नेफ्रोपैथी का मतलब है गुर्दे की बीमारी या कोई नुकसान। डायबिटिक नेफ्रोपैथी मधुमेह की वजह से अपके गुर्दे को हुआ नुकसान है। गंभीर मामलों में इसके कारण गुर्दे खराब भी हो जाते हैं। हालांकि डायबिटीज के सभी रोगियों को गुर्दे की क्षति हो, ऐसा जरूरी नहीं होता। आइये जानें कि डायबिटिक नेफ्रोपैथी के क्या कारण होते हैं। अक्सर डायबिटीज के रोगियों को डायबिटिक नेफ्रोपैथी की समस्या से भी होकर गुजरना पड़ता है। लेकिन अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि कुछ डायबिटिक रोगियों में यह परेशानी क्यों आती है। डायबिटिक नेफ्रोपैथी में डायबिटीज होने के साथ-साथ गुर्दे को नुकसान भी होने लगता है।
डायबिटिक नेफ्रोपैथी के क्या कारण हैं
मनुष्य के गुर्दों में बहुत सारी सूक्ष्म रक्त वाहिकाएं होती हैं, जो खून को साफ करती हैं। डायबिटीज की वजह से शुगर अधिक हो जाती है, जिसके कारण इन रक्त वाहिकाओं को क्षति पहुंचती है। और इसी कारण से समय बीतने के साथ-साथ गुर्दा काम करना बंद कर देता है। डॉक्टरों का कहना है कि डायबिटिक नेफ्रोपैथी होने पर डायलिसिस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। डायलिसिस के बाद रोगी काफी हद तक सामान्य जीवन जी सकता है। यदि शगुर को नियंत्रण में रखा जाए तो डायबिटिक नेफ्रोपैथी से बचा जा सकता है।
डॉक्टरों को अभी तक यह बात समझ में नहीं आयी है कि मधुमेह से पीड़ित कुछ ही लोगों को गुर्दे की क्षति क्यों होती है। एक अनुमान के अनुसार मधुमेह से ग्रस्त 100 लोगों में से 40 को गुर्दे की क्षति होती है। कुछ बातें आपको डायबिटिक नेफ्रोपैथी होने की आशंका को बढ़ा देती हैं। यदि आपको उच्च रक्तचाप या उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या है या फिर आप धूम्रपान करते हैं, तो आपके डायबिटिक नेफ्रोपैथी होने का जोखिम अधिक होता है। इसके अलावा, मूल अमेरिकियों, अफ्रीकी अमेरिकियों और विशेष रूप से मैक्सिकन अमेरिकियों को डायबिटिक नेफ्रोपैथी होने की उच्च आशंका होती है।
कुछ अन्य मुख्य कारण
डायबिटिक नेफ्रोपैथी टाइप 1 और 2 डाइबिटीज के कारण होती है।
- प्रणालीगत उच्च रक्तचाप नेफ्रोपैथी के विकास और प्रगति में बड़ा योगदान करता है।
- मोटापा डायबिटिक नेफ्रोपैथी के होने का एक बड़ा जोखिम कारक है।
- हाइपरलैपेडिमिया अब नेफ्रोपैथी के होने का एक सिद्ध जोखिम कारक है।
- अनियंत्रित उच्च रक्तचाप और कमजोर ग्लाइसमिक नियंत्रण गुर्दे की बीमारी की अतयंत गंभीर स्थिति पैदा करने का कारण बनते हैं।
- डायबिटिक नेफ्रोपैथी का कोई पारिवारिक इतिहास या धूम्रपान भी टाइप 2 मधुमेह के रोगियों में गंभीर गुर्दे की विफलता के खतरे को बढ़ा सकते हैं। अफ्रीकी मूल के लोगों में मधुमेह नेफ्रोपैथी होने का जोखिम अधिक होता है।
साथ ही लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा (ग्लूकोज) के इकट्ठा होने पर मधुमेह नेफ्रोपैथी के कारण नाजुक तंत्रिका तंतुओं को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसा क्यों होता है यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। डायबिटीज से बचने के लिए जरूरी है कि हम अपनी जीवनशैली को सकारात्मक रखें। अपने खानपान का ध्यान रखें और पर्याप्त मात्रा में व्यायाम करें।
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