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गले और छाती में जमे बलगम से राहत पाने के लिए अपनाएं ये 3 आयुर्वेदिक नुस्खे

आयुर्वेद में हर छोटी-बड़ी बीमारी का इलाज बताया गया है। सर्दियों में आयुर्वेदिक नुस्खों की मदद से आप खुद को खांसी-जुकाम और बलगम जैसी मौसमी समस्याओं से भी बचा सकते हैं। 
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गले और छाती में जमे बलगम से राहत पाने के लिए अपनाएं ये 3 आयुर्वेदिक नुस्खे


आयुर्वेद को अगर अच्छे से समझने की कोशिश करें, तो आयु + वेद को मिलाकर आयुर्वेद बनता है। इसका शाब्दिक अर्थ आयु का वेद होता है। यह विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा (Medical System) प्रणाली है। यही वजह है कि आयुर्वेद में छोटी से बड़ी हर समस्या का समाधान बताया गया है। आयुर्वेद हमे बीमारी से बचने के उपाय भी बताता है और निरोगी जीवन जीने का रास्ता भी दिखाता है। सर्दियों के मौसम में आप कई आयुर्वेदिक नुस्खों का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल, इस मौसम को लोग बीमारी का घर भी कहते हैं, लेकिन आयुर्वेदिक नुस्खों की मदद से आप इम्यून सिस्टम को मजबूत बना सकते हैं। आजकल के समय में सर्दी के मौसमी केहर के साथ-साथ प्रदूषण भी लोगों को बीमार बनाने में एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है। ऐसे में कई लोग छाती और गले में बलगम जमने की समस्या का सामना कर रहे हैं। आमतौर पर बलगम की समस्या से बचने के लिए लोग अंग्रेजी दवाइयों और कफ सिरप का सेवन करते हैं। हालांकि, इससे बलगम की समस्या का हल नहीं होता है। अगर आप भी छाती और गले में जमे बलगम के कारण परेशान हैं, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. राघव ठुकराल से कुछ आसान और असरदार नुस्खे जान सकते हैं।

इन आयुर्वेदिक नुस्खों की मदद लें 

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सरसों के तेल की मालिश

गले और छाती में जमे बलगम से बचने के लिए आप सरसों के तेल से मालिश कर सकते हैं। इसके लिए आपको सरसों के तेल में नमक डालना है। अब इस तेल को गर्म करें और अपनी छाती पर मालिश करें। यह नुस्खा वयस्कों, बच्चों और बुजुर्गों सभी के लिए कारगर साबित होगा।

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शहद और त्रिकटु चूर्ण

आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों को मिलाकर चूर्ण बनाया जाता है। इन्हीं में से एक त्रिकटु चूर्ण होता है। इसे काली मिर्च, पिप्पली और सौंठ को मिलाकर बनाया जाता है। ऐसे में आप शहद के साथ त्रिकटु चूर्ण को मिलाकर खाना खाने के बाद खा सकते हैं। इससे बलगम की समस्या से बचा जा सकता है।

 

 

 

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सितोपलादि चूर्ण

बलगम की समस्या से बचने के लिए आप शहद के साथ सितोपलादि चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम सेवन कर सकते हैं। त्रिकटु चूर्ण की ही तरह सितोपलादि चूर्ण भी होता है। इसे बनाने के लिए मिश्री को काटकर उसका पाउडर बनाया जाता है। इसके बाद पिपली और वंशलोचन को पीसकर पाउडर बना लेते हैं। आपका सितोपलादि चूर्ण तैयार है। शहद और सितोपलादि का कॉम्बिनेशन बलगम की समस्या के लिए फायदेमंद होता है।  

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अगर आप लंबे समय से गले और छाती में जमे बलगम की स्थिति का सामना कर रहे हैं, तो शरीर को ढेरों फायदे हो सकते हैं। आप ऊपर बताए इन नुस्खों से बलगम की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। इसके साथ ही, आपको सर्दी और प्रदूषण दोनों से खुद को बचाना चाहिए। ऐसे में आप मास्क लगा सकते हैं। इससे दूषित हवा शरीर के अंदर नहीं जाएगी। साथ ही, चेहरे के आसपास गर्मी भी बनी रहेगी। 

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