बरसों तक दिन में तीन बार खाने का चलन चलता आ रहा है। लेकिन शोधों के बाद इसमें कुछ बदलाव आए और डाइट एक्सपर्ट्स ने दिन में तीन बार मेन मील (ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर) के बीच में 2-3 बार स्नैक्स खाने की सलाह दी। एक स्टडी में यह भी कहा गया कि रोजाना 6 बार खाना सेहत के लिए बेहतर है। लेकिन वहीं कुछ शोध बताते हैं कि दिन में छः मील लेने से मेटाबोलिज्म बेहतर होता है। तो भला दिन में कितने मील लिए जाएं जो सेहत बेहतर बनी रहे। तो चलिये इस बात पर आज इस विषय पर विस्तार से चर्चा करते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि दिन में कितनी बार खाना खाया जाए और इस विषय पर शोध क्या कहते हैं।
इंपीरियल कॉलेज का शोध
हाल में हुए एक शोध में कहा गया कि दिन में 9 बार खाने से ब्लड प्रेशर और कॉलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहता है। वहीं, ऐसा करने से वजन भी काबू में बना रहता है। लंदन के इंपीरियल कॉलेज के प्रफेसरों द्वारा की गई इस शोध में ब्रिटेन, अमेरिका, चीन और जापान के 2000 लोगों को शामिल किया गया। सभी को समान मात्रा और कैलरी का भोजन दिया गया। लेकिन आधे लोगों ने दिन में 6 बार से कम बार खाया और बाकी ने 6 बार से ज्यादा। शोध में परिणामों में देखा गया कि जिन लोगों ने कम बार खाना खाया, उनका ब्लड प्रेशर 6 बार से ज्यादा बार खाने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा था। इन लोगों का वजन भी बाकी लोगों से थोड़ा ज्यादा पाया गया। शोध में इस बात का ध्यान रखा गया कि खाना बेशक कई बार खाया जाए लेकिन खाने की मात्रा कम ही रहे। हर बार 300 कैलरी का ही खाना दिया गया और हर बार खाने के बीच में कुछ भी खाने को नहीं दिया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि अनेक बार लेकिन ठूस-ठूस कर खाने से अच्छा है कम मात्रा में कई बार खाया जाए।
हालांकि यह भी सत्य है कि दिन भर में 9 बार खाना व्यवहारिक तौर पर साधारण व्यक्ति के लिए मुमकिन नहीं लगता। ऐसे में एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि 9 बार न सही, लेकिन पूरे दिन में कम मात्रा में 5 से 6 बार खाना सेहत को बेहतर बनाता है।
बढ़ता है मेटाबॉलिज्म
कुछ शोध बताते हैं कि कई बार खाना खाने से हमारे शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ता है। मेटाबॉलिज्म दरअसल वह प्रक्रिया, जिसमें खाना पचने के बाद शरीर के सेल्स और टिश्यूज द्वारा इस्तेमाल किये जाने लायक बनता है। मेटाबॉलिज्म के दौरान खाना एनर्जी, एंजाइम्स और फैट में बदलता है। एनर्जी शरीर को काम करने में शक्ति देती है, एंजाइम्स हॉर्मोंस बनाते हैं और पाचन में मदद करते हैं, जबकि फैट शरीर में जमा हो जाता है। यदि मेटाबॉलिज्म ठीक न हो तो शरीर में फैट बढ़ जाता है। इससे कॉलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर, दोनों बढ़ने को जोखिम बढ़ जाता है।
कितना खाएं
एक सर्विंग का अर्थ एक सेब या एक नाशपाती, सेब या एक अमरूद या फिर 15 से 20 अंगूर या पपीते की 2 से 3 फांक होता है। ठीक इसी तरह सब्जियों का अनुमान छोटी कटोरी से लगाया जा सकता है। यानी तमाम फल और सब्जियां मिलाकर अगर दिन भर में छःसर्विंग खाई जाएं तो हमारी सेहत सुधारती है। सब्जियों और फलों को खाने के साथ बतौर स्नैक्स मील्स के बीच में खाना भी ठीक है। इससे ज्यादा मात्रा में फल-सब्जियां खा पाएंगे और तले-भुने स्नैक्स से भी आप दूर रह सकेंगे।
हालांकि कुछ शोध यह भी बताते हां कि दिन में छः बार खाने को यह फार्मूला डायबिटीज व अन्य कुछ रोगों से पीड़ित व्यक्तियों पर लागू नहीं होता है। इसलिए इस विषय पर एक बार अपने डायटीशियन से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।
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