प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों यानी गर्भावस्था के पहले तिमाही में ज्यादातर महिलाओं को मतली और मॉर्निंग सिकनेस की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह समस्या तब होती है जब हार्मोनल बदलाव शरीर में तेजी से होते हैं, जिससे पाचन तंत्र पर असर पड़ता है और महिलाओं को उल्टी और मतली का एहसास होता है। मतली और मॉर्निंग सिकनेस की समस्या के कारण महिलाओं को थकान, कमजोरी और असुविधा का सामना करना पड़ता है। आयुर्वेद में इसके समाधान के लिए कई प्राकृतिक और घरेलू उपाय सुझाए गए हैं जो न केवल सुरक्षित हैं, बल्कि प्रभावी भी हैं। इस लेख में लखनऊ के मा-सी केयर क्लीनिक की आयुर्वेदिक डॉक्टर और स्तनपान सलाहकार डॉ. तनिमा सिंघल से जानिए, कौन-कौन से आयुर्वेदिक उपचार इस समस्या में मददगार साबित हो सकते हैं और किस तरह इन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है।
मतली और मॉर्निंग सिकनेस दूर करने के आयुर्वेदिक उपाय
1. अदरक का सेवन
अदरक का सेवन आयुर्वेद में मतली और मॉर्निंग सिकनेस के इलाज के रूप में प्रभावी माना गया है। अदरक में ऐसे तत्व होते हैं जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं और उल्टी की समस्या को कम करते हैं। आप अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े चबाकर इसे खा सकती हैं या फिर अदरक की चाय बनाकर पी सकती हैं। अदरक का एक छोटा टुकड़ा लें, उसे कद्दूकस करके एक कप पानी में उबालें। इसमें थोड़ा शहद मिलाकर पीने से मतली में राहत मिलती है।
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2. पुदीना की पत्तियां
पुदीना की पत्तियों का ठंडा और ताजगी भरा प्रभाव होता है, जो पेट की मरोड़ और उल्टी के एहसास को कम करने में मदद करता है। पुदीना आयुर्वेद में एक प्राकृतिक उपचार के रूप में जाना जाता है। आप पुदीना की चाय बनाकर या पुदीने की पत्तियों को सीधे चबा सकती हैं।
3. सौंफ का पानी
सौंफ का पानी प्रेग्नेंसी में पाचन तंत्र को सही रखने में सहायक होता है। सौंफ की ठंडी प्रकृति और पाचन गुण मतली और उल्टी को रोकने में मदद करते हैं। सौंफ का पानी बनाकर पीने से पेट में राहत महसूस होती है। एक चम्मच सौंफ को एक गिलास पानी में रात भर भिगो दें, सुबह इसे छानकर पीने से लाभ मिलता है।
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4. इलायची का सेवन
इलायची का सेवन उल्टी के एहसास को कम करने में सहायक होता है। इसका ताजगी भरा स्वाद मन को शांत करता है और पाचन तंत्र को भी लाभ पहुंचाता है। जब भी आपको मतली का एहसास हो, एक इलायची लेकर उसे धीरे-धीरे चबाएं।
5. नींबू और शहद
नींबू का खट्टा स्वाद उल्टी को रोकने में सहायक होता है। नींबू और शहद का मिश्रण ना केवल ताजगी देता है, बल्कि यह पेट को भी हल्का बनाए रखता है। एक गिलास पानी में एक चम्मच शहद और आधे नींबू का रस मिलाकर पीएं।
6 आंवला का रस
आंवला का रस पाचन को सुधारता है और इम्यूनिटी को मजबूत बनाता है। प्रेग्नेंसी में आंवला का सेवन मतली और मॉर्निंग सिकनेस से राहत देने में मदद करता है। एक गिलास पानी में आंवला का रस मिलाकर सुबह-सुबह पिएं।
निष्कर्ष
प्रेग्नेंसी के दौरान मतली और मॉर्निंग सिकनेस से निपटने के लिए इन प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपायों को आजमाया जा सकता है। ऊपर बताए गए उपाय न केवल प्रभावी हैं, बल्कि गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए भी सुरक्षित हैं।
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