शोधों के मुताबिक, डायबिटीज़ के मरीजों की सबसे बड़ी संख्या भारत में है। हालांकि देश में अभी भी बहुत से लोग डायबिटीज के प्रति बहुत जागरूक नहीं है। डायबिटीज़ रोग का इलाज संभव नहीं है लेकिन डायबिटीज को नियंत्रित जरूर किया जा सकता है। एक समय था जब डायबिटीज़ बड़े-बुजुर्गों को ही होती थी, लेकिन अब आधुनिक जीवनशैली और अंसतुलित आहार के कारण ये बीमारी बच्चों में भी पनपने लगी है। डायबिटीज को आयुर्वेदिक उपचार-पद्वति से नियंत्रित किया जा सकता है। आइए जानें डायबिटीज 1 के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में।
- डायबिटीज के मरीजों को शुद्ध शिलाजीत की कुछ मात्रा में मलाई निकाले हुए दूध के साथ दिन में दो बार देना चाहिए।
- नीलम पिष्टी की कुछ मात्रा शहद के साथ दिन में दो बार चटाने से डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।
- आयुर्वेदिक उपचार कम से कम तीन महीने तक लेना चाहिए जिससे आयुर्वेदिक रसायन डायबिटीज को संतुलित करने में लाभकारी हो।
- आँवला जूस को हल्दी पावडर में मिला कर दिन में दो बार लेने से खून में शक्कर की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है।
- डायबिटीज के मरीजों को टमाटर, खीरे और करेला का मिक्स जूस निकालकर खाली पेट पीने से डायबिटीज में बहुत लाभ मिलता है।
- सौंफ खाने से भी डायबिटीज को नियंत्रण में किया जा सकता है।
- काले जामुन डायबिटीज के मरीजों के लिए सबसे बढि़या आयुर्वेदिक उपचार है।
- शतावर रस और दूध एक ही मात्रा में लेने से डायबिटीज कम करने में मदद मिलती है।
- प्रतिदिन नीम और केले के पत्तों का रस लेना अत्यंत लाभकारी होता है।
- आँवले का रस, गुडमार की पत्ती का काढ़ा भी डायबिटीज नियंत्रण के लिए बहुत लाभकारी है।
- गेहूँ के छोटे-छोटे पौधों का रस कई असंभव बीमारियों को भी जड़ से मिटा डालता है। डायबिटीज के मरीज को प्रतिदिन सुबह और शाम आधा कप ज्वांरे का ताजा रस देने से बहुत लाभ मिलता है।
- इसके साथ ही अगर डायबिटीज के मरीज आयुर्वेदिक उपचार के अलावा थोड़ी सी सावधानी अपनाएंगे तो अपना जीवनयापन एक स्वस्थ व्यक्ति की तरह कर सकते हैं।
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