते हैं मेलेसमा के लक्षण

मेलेसमा में त्‍चवा का रंग बदल सकता है और पिग्‍मेंटेशन के निशान सबसे पहले चेहरे पर ही नजर आते हैं। मेलेसमा के मुख्‍यत: तीन प्रकार नजर आते हैं। इसमें सेंट्रोफेशियल (चेहरे के बीचों-बीच), मलार (गालों पर) और मेंडिबुलर (जबड़ों पर)।

सेंट्रो‍फ‍ेशियल मेलेसमा का सबसे सामान्‍य रूप है। हसमें माथे, गालों, ऊपरी होठों, नाक और ठोढ़ी पर निशान उभर आते हैं। मलार में ऊपरी गालों पर निशान आते हैं और मेंडिबुलर में ये निशान जबड़ों पर दिखायी पड़ते हैं।

 

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