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डायबिटीज रोगियों के इलाज में मददगार है Stem Cell Therapy, जानें कितनी सुरक्षित और प्रभावी है यह थेरेपी

डायबिटीज से आपको कई तरह की समस्याएं हो सकती है। आगे जानते हैं डायबिटीज रोगियों के लिए स्टेम सेल थेरेपी के फायदे।   
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डायबिटीज रोगियों के इलाज में मददगार है Stem Cell Therapy, जानें कितनी सुरक्षित और प्रभावी है यह थेरेपी

आज के समय में अधिकतर व्यक्ति डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की समस्या परेशान हैं। दरअसल, शहरी माहौल में खानपान और लाइफस्टाइल में आए बदलाव की वजह से शरीर में कई तरह के रोग होने लगे हैं। डायबिटीज में शरीर की इंसुलिन नेचुरली रूप से नहीं बन पाती है। जिसकी वजह से ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ने लगता है। इस समस्या के कारण लोगों को कई तरह के अन्य रोग होने का खतरा बढ़ सकता है। लेकिन, आज के दौर में स्टेम सेल थेरेपी ये दावा करती है कि इसके उपयोग से डायबिटीज का इलाज किया जा सकता है। इस विषय पर हमने अपोलो स्पेक्ट्रा के इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉक्टर अनुपमा सिंह से बात कि तो उन्होंने स्टेम सेल से डायबिटीज का इलाज करने के बारे में बताया। 

डायबिटीज रोगियों के लिए स्टेम सेल थेरेपी के फायदे - Benefits Of Stem Cell Transplant For Diabetes Patient In Hindi 

बीटा सेल फंक्शन को दोबारा से ठीक करना

स्टेम सेल ट्रांसप्लांट पैंक्रिया के बीटा सेल फंक्शन को दोबारा से ठीक करता है। बीटा सेल इंसुलिन के उत्पादन का कार्य करता है, इंसुलिन हार्मोन शरीर के ग्लूकोज को नियत्रिंत करने का कार्य करता है। टाइप 1 डायबिटीज में बीटा सेल गलती से इम्यून सिस्टम पर हमला करने लगते हैं। जिसकी वजह से इंसुलिन में कमी आती है। वहीं, टाइप 2 डायबिटीज में बीटा सेल समय के साथ निष्क्रिय हो जाती हैं। स्टेम सेल ट्रांसप्लांट में मुख्य रूप से प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल का उपयोग किया जाता है, जो बीटा सेल के नए उत्पादन को बढ़ा सकता है। बीटा सेल थेरेपी से ग्लुकोज को नियंत्रित करने में काफी सुधार होता है।

stem cell therapy for diabetes

इंसुलिन निर्भरता कम करना

डायबिटीज रोगियों में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट इंसुलिन की निर्भरता को कम करता है। टाइप 1 डायबिटीज के लोगों को स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से इंसुलित इंजेक्शन लेने के आवश्यकता कम हो जाती है। साथ ही टाइप 2 डायबिटीज के लोगों के ब्लड शुगर के लेवल में सुधार होता है। साथ ही, हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा कम हो सकता है। 

लंबे समय तक उपयोगी

स्टेम सेल ट्रांसप्लांट एक स्थायी प्रभाव वाला इलाज माना जाता है। कई बार डायबिटीज के रोगियों को लंबे समय तक दवाओं का सेवन करना पड़ सकता है। लेकिन, बीटा सेल ट्रांसप्लांट से डायबिटीज के रोगियों में ग्लाइसेमिक को नियंत्रित किया जाता है। यह अधिक उम्र के लोगों में डायबिटीज के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है।  

टाइप 1 मधुमेह, जिसे इंसुलिन-निर्भर मधुमेह के रूप में भी जाना जाता है, एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो तब होती है जब आपके शरीर के एंटीबॉडी आपके पैंक्रियाज पर हमला करते हैं। इसके डैमेज होने से इंसुलिन का उत्पादन बंद हो जाता है। टाइप 1 डायबिटीज कम आयु के लोगों को होता है। इसे दूर करने के लिए स्टेम सेल थेरेपी का उपयोग किया जाने लगा है। 

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पहले यह थेरेपी केवल बाहर के देशों में ही होती थी। लेकिन, बीते कुछ माह से यह थेरेपी अपने देश में भी अपनाई जाने लगी है। बीते वर्ष, कानपुर शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हेटेल में देश का सबसे पहला फैट ड्राइव स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किया गया था। इस ट्रांसप्लांट के बेहतर रिजल्ट सामने आए थे। 

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