जानें क्‍यों सामान्‍य प्रसव से जन्‍मे बच्‍चे होते हैं सेहतमंद

हाल में एक शोध से ये बात साबित हुई है कि सामान्य प्रसव से पैदा होने वाले बच्‍चे अधिक सेहतमंद होते हैं, कैसे? इस जवाब के लिए ये लेख पूरा पढ़ें और जानें।
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जानें क्‍यों सामान्‍य प्रसव से जन्‍मे बच्‍चे होते हैं सेहतमंद


पहले साइंस ने ना इतनी ज्यादा प्रगति की थी और ना खाने के इतनी सारी वैरायटी मिलती थी। ना फोन, ना बिजली... कैसी होगी लाइफ। जैसी भी होगी अच्छी होगी। क्यों? क्योंकि पहले ना इतनी सारी बीमारियां थी और ना इतना ज्यादा प्रदूषण। अब बहस शुरू होती है साइंस और आज की सुविधाजनक जीवन को लेकर। ये बात शत-प्रतिशत सही है कि पहले शिशु मृत्यु दर और वर्तमान के अपेक्षा अधिक थी। लेकिन ये भी सच है कि पहले के बच्चे ज्यादा हेल्दी थे। पहले के बच्चों के हेल्दी होने के कारणों में सबसे बड़ा कारण है कि पहले सभी बच्चों की डिलिवरी सामान्य तरीके से होती थी। आज ये बात जगजाहिर है कि जिन बच्चों की डिलिवरी सामान्य तरीके से होती है वे ऑपरेशन से हुए बच्चों से ज्यादा सेहतमंद होते हैं।

गर्भावस्था

'बर्थ डिफेक्ट्स रिसर्च'

हाल ही में 'बर्थ डिफेक्ट्स रिसर्च' नामक पत्रिका में एक शोध प्रकाशित हुआ है जिसके अनुसार बच्चे का जन्म यदि आधुनिक चिकित्सा पद्धति यानी सी-सेक्शन के स्थान पर सामान्य तरीके से होता है तो, वह ज्यादा स्वस्थ होता है। अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था और प्रसव के दौरान माइक्रोबायोम वातावारण में गड़बड़ी, विकसित होते बच्चे के शुरुआती माइक्रोबायोम को प्रभावित कर सकती हैं। इस कारण भविष्य में बच्चे को कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।


इम्यून सिस्टम होता है प्रभावित

इस शोध के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि 'सी-सेक्शन' प्रसव जैसी आधुनिक चिकित्सा पद्धतियां शिशु के माइक्रोबायोम को प्रभावित करती हैं जिससे बच्चों की इम्युन सिस्टम, मेटाबॉलिज्म और तंत्रिका संबंधी प्रणालियों को प्रभावित करते हैं और उनके विकास पर नकारात्मक असर पड़ता है। अमेरिका के ओहियो में 'केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन' के सहायक प्रोफेसर शेरोन मेरोपोल के अनुसार, शिशु के स्वास्थ्य के लिए केवल शिशु के साथ उसकी मां के मोइक्रोबायोम की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।


एलर्जी, दमा जैसी होती है बीमारियां

प्रोफेसर मेरोपोल के अनुसार, शिशु के माइक्रोबायोटा में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होने पर एलर्जी, दमा, मोटापा, और ऑटिज्म जैसे तंत्रिका विकास संबंधी कई बीमारियां बच्चों को भविष्य में होने की संभावना होती है। इस अध्ययन में सामान्य प्रसव, जन्म के तत्काल बाद मां की त्वचा का शिशु की त्वचा से संपर्क और स्तनपान जैसी पारंपरिक क्रियाएं बच्चे में माइक्रोबायोम के विकास को बढ़ाने और बच्चे के स्वास्थ्य विकास में सकारात्मक प्रभाव डालने में सहायक होते हैं।

 

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