Birth Control Linked to Autoimmune Disease in Hindi: आमतौर पर गर्भनिरोधक दवाइयों को सबसे सुरक्षित और सरल माना जाता है। इसी वजह से बीते कुछ सालों में महिलाओं के बीच गर्भनिरोधक दवाइयों का सेवन भी बढ़ा है। भारतीय परिपेक्ष में देखा जाए, तो महिलाएं डॉक्टर से सलाह लेकर गर्भनिरोधक दवाइयां लेने की बजाय अपने आसपास की महिलाओं से पूछकर दवाई का सेवन शुरू कर देती हैं। इस कारण महिलाओं में कई तरह के साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिलते हैं, जिसमें ऑटोइम्यून की समस्याओं के बारे में भी अक्सर बात होती है। क्या ज्यादा समय तक गर्भनिरोधक दवाइयां लेने से ऑटोइम्यून बीमारियां हो सकती हैं? इस बारे में हमने आर्टेमिस अस्पताल के स्त्रीरोग विशेषज्ञ विभाग की चेयरपर्सन डॉ. रेनू रैना सहगल (Dr. Renu Raina Sehgal, Chairperson - Department of Obstetrics & Gynaecology, Artemis Hospitals) से बात की।
क्या गर्भनिरोधक दवाइयों से ऑटोइम्यून समस्या हो सकती है? - Birth Control Pills Cause Autoimmune Disease in Hindi
डॉ. रेनु का कहना है, “गर्भनिरोधक दवाइयों से ऑटोइम्यून बीमारियां होने पर कई तरह की रिसर्च चल रही है। बर्थ कंट्रोल पिल्स एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन हार्मोन रिलीज होता है, जो महिलाओं के लिए बहुत सुरक्षित होते हैं। हालांकि, कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि इससे महिलाओं की इम्युनिटी प्रभावित हो सकती है। एस्ट्रोजन में खासतौर से इम्युनोमॉडलेटरी प्रभाव होता है, जो इम्यून रिस्पांस को बढ़ाता है। इस वजह से आमतौर पर महिलाओं में सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (SLE) देखने को मिलता है।
कुछ मामलों में जेनेटिक और पर्यावरणीय कारकों की वजह से गर्भनिरोधक दवाइयां ऑटोइम्यून बीमारियों को बढ़ाने में तेजी से काम करती हैं। जैसे कि गर्भनिरोधक दवाइयां खाने से महिलाओं में थक्के जमने की ऑटोइम्यून बीमारी का रिस्क बढ़ जाता है। जिन महिलाओं में ऑटोइम्यून की स्थिति बनती है, उन्हें डॉक्टर से मिलकर अपनी गर्भनिरोधक दवाइयों को लेकर सलाह लेनी चाहिए।
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गर्भनिरोधक दवाइयों से हार्मोनल बदलाव - Birth Control Pills and Hormonal Imbalance in Hindi
गर्भनिरोधक दवाइयों से कई बार ज्यादा या कम हार्मोन रिलीज होते हैं, जो शरीर के विभिन्न अंगों को प्रभावित करते हैं। हालांकि, गर्भनिरोधक दवाइयों का सीधा असर ऑटोइम्यून बीमारियों पर नहीं होता, लेकिन इससे इम्यूनिटी अति सक्रिय हो सकती है। इसके कारण ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होने का खतरा बढ़ सकता है। ज्यादा समय तक गर्भनिरोधक दवाइयां लेने से हार्मोनल बदलाव होने का रिस्क बढ़ सकता है। इसलिए, जब भी लंबे समय तक गर्भनिरोधक दवाइयां लेनी हों, तो डॉक्टर से समय-समय पर सलाह लेते रहें।
गर्भनिरोधक दवाई कैसे काम करती है?- How Birth Control Pills Work in Hindi
डॉ. रेनु कहती हैं, “गर्भनिरोधक दवाइयां महिलाओं के हार्मोनल साइकल को प्रभावित करके गर्भधारण से बचाती हैं। गर्भनिरोधक दवाइयों में सिंथेटिक एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन होता है, जो ओवरीज को प्रकृतिक तरीके से हार्मोन रिलीज करने से रोकता है। गर्भनिरोधक दवाइयां ओवरी से अंडे निकालने नहीं देती हैं। यह हार्मोन सर्वाइकल म्यूकस को गाढ़ा करके उसे मोटा कर देते हैं, जिससे ओव्यूलेशन नहीं हो पाता। इसका मतलब है कि शुक्राणुओं का अंडों से निषेचन नहीं हो सकता। इसके अलावा, गर्भाशय की परत जिसे एंडोमेट्रियम कहते हैं,उसे भी फर्टिलाइजेशन होने से रोकती है।”
अगर महिलाएं एस्ट्रोजन के प्रति संवेदनशील होती है या ब्रेस्टफीड पर होती हैं, उन्हें ‘मिनी पिल्स’ या प्रोजेस्टिन पिल्स दी जाती हैं। इसके अलावा, गर्भनिरोधक दवाइयां पीरियड्स को नियंत्रित करने, मुहांसे कम करने और PCOS जैसी समस्याओं को मैनेज करने में काम आती हैं।
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गर्भनिरोधक दवाइयों लेने से पहले ध्यान दें - Precautions for Birth Control Pill in Hindi
डॉ. रेनु के अनुसार, अगर परिवार में ऑटोइम्यून बीमारी है, तो गर्भनिरोधक दवाइयां लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। किसी भी तरह की गर्भनिरोधक दवाई खुद से न लें। कई बार महिलाएं घर की अन्य महिलाओं से पूछकर खुद ही दवाई लेना शुरू कर देती हैं, जिससे कई बार साइड इफेक्ट्स देखने को मिलते हैं। यह समझना बहुत जरूरी है कि हर महिला का शरीर दवाई के प्रति अलग रिएक्शन देता है। ऐसे में खुद से दवाई लेने की बजाय डॉक्टर से उसके बारे में पूरी जानकारी लें। दवाई लेते समय थकान, मूड स्विंग्सस और सिरदर्द हो सकता है, लेकिन अगर ये लंबे समय तक रहे या फिर किसी और तरह के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।