हरी-भरी दिखने वाली पूतिकरंज की जड़ी-बूटी सेहत को भी अपने गुणों से हरा-भरा रखती है। पूतिकरंज को लताकरंज भी कहा जाता है। इसके सेवन से बुखार, मलेरिया, बवासीर, मधुमेह आदि परेशानियां दूर होती हैं। हापुड़ के चरक आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में शल्य चिकित्सा विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. भारत भूषण का कहना है कि लताकरंज एक हर्ब है। यह वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करती है। इसके बीजों का अनूठा प्रयोग शरीर को निरोगी बनाने के लिए किया जाता है। जब इन्हें रफ सर्फेस पर छिसा जाता है तब ये तुरंत गर्म हो जाते हैं। डॉ. भारत भूषण से जानते हैं कि लताकरंज का उपयोग विभिन्न बीमारियों को ठीक करने में कैसे करना है।
लताकरंज क्या है?
लतारकंज एक आयुर्वेदिक लता है। इस लता में कांटे बहुत होते हैं। इसके पत्ते, फल, शाखाएं सभी में कांटे होते हैं। इसलिए इसके पत्तों को बहुत आराम से काटना होता है। इसकी लताएं लगभग 20 मीटर लंबी होती हैं। इस पेड़ की यह खासियत है कि यह नदी, नालों, तालाबों आदि के बाद आराम से मिल जाता है। यह गांवों के मुकाबले शहरों में अधिक पाया जाता है। इसके फल पर बहुत अधिक कांटे होते हैं।
लताकरंज के विभिन्न नाम
लताकरंज को विभिन्न जगहों पर विभिन्न नामों से जाना जाता है। पूतिकरंज का बोटैनिकल नाम Caesalpinia crista है। इसे Caesalpinia bonduc भी कहा जाता है। यह सेजैलपिनिएसी (caesalpiniaceae) कुल का पौधा है। यहां लताकरंज के विभिन्न अलग-अलग भाषाओं में निम्न प्रकार से हैं-
- हिंदी - कंजा, कंटकरंज, करंजु
- अंग्रेजी - फीवर नट (Fever nut)
- संस्कृत - पूतिकरंज, लताकरंज, विटपकरंज
संस्कृत में इसे निम्न नामों से भी जाना जाता है-
- कंटकिकरंज - क्योंकि यह एक कांटेदार झाड़ी है।
- कुबेरक्षा - इसके बीज आंखों के आकार के समान होते हैं।
लताकरंज के औषधीय गुण
- गुण (विशेषता) - लघु (पचने में हल्का), रूक्षा (सूखापन)
- रस (स्वाद) - तिक्ता, कड़ावा, कक्षाय (Astringent)
- विपाक- पचने के बाद स्वाद कटु हो जाता है।
- वीर्य - गर्म शक्ति
लताकरंज के उपयोगी भाग
- जड़ की छाल
- पत्ते
- बीज
लताकरंज के फायदे और प्रयोग
प्रोफेसर भारत भूषण का कहना है कि लताकरंज भारत में आमतौर पर साउथ और इस्टर्न पार्ट में पाई जाती है। इसके फायदे निम्न प्रकार से हैं।
मलेरिया बुखार का इलाज
प्रोफेसर भारत भूषण का कहना है कि लताकरंज का उपयोग भारत में बड़े स्तर पर मलेरिया के इलाज में किया जाता है। यह एक एंटीस्पार्मोडिक हर्ब है जो ऐंठन को दूर करने में भी लाभाकरी है। यह कई तरह के बुखार में प्रयोग में लाई जाती है। यही वजह है कि इसे फीवर नट भी कहा जाता है।
बवासीर
बवासीर एक कष्टकारी परेशानी है। कई बार कब्ज की परेशानी होने पर बवासीर की दिक्कत हो जाती है। ऐसे में मरीज का उठना-बैठना, चलना-फिरना आदि दिक्कत में आ जाता है। बवासीर में लताकरंज का उपयोग अलग-अलग तरीको से होता है। इसके जड़, छाल, पत्ते आदि उपयोग में लाए जाते हैं। प्रोफेसर भारत भूषण का कहना है कि लताकरंज के पत्तों को पीसकर रोगी को पिलाने से बवासीर में फायदा मिलता है। यह स्वाद में बहुत कड़वा होता है। ऐसे में इसके अन्य उपयोग को लेकर आप नजदीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से बात कर सकते हैं। लताकरंज का उपयोग डायरिया होने पर भी किया जाता है। बवासीर होने पर डाइट का भी बहुत ध्यान रखना पड़ता है।
