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टैटू बनवाने के बाद 6 महीने तक नहीं कर सकते हैं ब्लड डोनेट, जानें कारण

Tattoo and Blood Donation: आपने भी हाल ही में बनवाया है टैटू तो जानें क्‍यों नहीं करना चाह‍िए रक्‍तदान
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टैटू बनवाने के बाद 6 महीने तक नहीं कर सकते हैं ब्लड डोनेट, जानें कारण


Tattoo and Blood Donation: आज कल शरीर पर टैटू बनवाना ट्रेंड बन गया है। छोटे-छोटे बच्‍चों से लेकर वयस्क, हर कोई टैटू बनवाने की दौड़ में शाम‍िल है। लेक‍िन क्‍या टैटू हमारी त्‍वचा के ल‍िए सेफ हैं? टैटू से जुड़ा एक और सवाल लोगों के मन में आता है ज‍िसे गूगल पर लोग खूब पूछते हैं वो ये क‍ि क्‍या टैटू बनवाने के बाद रक्‍तदान कर सकते हैं? डब्‍ल्‍यूएचओ की मानें, तो आप टैटू बनवाने के बाद 6 माह तक रक्‍तदान नहीं कर सकते। लेक‍िन इसके पीछे क्‍या कारण हैं इसे हम आगे जानेंगे इसल‍िए लेख को अंत तक पढ़ें। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के केयर इंस्‍टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फ‍िजिश‍ियन डॉ सीमा यादव से बात की।

blood donation and tattoo

टैटू बनवाने के बाद रक्‍तदान क्‍यों नहीं कर सकते? 

टैटू बनवाने के बाद नीडल, त्‍वचा और ब्‍लड दोनों के कॉन्‍टैक्‍ट में आ जाती है। जब वो नीडल दोबारा यूज होती है, तो ब्‍लड ट्रांसम‍िटेड ड‍िसीज के ट्रांसफर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसी प्रकार टैटू के ल‍िए इस्‍तेमाल क‍ी जाने वाली इंक भी बदलती नहीं है। इसके कारण एचआईवी और हेपेटाइट‍िस बी इंफेक्‍शन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को तुरंत ब्‍लड डोनेट करने से बचना चाह‍िए। अब तक टैटू बनवाने के ल‍िए क‍िसी तरह की रेग्‍युलेटरी नहीं है और कोई भी आसानी से टैटू बनवा सकता है और टैटू बना भी सकता है। रक्‍तदान के बाद कई टेस्‍ट क‍िए जाते हैं ज‍िसके बाद ही खून जरूरत को चढ़ाया जाता है लेक‍िन टैटू के तुरंत बाद रक्‍तदान की सलाह डॉक्‍टर नहीं देते।

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प‍ियर्स‍िंग के बाद भी रक्‍तदान से बचें 

प‍ियर्सिंग यानी नाक, कान या शरीर का कोई अन्‍य अंग छ‍िदवाने के 12 घंटों तक रक्‍तदान के ल‍िए मना क‍िया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन्स के मुताब‍िक, अंग छ‍िदवाने के बाद 12 घंटें रुकें, फ‍िर ही रक्‍तदान करें क्‍योंक‍ि अंग छ‍िदवाने के बाद त्‍वचा में इंफेक्‍शन या सूजन आ सकती है ज‍िसके ठीक होने का इंतजार क‍िया जाता चाह‍िए। वहीं एक्‍सपर्ट्स ये मानते हैं क‍ि अगर मल्‍टीपल प‍ियर्स‍िंग करवाई है, तो कुछ द‍िन रुककर ही रक्‍तदान करें।  

टैटू वाली नीडल नई नहीं होती    

टैटू बनाने के ल‍िए नीडल का इस्‍तेमाल क‍िया जाता है। ये एक तरह से स‍िर‍िंज की तरह ही इंजेक्‍शन होता है। हर बार ज‍िस तरह अस्‍पताल में हर मरीज के ल‍िए हर बार नई स‍िर‍िंज इस्‍तेमाल करने के ल‍िए कहा जाता है वैसा टैटू बनवाने के दौरान नहीं होता। टैटू में ज‍िस स‍िर‍िंज या नीडल का इस्‍तेमाल क‍िया जाता है उसे बार-बार बदला नहीं जाता। एक ही नीडल की मदद से कई लोगों की त्‍वचा पर टैटू बनाया जाता है। इसल‍िए टैटू बनवाना एक सेफ प्रैक्‍ट‍िस नहीं है। अमेरिकन रेड क्रॉस सोसायटी के रेग्युलेटरी की मानें, तो टैटू बनवाने के 12 महीने तक ब्‍लड डोनेट नहीं करना चाह‍िए।      

टैटू बनाने के ल‍िए ज‍िस नीडल का इस्‍तेमाल क‍िया जाता है उससे शरीर में कई बीमार‍ियां हो सकती हैं क्‍योंक‍ि नीडल खून के संपर्क में भी आती है। आपको टैटू बनवाने से बचना चाह‍िए साथ ही ब्‍लड डोनेट करने के 6 महीनों तक रक्‍तदान करने से भी बचना चाह‍िए।    

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