मां के दूध में ऐसे पोषक तत्व होते हैं, जो पहले कुछ महीनों में बच्चे के विकास के लिए बेहद जरूरी होते हैं। ब्रेस्ट मिल्क में कॉम्प्लेक्स कार्ब्स, प्रोटीन, फैट, ओलिगोसैकेराइड, विटामिन्स और मिनरल मौजूद होते हैं, जो बच्चे के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने से लेकर उसे मानसिक तौर पर भी विकसित करने में मदद करते हैं। पर इन सभी तत्वों में से कोई एक तत्व जो थोड़ा सा ज्यादा जरूरी है वो है फैट। मां के दूध में फैट का होना बच्चे के विकास में कई तरह से मददगार है, पर चिंताजनक बात ये है कि ब्रेस्ट मिल्क में फैट की मात्रा पूरे दिन बदलती रहती है। कभी ये कम हो जाता है, तो कभी ये ज्यादा। ऐसे में जरूरी है कि मां के दूध में फैट को संतुलित रखा जाए और इसकी कमी न होने दें।
बच्चे के लिए क्यों जरूरी है ब्रेस्ट मिल्क में फैट कंटेंट?
ब्रेस्ट मिल्क में लगभग 4 ग्राम के करीब फैट कंटेंट होना चाहिए। जन्म के पहले कुछ दूध दिनों में इनमें एंटीबॉडी पदार्थ भी पाए होते हैं जो एक नवजात शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं। यह बच्चे के शरीर में विभिन्न प्रणाली के विकास और उनके कार्य को बेहतर बनाने के लिए फायदेमंद होते हैं। तो आइए जानते हैं ब्रेस्ट मिल्क में फैट कंटेंट बढ़ाने का उपाय (how to increase fat in breast milk)
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ब्रेस्ट मिल्क में फैट कंटेंट बढ़ाने का उपाय (how to increase fat in breast milk)
1. बच्चे को ब्रेस्ट खाली करते हुए कई बार दूध पिलाएं
दूध पिलाने से बच्चे के दूध उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। प्रत्येक स्तनपान में अपने बच्चे को दोनों स्तनों से दूध पिलाएं। अपने बच्चे को पहले स्तन से दूध पिलाने के बाद दूसरे स्तन से भी दूध पिलाएं। कोशिश करें कि तब तक पिलाएं जब तक कि बच्चा दूध पीना खुद ही बंद न करे। दरअसल दोनों स्तनों को स्तनपान कराने से दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद कर सकती है। दोनों स्तनों से एक साथ दूध पंप करना भी दूध उत्पादन बढ़ाने और दूध में फैट बढ़ाने का आसान तरीका है।
2. प्रोटीन से भरा खान-पान रखें
मां के दूध में प्राकृतिक रूप से फैट बढ़ाने के लिए आपको प्राटीन युक्त खान-पान का खास ध्यान देना चाहिए। इसके लिए आप अपने खाने में अंडे, ड्राईफ्रूट्स, दूध, चिकन और मछली आदि से मिलने वाले हेल्दी प्रोटीन को जरूर शामिल करें। साथ ही अगर आप शाकाहारी हैं और आपको लग रहा है कि आप बच्चे को पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं दे पा रही हैं, तो आप लैक्टेशन स्पेशलिस्ट की मदद से प्रोटीन के सप्लीमेंट्स भी ले सकती हैं।
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3. आयुर्वेदिक हर्बस की मदद लें
कैनेडियन ब्रेस्टफीडिंग फाउंडेशन के अनुसार, अगर मां के दूध में फैट की कमी महसूस हो रही है और बच्चा लगातार कमजोर है, तो मां को अपने डाइत को ठीक करने के साथ कुछ खास जड़ी-बूटियों की भी मदद लेनी चाहिए। ये उनके स्तनों में दूध के उत्पादन को बढ़ा सकती हैं। इन खाद्य पदार्थों और जड़ी बूटियों में शामिल हैं:
- -लहसुन
- -अदरक का पानी
- -मेंथी भीगो कर खाएं
- -सौंफ
- -सौंठ पाउडर
4. ब्रेस्ट की मालिश करें
ब्रेस्ट की मालिश करना लैक्टेशन को बेहतर बानने में मदद कर सकता है। इससे मां के उन दूध के नलियों को भी फायदा पहुंचता है, जो बॉल्क होते हैं और उनसे दूध नहीं निकलता है। ये मालिश स्तनों के सभी ट्यूब्स को खोलकर दूध के प्रवाह में सुधार करती है। इसके लिए आपको हर दिन अपने स्तन को पकड़कर और धीरे से निचोड़ने की कोशिश करें। इस तरह लगातार कुछ दिनों तक मालिश करते रहें। ये मालिश, दूध के वसायुक्त अंशों को निपल्स की ओर ट्रांसफर करते हैं। इसलिए बार-बार कहा जाता है कि बच्चे को ज्यादा से ज्यादा दूध पिलाएं, ताकि इससे ब्रेस्टमिल्क में और बढ़ोतरी हो सके।
ब्रेस्ट मिल्क में फैट कंटेंट बढ़ाना तब तक आसान नहीं जब कि आप बच्चे को पूरा दूध न पिलाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि भले ही आप फैट कंटेंट बढ़ा भी लें, ये ब्रेस्ट के सबसे छिपे हुए मिल्क डक्टस से ही बाहर आएगा। इसलिए आपको अपने बच्चे तक फैट पहुंचाना है, तो खान-पान सही करें और बच्चे को दूध पूरा पिलाएं।
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