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उल्टी रोकने में कारगर
लताकरंज का उपयोग उल्टी को रोकने के लिए भी किया जाता है। उल्टी होने पर लताकरंज के पाउडर को शहद में मिलाकर चाटने से आराम मिलता है। लताकरंज के पत्तों को सुखाकर उसका चूर्ण बना लें, इसे कांच के किसी कंटेनर में बंद करके रखें, परेशानी होने पर इसे चाट लें। नहीं तो इसकी गोलियां बनाकर भी रखी जा सकती हैं, उसका भी उपयोग उल्टियों को रोकने में किया जा सकता है।
रक्त विकार
रक्त विकार जैसे एक्वायर्ड प्लेटलेट फंक्शन डिफेक्ट्स, कॉन्जेनिटल प्लेटलेट फ़ंक्शन दोष, प्रोथ्रोम्बिन की कमी आदि ऐसे रक्त विकारों में लताकरंज फायदा करता है। इन बीमारियों में लताकरंज का उपयोग कैसे करना है, इसके बारे में चिकित्सक से पूछें।
पेट के कीड़े भगाए
छोटे बच्चों को अक्सर पेट में कीड़े हो जाते हैं। इन कीड़ों को भगाने में लताकरंज बहुत लाभकारी है। इसके तेल को पिलाने से कीड़े मर जाते हैं।
त्वचा रोगों में लाभकारी
त्वचा में खुजली, दाद, फंगल इंफेक्शन आदि परेशानी होने पर पूतिकरंज का उपयोग किया जाता है। त्वचा रोग होने पर पूतिकरंज के पत्तों को पीसकर उसमें कनेर की जड़ मिलाकर खुजली या प्रभावित जगह पर लेप लगाने से फायदा मिलता है। त्वचा रोगों में लता करंज कई तरह से उपयोग में लाया जाता है, इसके बारे में अधिक जानकारी अपने नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से लें। पूतिकरंज यूरिनर ट्रैक्ट डिसऑर्डर में भी फायदा करता है। लताकरंज घाव को भरने में भी लाभकारी है।
खांसी में लाभदायक
लताकरंज का काढ़ा बनाकर पीने से खांसी में लाभ मिलता है। काढ़ा बनाते उसमें थोड़ी काली मिर्च भी डाल लें, ताकि उसके भी गुण काढ़े में आ जाएं। बदलते मौसम की खांसी, जुकाम, बुखार संबंधी परेशानियों में लताकरंज बहुत लाभदायक है। गांवों में आज भी लताकरंज का उपयोग किया जाता है। खांसी से ठीक होने में आज भी लताकरंज का उपयोग किया जाता है।
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मधुमेह का इलाज
मधुमेह आज की प्रमुख बीमारियों में से एक है। आज ज्यादातर लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं। बड़े ही नहीं, बल्कि छोटे भी मधुमेह से पीड़ित हैं। चूंकि पूतिकरंज का स्वाद कड़वा होता है, ऐसे में यह मधुमेह के रोगियों के लिए रामबाण दवा है। इसकी पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से मधुमेह के रोगियों की बार-बार पेशाब आने की समस्या में आराम मिलता है। डायबिटीज में इसकी खुराक कैसे लेनी है, इसके बारे में नजदीकी डॉक्टर से परामर्श लें।
आंखों के लिए लाभदायक
वर्क फ्रॉम होम में ज्यादा काम कंप्यूटर पर निर्भर हो गया है। ऐसे में आंखों में ड्रायनेस, खुजली, लालपन, रोशनी का कम होना आदि परेशानियां लोगों को झेलनी पड़ रही हैं। इन परेशानियों से बचाने में लताकरंज बुत लाभकारी है। इसके बीजों का काढ़ा बनाकर लाभ मिलता है।
सावधानी
- लताकरंज का उपयोग किसी डॉक्टर के निर्देश पर ही करें। उनकी बताई खुराक का ही सेवन करें।
- बहुत अधिक मात्रा में इसका सेवन न करें।
पूतिकरंज गांवों, नदी, नालों, तालाबों के आसपास में मिल जाती है। इसके औषधीय गुणों की वजह से यह अधिक प्रसिद्ध है। अब शहरों में भी इसका उपयोग औषधी के रूप में किया जाने लगा है।
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