वजन का बढ़ना, मोटापा, इंसुलिन रेजिस्टेंस, तनाव, और जीवनशैली से जुड़ी खराब आदतें महिलाओं के शरीर पर कई तरह के नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। आज के समय में अनियमित दिनचर्या और अनहेल्दी डाइट की वजह से शहरी महिलाओंं में पीसीओएस एक आम समस्या बन चुकी है। पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) एक हार्मोनल विकार है, जो महिलाओं में प्रजनन आयु के दौरान होता है। इस स्थिति के कारण महिलाओं को हार्मोनल असंतुलन से गुजरना पड़ता है, जिसके परिणामस्वरूप मासिक धर्म में अनियमितता, वजन बढ़ना, मुंहासे, और अनचाहे बालों का उगना जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा, यह प्रजनन संबंधी समस्याओं का भी कारण बन सकता है, जिससे गर्भधारण में कठिनाई हो सकती है। पीसीओएस के इलाज के लिए विभिन्न उपचार उपलब्ध हैं, लेकिन अब आप नेचुरल उपायों से भी इस समस्या के लक्षणों को कम कर सकती हैं। राजहंस चेरिटेबल अस्पताल के आयुर्वेदाचार्य डॉ. श्रेय शर्मा से जानते हैं कि पीसीओएस के इलाज में शतावरी किस तरह से फायदेमंद हो सकती है?
शतावरी क्या है? - What is Shatavari In Hindi
शतावरी (Asparagus racemosus) एक आयुर्वेदिक औषधि है, जिसे विशेष रूप से महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है। यह पौधा भारत और अन्य एशियाई देशों में पाया जाता है और लंबे समय से पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में उपयोग किया जा रहा है। शतावरी को महिलाओं की "सुप्रीम हर्ब" भी कहा जाता है क्योंकि यह हार्मोनल असंतुलन को संतुलित करने और प्रजनन स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है।
क्या शतावरी से पीसीओएस की समस्या दूर हो सकती है? | Can Shatavari Reduce The Symptoms Of PCOS In Hindi
पीसीओएस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं में सामान्य से अधिक एंड्रोजेन (पुरुष हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है, जिससे ओवुलेशन में असंतुलन और अनियमित मासिक धर्म होते हैं। शतावरी में पाए जाने वाले सक्रिय यौगिक और एंटीऑक्सीडेंट्स, शरीर में हार्मोनल असंतुलन को सुधारने और पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।
हार्मोनल असंतुलन को कम करें
शतावरी में प्रोलैक्टिन, एस्ट्रोजन और अन्य हार्मोन के स्तर को संतुलित करने वाले गुण पाए जाते हैं। यह शरीर में हार्मोनल असंतुलन को कम करने में मदद करता है, जो पीसीओएस के मुख्य लक्षणों में से एक है। शतावरी का सेवन महिलाओं के मासिक धर्म चक्र को नियमित करने और एग्स के उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
ओवरी के कार्य में सुधार
पीसीओएस में ओवरी में छोटे-छोटे सिस्ट (किस्ट्स) बनने लगते हैं, जो एग्स को सामान्य रूप से विकसित होने को रोकते हैं। शतावरी के सेवन से ओवरी के कार्य में सुधार हो सकता है, जिससे ओवुलेशन प्रक्रिया को सामान्य किया जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप, महिला में गर्भधारण की संभावना बढ़ सकती है।
सूजन और तनाव को कम करना
पीसीओएस में सूजन और मानसिक तनाव अक्सर देखे जाते हैं। शतावरी में सूजन को कम करने और तनाव को नियंत्रित करने वाले गुण होते हैं। यह शरीर में कोर्टिसोल (स्ट्रेस हार्मोन) के स्तर को नियंत्रित करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है और सूजन कम होती है।
ब्लड शुगर को कंट्रोल करें
पीसीओएस वाली महिलाओं में अक्सर इंसुलिन रेजिस्टेंस (insulin resistance) होता है, जिससे शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। शतावरी ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है, क्योंकि इसमें एंटी-हाइपरग्लाइसेमिक गुण होते हैं। इससे पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है।
शतावरी के सेवन के तरीके - How to Eat Shatavari During PCOS in Hindi
- शतावरी चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर दिन में एक या दो बार सेवन किया जा सकता है। यह पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
- शतावरी का पाउडर दूध में मिलाकर भी सेवन किया जा सकता है। यह न केवल पीसीओएस के लक्षणों को कम करता है, बल्कि शरीर को ठंडक भी पहुंचाता है।
- शतावरी की गोलियां या कैप्सूल भी बाजार में उपलब्ध हैं, जिन्हें डॉक्टर की सलाह से लिया जा सकता है।
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शतावरी एक प्रभावी प्राकृतिक उपचार है, जो पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। यह हार्मोनल असंतुलन को संतुलित करने, ओवरी के कार्य में सुधार करने, सूजन और तनाव को कम करने, और ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में सहायक है। हालांकि, शतावरी का सेवन करने से पहले आयुर्वेदाचार्य से सलाह लेना जरूरी है, क्योंकि हर महिला का शरीर अलग-अलग तरीके से प्रतिक्रिया कर सकता है।