कार्बोहाइहाड्रेट से भरे आलू का सेवन छोटे बच्चों के लिए लाभदायक हो सकता है। यह उबलने के बाद मुलायम हो जाते हैं। यही वजह है कि छोटे बच्चे इसे आसानी खा लेते हैं। आलू बच्चों में ऊर्जा का अच्छा स्रोत है। अक्सर जो बच्चे मां का दूध पीते हैं और माताएं दूध छुड़वाकर सबसे पहले जिस खाद्य पदार्थ का सेवन कराना पसंद करती हैं, वह आलू है। छोटे बच्चों को आलू का सेवन कब से कराना चाहिए और इसके सेवन से छोटे बच्चों को क्या लाभ मिलते हैं, इसके बारे में बता रही हैं नमामी लाइफ की न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर।
शिशुओं को आलू खिलाना कब शुरू करें?
इस सवाल के जवाब में डॉ. शैली तोमर का कहना है कि शिशुओं को आलू का सेवन 6 माह के ऊपर होने पर कराना चाहिए। इस समय तक शिशुओं के दांत आ जाते हैं। इस वजह से दूध के अलावा उन्हें पोषण के लिए अन्य खाद्य पदार्थ चाहिेए होते हैं। ऐसे में आलू सही चुनाव है। न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कनहा है कि आलू मुलायम होते हैं, इसलिए 6 माह से ऊपर बच्चे को मैश्ड पटैटो देना लाभदायक है। आलू को उबालकर अन्य सब्जियों व फलों के साथ इसे दिया जा सकता है। 9 महीने से ऊपर शिशु भी भुना हुआ या ग्रिल किया हुआ आलू दिया जा सकता है। इसे शिशु को चटाया जा सकता है।
शिशुओं को आलू खिलाने के फायदे
ऊर्जा का स्रोत
न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है शिशु जब बड़ा होता है तब उसे ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। ऐसे में वह केवल मां के दूध पर निर्भर नहीं रह सकता है। इस जरूरत पूरा करने के लिए बच्चे को आलू दिया जा सकता है। आलू कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होते हैं, जो सही मात्रा में ऊर्जा बच्चे को देते हैं। इसेक साथ ही बच्चे की भूख का भी निदान हो जाता है। 1 मध्यम साइज आलू में 70 से 80 किलोकैलोरीज होती हैं।
बीमारियों से रखे दूर
आलू में इतने गुण होते हैं कि अगर सही मात्रा में आलू बच्चे को दिया खाने के लिए तो वह जल्द बीमार नहीं पड़ेगा। न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि आलू में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो शिशु को बीमारियों से दूर रखते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए
छोटे बच्चे बीमार जल्दी पड़ते हैं। उन्हें बीमारी से बचाने के लिए जरूरी है कि उन्हें सही आहार दिया जाए, ताकि उनकी इम्युनिटी स्ट्रांग रहे। न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि आलू में एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे फ्लेवनॉइड्स और कैरोटेनोइड्स होते हैं जो इम्युनिटी को बूस्ट करने में मदद करते हैं। आलू बच्चों में इम्युनिटी बढ़ाने का बेहतर तरीका है।
पोषक तत्त्वों का खजाना
आलू पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है। 1 मीडियम उबले हुए आलू में करीब 30% विटामिन सी, 30% विटामिन बी6 और 25% पोटैशियम पाया जाता है, लेकिन आलू को फ्राई करने से उसके पोषक तत्त्व कम हो जाते हैं। शिशुओं को उबालकर, बेक्ड और रोस्टेड फॉर्म में आलू देना चाहिए।
पचने में आसान
आलू पचने में आसान होते हैं। ये बच्चों को डायरिया जैसी परेशानियों से भी बचाते हैं। आलू में प्रतिरोधी स्टार्च पाया जाता है। जो बच्चे के gut bacteria के लिए बेहतर होता है।
