
शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक ऐसे ब्लड टेस्ट को विकसित करने में कामयाबी हासिल की है जो जीन गतिविधि की व्याख्या करेगा। इसके साथ ही यह एस्पिरिन के लिए भी व्यक्ति की प्रतिक्रिया का पता लगाएगा। जीन की अभिव्यक्ति एस्पिरिन के प्रभाव को मापने में मदद करती है।
अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के ऑनलाइन जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, इस टेस्ट से यह पहले ही पता लगाया जा सकेगा कि किसे हार्ट अटैक का खतरा है। ड्यूक यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर जीनोम साइंस एंड पॉलिसि के डायरेक्टर एवं वरिष्ठ लेखक जेफ्री एस गीनसबर्ग ने अपने सहयोगियों के साथ किए गए शोध में हृदय संबंधी बीमारी या स्ट्रोक वाले मरीजों में एस्पिरिन प्रतिरोध की अवधारणा को मान्यता दी है।
इसे परखने के लिये शोधकर्ताओं ने सभी रोगियों को खुराक की बराबर मात्रा दी। इनमें से कुछ रोगियों को ज्यादा एस्पिरिन की जरूरत थी, जबकि उनमें से कुछ ऐसे भी थे जिन्हें अलग तरह की चिकित्सीय उपचार की जरूरत थी। गीनसबर्ग के मुताबिक उनमें से कुछ रोगियों की निगरानी करने के लिए बेहतर उपकरणों की जरूरत थी। अध्ययन से निकले निष्कर्षों के आधार पर सही दिशा में कोशिश करने की जरूरत है।
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