तेजी से बदलती लाइफस्टाइल और तनावपूर्ण डेली रूटीन का हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ रहा है। वर्तमान समय में खराब खानपान, मानसिक तनाव और पर्याप्त नींद की कमी कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। इन्हीं में से एक बीमारी है ल्यूपस, जो एक ऑटोइम्यून बीमारी है। इस स्थिति में शरीर का इम्यून सिस्टम हेल्दी टिश्यू और अंगों पर हमला करने लगता है, जिससे अलग-अलग अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। ल्यूपस की समस्या मुख्य रूप से महिलाओं को प्रभावित करती है। आजकल के खानपान में पोषण की कमी, प्रोसेस्ड फूड, मानसिक तनाव और फिजिकल एक्टिविटी की कमी ल्यूपस जैसी बीमारियों के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण बन सकते हैं। इस लेख में आयुर्वेदिक डॉक्टर गीतांजलि से जानिए, ल्यूपस के कारण और बचाव के तरीके क्या हैं?
ल्यूपस के कारण
कई कारक हैं जो ल्यूपस के विकास में योगदान कर सकते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारण हैं-
1. परिवार में ऑटोइम्यून रोग का इतिहास
अगर किसी व्यक्ति के परिवार में ऑटोइम्यून रोग जैसे रुमेटाइड अर्थराइटिस या डायबिटीज का इतिहास है, तो उस व्यक्ति में ल्यूपस होने का खतरा बढ़ सकता है।
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2. प्राकृतिक या बाहरी कारक
कुछ बाहरी कारण जैसे वायरस (जैसे ह्यूमन हर्पीज वायरस), ट्रॉमा, यूवी किरणों का संपर्क और कुछ दवाएं भी ल्यूपस को उत्पन्न कर सकती हैं।
3. हार्मोनल कारक
महिलाएं पुरुषों की तुलना में ल्यूपस से अधिक प्रभावित होती हैं। विशेष रूप से प्रेग्नेंसी के दौरान और मासिक धर्म के समय महिला हार्मोन एस्टोजेन के कारण ल्यूपस के लक्षण बढ़ सकते हैं।
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4. स्ट्रेस
मानसिक तनाव और भावनात्मक दबाव भी ल्यूपस के लक्षणों को उत्पन्न करने या बढ़ाने में सहायक हो सकता है।
आयुर्वेद में ल्यूपस का उपचार
आयुर्वेद के अनुसार, ल्यूपस के उपचार के लिए शरीर के आंतरिक संतुलन को ठीक करने और उसे डिटॉक्स करने की प्रक्रिया पर जोर दिया जाता है। इससे न केवल रोग के लक्षण कम होते हैं, बल्कि रोगी के समग्र स्वास्थ्य में भी सुधार होता है।
1. पंचकर्म
यह उपचार शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने के लिए किया जाता है। इसमें बस्ति (एनीमा), शास्ति शाली पिंड स्वेदा (चावल के बैग से मालिश) और पतरा पोटली पिंड स्वेदा (हर्बल बैग से मालिश) शामिल हैं। ये उपचार शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालते हैं और प्राकृतिक रूप से रोग प्रतिकारक क्षमता को बढ़ाते हैं। पंचकर्म और आयुर्वेदिक उपचारों से शरीर से विषाक्त पदार्थों का निष्कासन होता है, जिससे शांति मिलती है और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
2. औषधि का सेवन
आयुर्वेदिक औषधियों का लंबी अवधि तक सेवन करने से शरीर में सुधार होता है और रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है। त्रिफला और गिलोय जैसी हर्बल चीजें ल्यूपस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं। आयुर्वेदिक उपचार प्राकृतिक होते हैं और इनसे दवाओं के दुष्प्रभाव से बचाव होता है। यह लक्षणों को धीरे-धीरे कंट्रोल करता है।
3. लेप और तेलों का उपयोग
हर्बल पेस्ट और तेलों का उपयोग त्वचा पर किया जाता है, जिससे त्वचा की सूजन और दर्द को कम किया जा सकता है।
4. आहार और जीवनशैली में सुधार
आयुर्वेद में आहार और जीवनशैली पर विशेष ध्यान दिया जाता है। हल्दी, अदरक, तुलसी और नीम जैसी हर्बल चाय या व्यंजन शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं।
निष्कर्ष
यदि आप ल्यूपस के लक्षणों का सामना कर रहे हैं, तो आयुर्वेदिक उपचार एक प्रभावी विकल्प हो सकता है, जो शरीर को शुद्ध करने, इम्यून सिस्टम को संतुलित करने और लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद करता है। हालांकि, किसी भी उपचार को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
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