स्तनपान मां और शिशु दोनों के लिए ही लाभकारी होता है। खासतौर से, शिशु के प्रथम छह महीनों में तो आवश्यक रूप से स्तनपान कराना ही चाहिए। लेकिन कई बार देखा जाता है कि स्त्री स्तनपान को लेकर अपने मन में भ्रम पाले हुए होती है। मसलन, अगर स्त्री डायबिटीक है तो वह बच्चे को स्तनपान कराने से बचती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनका बच्चा भी कहीं मधुमेह ग्रस्त न हो जाए। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता। एक डायबिटीक मां को भी बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए। हालांकि इस दौरान आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
रोहिणी के सरोज सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. निशा जैन कहती हैं कि किसी भी स्थिति में स्त्री को शिशु को स्तनपान कराना ही चाहिए। अगर आप डायबिटीक भी हैं तो भी शिशु को स्तनपान कराने में कोई परेशानी नहीं है। लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आपकी मधुमेह नियंत्रण में रहे। इसके लिए आप अपने खानपान पर विशेष ध्यान दें। मीठे व तली हुई चीजों से थोड़ी दूरी बनाएं। साथ ही समय-समय पर मधुमेह की जांच कराती रहें। चूंकि गर्भावस्था में मां से बच्चे को मधुमेह होने का खतरा रहता है, इसलिए शिशु के जन्म के तुरंत बाद बच्चे का टेस्ट किया जाना जरूरी है। वहीं आप नियत समय पर डॉक्टर की सलाह पर बच्चे के जरूरी चेकअप करवाती रहें। जहां तक बात स्तनपान की है, उसे बिल्कुल भी न रोकें।
केस स्टडी
32 वर्षीय सुनीता जब गर्भवती हुई तो अचानक उसे डायबिटीज की समस्या शुरू हो गई और यह समस्या शिशु के जन्म के बाद भी थी। परिवारजनों व अपने मन के डर के कारण सुनीता अपने नन्हें शिशु को स्तनपान कराने से बचती थीं, जिसके कारण सुनीता का नवजात शिशु काफी बीमार रहने लगा। जब वह उसे डॉक्टर के पास लेकर गई तो डॉक्टर ने उसे समझाया कि मधुमेह का स्तनपान पर कोई असर नहीं पड़ता और बच्चे के हेल्दी जीवन के लिए स्तनपान बेहद जरूरी है। तभी से सुनीता ने शिशु को स्तनपान कराना शुरू किया, जिसके कारण अब उसका बच्चा स्वस्थ है। इतना ही नहीं, स्तनपान के कारण सुनीता का गर्भावस्था में बढ़ा हुआ वजन भी कम हो गया और उसकी मधुमेह की समस्या भी खुद ब खुद ठीक हो गई।
जरूरी है स्तनपान
किसी भी स्थिति में स्तनपान बच्चे के लिए बेहद जरूरी होता है। आप स्तनपान तब तक न रोकें, जब तक डॉक्टर आपसे ऐसा करने के लिए न कहें। स्तनपान मां और शिशु दोनों के लिए ही आवश्यक है। जहां स्तनपान से बच्चे को सांस और कान में संक्रमण, पाचन संबंधी परेशानी, अस्थमा यहां तक कि टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज विकसित होने की संभावना भी कम होती है, वहीं स्तनपान कराने से मां के रक्त शर्करा में गिरावट आने में मदद मिलती है, जिससे बाद में स्त्री को मधुमेह होने की संभावना कम होती है और इससे आपका बढ़ा हुआ वजन भी आसानी से कम हो जाता है। इतना ही नहीं, जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं उनमें भी स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर होने की संभावना कम होती है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन का भी मानना है कि मधुमेह पीड़ित महिलाओं के लिए स्तनपान कराना काफी अच्छा है।
चिकित्सीय मदद
कई बार डायबीटिक महिला को बच्चे को स्तनपान कराने में दिक्कत आती है। ऐसी महिलाओं का दूध उतने अच्छे से नहीं बनता या फिर मधुमेह का स्तर अधिक होने पर भी स्त्री के लिए स्तनपान कराना काफी कठिन हो जाता है। इस स्थिति में आप चिकित्सीय मदद ले सकती हैं। इसके लिए आप डॉक्टर से बात करके कुछ दवाईयों का सेवन कर सकती हैं। साथ ही एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। अपने आहार पर फोकस करें और थोड़ा एक्टिव रहें।
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