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ग्लूटन फ्री
आलू में प्राकृतिक रूप से ग्लूटन नहीं होता है, इसका मतलब है कि यह जिन बच्चों को ग्लूटन या गेहूं से एलर्जी होती है, उनके लिए फायदेमंद हैं। आलू ग्लूटन फ्री डाइट है। बच्चों को अलग-अलग तरीकों से आलू दिया जा सकता है। आलू को कई तरीकों से पकाकर इसमें सब्जी व फल मिलाए जा सकते हैं। इसमें अलग फ्लेवर मिलकर इसे और लजीज बनाया जा सकता है। आप आलू को खिचड़ी, दलिया आदि के साथ मिलाकर खा सकते हैं। इसमें दाल या हरी सब्जियां भी मिलाई जा सकती हैं। अलग-अलग तरह के सूप में टमाटर की प्यूी भी मिलाई जा सकती है।
गैस की परेशानी को रखे दूर
बच्चों में गैस की परेशानी होना आम है। आलू का सेवन इस परेशानी से बचाता है। आलू में ऐसे एसिड होते हैं तो बच्चे के पेट में एसिडिटी नहीं बनने देते जिस वजह से उन्हें गैस की समस्या नहीं होता। दूसरा, आलू में पाए जाने वाले फोलेट, कैल्शियम, आयरन आदि शिशु के विकास के लिए जरूरी होते हैं।
त्वचा को रखे स्वस्थ
शिशु की त्वचा को सुरक्षित रहे उसके लिए भी आलू बहुत लाभदायक है। आलू में विटामिन सी व अन्य गुण पाए जाते हैं जो शिशु की सेहत के लिए बेहतर होते हैं और शिशु की त्वचा को सुरक्षित रखते हैं। आलू से शिशु की त्वचा को भी पोषक तत्त्व मिलते हैं।
1 दिन में कितना आलू खिला सकते हैं बच्चे को?
बच्चों के लिए 6-9 महीने के बच्चों को 1-2 टीस्टपून चम्मच आलू मैश किया हुआ दिन में 3 बार दिया जा सकता है। या आलू का इतना ही अमाउंट खिचड़ी या सूप में मिलाया जा सकता है। 9 महीने से लेकर 12 महीने तक के बच्चों को उबले हुए आलू चम्मच से खिलाने चाहिए ताकि उनमें खुद से खाने की आदत पड़े। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है जैसे अगर बच्चा 3 साल का हो गया है तो आप आधा उबला हुआ आलू उसे अलग-अलग पकी हुई सब्जियों के साथ मिला सकते हैं। इसे आप चुकंदर टमाटर की प्योरी, ब्रोकोली पोटैटो प्योरी आदि दी जा सकती है। बड़े बच्चों को आलू का पराठा या दही आली या आलू से भरा हुआ सैंडविच दिया जा सकता है। इसके अलावा गेहूं से बन में आलू की टिक्की बनाकर भी सर्व की जा सकती है।
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सावधानियां
- न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि ध्यान रखें कि बचिचों को फ्राइड आलू जैसे चिप्स, फ्रेंच फ्राई, डिपफ्राइड पटैटो पकोड़ा न दिया जाए। इस तरह के आलू में तेल भरा हुआ होता है जो शिशु के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। शिशुओं को कभी-कभी फ्राय किया हुआ आलू दिया जा सकता है, पर हमेशा नहीं। हमेशा आप उबला हुआ, बेक्ड, ग्रिल्ड और रोस्टेड आलू दे सकते हैं।
- शिशु को जब आलू खिलाना शुरू करें तो ध्यानरहे कि शुरुआत में उसे थोड़ा आलू ही खिलाएं। एक बार में 1 चम्मच आलू दें। ताकि बच्चा आराम से उसे खा ले।
- आलू को अच्छी तरीके से साफ करके ही बच्चे को खिलाएं। साथ ही आलू को और पौष्टिक बनाने के लिए उसमें हरी-सब्जियां भी मैश करके मिलाएं। ताकि शिशु को सभी पोषण मिल सकें।
- तय मात्रा से ज्यााद आलू शिशु को न दें।
आलू में विटामिन सी, कैल्शियम, फोलेट, मै्ग्नेशियम, कार्बोहाइड्रेट आदि पोषक तत्त्व पाए जाते हैं, जो शिशु के विकास के लिए जरूरी हैं। आलू का सेवन शिशु के लिए जरूरी है।
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