Can I eat kulekhara leaves in pregnancy : भारतीय परंपरा और आयुर्वेद में साग-सब्जियों को औषधीय महत्व दिया गया है। खासकर जब कोई महिला गर्भवती होती है, तो उसका खानपान ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि वह जो कुछ भी खाती है, उसका सीधा असर गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। प्रेग्नेंसी के दौरान साग खाने के लेकर महिलाओं के मन में कई तरह के सवाल आते हैं। प्रेग्नेंट महिलाएं अक्सर ये सवाल करती हैं कि क्या वो कुलेखरा साग खा सकती हैं?
कुलेखरा साग क्या है- What is Kulekhara Saag
कुलेखरा साग पालक, सरसों और मेथी की साग की तरह की एक प्रकार की पत्तियां होती हैं। कुलेखरा साग मुख्य रूप से झारखंड, ओडिशा, बिहार, बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे क्षेत्रों में पाया जाता है। कुलेखरा साग में प्रचुर मात्रा में आयरन, कैल्शियम पाया जाता है। बिहार के कुछ क्षेत्रों में कुलेखरा साग को खून बढ़ाने वाला साग भी कहा जाता है।
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आयुर्वेद में कुलेखरा साग का महत्व- Importance of Kulekhara Saag in Ayurveda
दिल्ली की अंजना कालिया डाइट क्लीनिक की आयु्र्वेदिक डॉ. अंजना कालिया का कहना है कि आयुर्वेद में कुलेखरा को शीतल, कटु रसयुक्त, रक्तवर्धक और वायुनाशक गुणों से युक्त माना गया है। यह शरीर में वात, पित्त और कफ – तीनों दोषों को संतुलित करता है।
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क्या प्रेग्नेंसी में कुलेखरा साग खा सकते हैं या नहीं- Can Kulekhara Saag be eaten during pregnancy or not
डॉ. अंजना कालिया का कहना है कि वात, पित्त और कफ को संतुलित करने के कारण कुलेखरा साग प्रेग्नेंसी के दौरान एक सीमित मात्रा में खाया जा सकता है। कुलेखरा साग में आयरन होता है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में खून को बढ़ाता है।
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प्रेग्नेंसी में कुलेखरा साग खाने के फायदे- Benefits of eating Kulekhara greens during pregnancy
- स्वास्थ्य विशेषज्ञ का कहना है कि कुलेखरा आयरन से भरपूर होता है, जो प्रेग्नेंसी में एनीमिया की परेशानी को दूर करता है।
- प्रेग्नेंसी में हार्मोनल बदलावों के कारण महिलाओं को कब्ज, गैस और भूख न लगने की परेशानी होती है। पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में भी कुलखेरा साग फायदेमंद होता है। कुलेखरा साग शरीर में जाकर शीतल पाचन अग्नि को बढ़ाता है, जिससे मल मुलायम होता है और पाचन से जुड़ी परेशानी दूर होती है।
- हार्मोनल बदलाव के कारण प्रेग्नेंसी में महिलाओं को शरीर में सूजन की समस्या होती है। कुलेखरा साग में सूजनरोधी गुण होते हैं।
- कुलेखरा साग में पर्याप्त मात्रा में विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। प्रेग्नेंसी में कुलेखरा साग खाने से इम्यूनिटी स्ट्रांग बनती है, जिससे संक्रमित बीमारियों का खतरा कम होता है।
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प्रेग्नेंसी में कुलेखरा खाने से नुकसान- Harmful effects of eating Kulekhara during pregnancy
- कुलेखरा साग की तासीर शीतल होती है। प्रेग्नेंसी की शुरुआती दिनों में कुलेखरा साग खाया जाए, तो ये गर्भाशय संकुचन का कारण बन सकता है। इससे गर्भपात का खतरा बढ़ता है।
- गांवों में अक्सर कुलेखरा साग को अक्सर दलदली, गंदे क्षेत्रों से तोड़ा जाता है, जिससे इसके पत्तों में कीड़े, बैक्टीरिया या हानिकारक धातुएं हो सकती हैं। ठीक से साफ न करने पर यह फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकता है।
निष्कर्ष
गर्भावस्था एक ऐसा समय होता है जब हर चीज सोच-समझकर खानी चाहिए। कुलेखरा साग एक पौष्टिक और आयरन युक्त हरी सब्जी है, जो सीमित मात्रा में और सही विधि से पकाकर खाई जाए तो गर्भवती महिला को लाभ दे सकती है। इसलिए गर्भावस्था में किसी भी चीज को खाने से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।
FAQ
क्या कुलेखरा साग का सेवन गर्भ में पल रहे शिशु के विकास पर असर डालता है?
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट का कहना है कि कुलेखरा साग में फोलेट और आयरन जैसे पोषक तत्व भ्रूण के न्यूरल ट्यूब विकास और खून बढ़ाने में मदद करते हैं। इसलिए ये कहा जा सकता है कि प्रेग्नेंसी के दौरान कुलेखरा साग खाना फायदेमंद होता है।गर्भावस्था के किस तिमाही में कुलेखरा साग खाना सुरक्षित माना जाता है?
कुलेखरा साग को पहली तिमाही में खाना सुरक्षित नहीं माना जाता है। कुलेखरा साग को दूसरी और तीसरी तिमाही में डॉक्टर की सलाह से सीमित मात्रा में खाया जा सकता है। गर्भावस्था की पहली तिमाही में कुलेखरा साग खाने से गर्भाशय संकुचन का खतरा बढ़ता है।कुलेखरा साग के सुरक्षित सेवन के लिए कौन-कौन सी सावधानियां जरूरी हैं?
कुलेखरा साग को अच्छी तरह धोकर और पूरी तरह पकाकर खाएं।पहली बार खाने से पहले डॉक्टर से परामर्श लें।किसी भी तरह की एलर्जी, दस्त या पेट दर्द होने पर तुरंत बंद करें।