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क‍िडनी रोग में हो सकता है हाइपरकलेमिया (हाई पोटैश‍ियम), जानें क‍िन मरीजों को होता है ज्‍यादा खतरा

क्रॉनिक किडनी डिजीज, डायलिसिस पर रहने वाले लोग, डायबिटिक नेफ्रोपैथी और पोटैशियम युक्त दवाएं लेने वाले मरीजों को हाइपरकलेमिया का खतरा ज्यादा होता है।
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क‍िडनी रोग में हो सकता है हाइपरकलेमिया (हाई पोटैश‍ियम), जानें क‍िन मरीजों को होता है ज्‍यादा खतरा


हमारे शरीर में पोटैशियम एक जरूरी मिनरल है, जो मांसपेशियों की कार्यक्षमता को बढ़ाने, हृदय की धड़कन और नर्व फंक्शन के लिए बहुत जरूरी होता है। सामान्‍य ढंग से किडनी इसका अतिरिक्त हिस्सा, यूर‍िन के जरिए बाहर निकाल देती हैं, लेकिन जब किडनी की कार्यक्षमता कमजोर होती है, तो यह संतुलन बिगड़ जाता है। तब शरीर में पोटैशियम जमा होने लगता है, जिसे मेडिकल भाषा में हाइपरकलेमिया (Hyperkalemia) कहा जाता है। यह स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है और अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो इससे हृदय की धड़कन अनियमित होना, मांसपेशियों में कमजोरी, यहां तक कि दिल का दौरा भी पड़ सकता है। किडनी के रोगियों में हाइपरकलेमिया का खतरा इसलिए ज्‍यादा होता है क्योंकि कमजोर किडनी पोटैशियम को फिल्टर करने में असमर्थ हो जाती है। कुछ दवाएं भी इस समस्या को और बढ़ा सकती हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि किन मरीजों को हाइपरकलेमिया का खतरा ज्यादा होता है, इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपाय क्या हैं। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ में डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्‍ट‍िट्यूट ऑफ मेड‍िकल साइंसेज के अस‍िसटेंट प्रोफेसर और यूरोलॉज‍िस्‍ट डॉ संजीत कुमार सिंह से बात की।

हाइपरकलेमिया और क‍िडनी का संबंध- Connection Between Hyperkalemia and Kidney

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क‍िडनी का मुख्य काम, शरीर से अपशिष्ट पदार्थ और अतिरिक्त मिनरल्स, जैसे पोटैशियम को यूर‍िन के जर‍िए बाहर निकालना होता है। जब किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है जैसे कि क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) या किडनी फेल में होता है, तो शरीर से पोटैशियम ठीक से बाहर नहीं निकल पाता और खून में इसकी मात्रा बढ़ने लगती है। यही स्थिति हाइपरकलेमिया कहलाती है। इसलिए कमजोर या खराब किडनी वाले मरीजों में हाइपरकलेमिया होने का खतरा कई गुना ज्यादा होता है। अगर समय रहते इस संबंध को पहचाना न जाए और पोटैशियम का लेवल कंट्रोल न किया जाए, तो यह हार्ट की गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। इसीलिए किडनी रोगियों के लिए पोटैशियम मॉनिटरिंग बहुत जरूरी है।

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किन मरीजों को हाइपरकलेमिया का ज्‍यादा खतरा होता है?- Who are at Higher Risk of Hyperkalemia

  • क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) के मरीज
  • डायबिटीज वाले मरीज जिनकी किडनी पर असर पड़ा हो
  • हृदय रोग के मरीज जो एसीई इनहिबिटर ले रहे हों
  • पोटैशियम सप्लीमेंट या हाई पोटैशियम डाइट लेने वाले लोग
  • हीमोडायलिसिस पर निर्भर मरीज
  • ज‍ि‍स मरीज की क‍िडनी अचानक फेल हो जाए

हाइपरकलेमिया के लक्षण- Symptoms of Hyperkalemia

  • मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन
  • थकावट या सुस्ती
  • हृदय की धड़कन तेज या अनियमित होना
  • सांस लेने में तकलीफ
  • जी मिचलाना या उल्टी
  • छाती में दबाव या भारीपन (गंभीर मामलों में)

हाइपरकलेमिया से कैसे बचाव करें?- How to Prevent Hyperkalemia

  • डाइट में पोटैशियम की सीमित मात्रा को ही शाम‍िल करें।
  • दवाएं समय पर लें और कोई नई दवा शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  • हाई पोटैशियम फूड्स जैसे केला, आलू, पालक, नारियल पानी, टमाटर वगैरह से परहेज करें।
  • डॉक्‍टर की सलाह पर नियमित रूप से ब्लड टेस्ट या सीरम पोटैश‍ियम टेस्‍ट कराते हैं।
  • पानी की मात्रा सीमित करें।
  • अचानक कमजोरी, धड़कन तेज होने जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्‍टर से सलाह लें।

हाइपरकलेमिया एक जानलेवा स्थिति बन सकती है, खासकर किडनी रोगियों के लिए। इसलिए पोटैशियम के लेवल को लेकर सतर्क रहना, नियमित जांच कराना, सही डाइट लेना और डॉक्टर की सलाह का पालन करना बेहद जरूरी है।

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image credit: happiesthealth.com, thedoctorschannel.com

FAQ

  • हाइपरकलेमिया क्‍या है?

    हाइपरकलेमिया एक मेडिकल स्थिति है जिसमें शरीर में पोटैशियम का लेवल सामान्य से ज्‍यादा हो जाता है। यह हृदय की धड़कन को प्रभावित कर सकता है और गंभीर मामलों में दिल का दौरा पड़ सकता है।
  • किडनी में पोटैश‍ियम बढ़ने से क्या होता है?

    जब किडनी पोटैशियम को फिल्टर नहीं कर पाती, तो यह खून में जमा हो जाता है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी, हृदय गति अनियमित होना और जान का खतरा भी हो सकता है।
  • पोटैश‍ियम बढ़ने पर क्या नहीं खाना चाहिए?

    पोटैशियम बढ़ने पर केला, नारियल पानी, आलू, पालक, टमाटर, सूखे मेवे और ऑरेंज जूस जैसे हाई पोटैशियम फूड्स के सेवन से बचना चाहिए। डॉक्टर की सलाह से डाइट लें।

 

 

 

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