हर पेरेंट्स की ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा बड़ा होकर खूब आगे बढ़े और नाम कमाएं। तमाम परेशानियों को झेलने के बाद भी पेरेंट्स बच्चे की पढ़ाई लिखाई में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं। इसके लिए भले ही उन्हें बच्चों के साथ सख्त रवैया अपनाना पड़े लेकिन इससे भी वे पीछे नहीं हटते हैं। ऐसा ही एक सख्त कदम है बोर्डिंग स्कूल भेजना। कई बार पेरेंट्स बच्चे के रोने-धोने के बावजूद भी बोर्डिंग स्कूल भेज देते हैं ताकि वे बेहतर ढंग से सीख सकें। लेकिन, अकेलेपन के कारण बच्चे बोर्डिंग स्कूल जाने को लेकर डरते हैं। इससे उनके मन में डर बैठ जाता है और वे स्कूल जाने से दूर भागने लगते हैं। बच्चे को खुद से दूर करने से पहले पेरेंट्स को बोर्डिंग स्कूल सिंड्रोम के बारे में जान लेना चाहिए। साथ ही आपको इस बात का भी पता लगाना चाहिए कि कहीं आपका बच्चा इस सिंड्रोम का शिकार तो नहीं है। ताकि इस स्थिति से बेहतर ढंग से निपटा जा सके।
क्या है बोर्डिंग स्कूल सिंड्रोम
बोर्डिंग स्कूल सिंड्रोम कोई मेडिकल कंडीशन नहीं है लेकिन बोर्डिंग स्कूल सिंड्रोम में बच्चे को बोर्डिंग स्कूल जाने से डर लगता है। इस बात को लेकर उनके मन में तनाव और डर की स्थिति पैदा होने लगती है। उनके लिए ये एक ट्रॉमा हो सकता है। जिससे दूर भागने के लिए बच्चे कई तरह के बहाने बनाते हैं। कई बार ये स्थितियां बहुत गंभीर हो जाती है। जिसकी वजह से बच्चे अवसाद में चले जाते हैं और खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं। कई बार तो स्थिति ऐसी हो जाती है कि बच्चे किसी से अपनी बात तक कह नहीं पाते हैं। इसकी वजह से वह अंदर ही अंदर टूटने लगता है।
बच्चों में बोर्डिंग स्कूल सिंड्रोम के लक्षण
1. रोना
2. बेचैनी
3. भय
4. डिप्रेशन
5. तनाव
6. चिड़चिड़ापन
7. गुस्सा
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बच्चों में बोर्डिंग स्कूल सिंड्रोम का डर
1. अकेलापन और घर से दूरी
जब बच्चे को बोर्डिंग स्कूल भेज दिया जाता है, तब उसके मन में कई तरह के सवाल और विचार आते हैं। जिसमें वह अकेलापन महसूस करता है। उसे लगता है घर और पेरेंट्स जैसा कोई नहीं है। उसके अंदर यह डर बना रहता है कि अब उसे अनजाने लोगों के साथ रहना और अपने पेरेंट्स से न मिल पाने का डर उन्हें सताने लगता है।
2. सबके साथ घुल-मिल नहीं पाते
बोर्डिंग स्कूल सिंड्रोम से जूझ रहे बच्चे खुद को उस परिस्थिति में फिट नहीं कर पाते हैं। उनको किसी से बात करने, दोस्ती बढ़ाने या फिर घुलने-मिलने में मन नहीं लगता है। वे अकेले और चुप-चुप रहना पसंद करने लगते हैं और धीरे-धीरे ये डिप्रेशन का कारण बन सकता है।
3. अपनों से दूरी रहने का दर्द
अपनों के साथ बिताए गए समय आपको याद आते हैं। जिनके साथ आप बचपन से रहते हो। अचानक उनका साथ छूटने से बच्चे को परेशानी हो सकती है। वे हताश हो सकते हैं।
4. शांत होने लगता है उनका मन
घर पर हंसने खेलने वाला बच्चा अगर अचानक बाहर चला जाए, तो उनके मन में डर बैठ जाता है। इसी डर और तमात दिक्कतों में वे धीरे-धीरे अपने लोगों और दोस्तों से दूर होने लगते हैं। उन्हें किसी के साथ खेलना और बातें करना पसंद नहीं आता है। उन्हें अपने घर-परिवार की याद आती है।
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