आयुर्वेंद से करें अस्‍थमा का इलाज

अस्‍थमा के मरीजों को जड़ी-बूटी चिकित्सा से भी बहुत ज्या्दा आराम नहीं मिलता। लेकिन आयुर्वेंद द्वारा इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है।
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आयुर्वेंद से करें अस्‍थमा का इलाज

बढ़ते प्रदूषण से अस्‍थमा के मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अस्‍थमा एक गंभीर बीमारी है, जो श्वास नलिकाओं को प्रभावित करती है। अस्थमा के दौरान खांसी, नाक बंद होना या बहना, छाती का कड़ा होना, रात और सुबह में सांस लेने में तकलीफ इत्यादि समस्याएं होती है। हालांकि आयुर्वेद में अस्‍थमा का इलाज संभव है, लेकिन अस्‍थमा के मरीजों को जड़ी-बूटी चिकित्सा से भी बहुत ज्या्दा आराम नहीं मिलता। आइए जानें अस्थमा का आयुर्वेद में इलाज के बारे में।

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  • अस्‍थमा का कोई स्थायी इलाज नहीं है लेकिन इस पर नियंत्रण जरूर किया जा सकता है।
  • अस्‍थमा के रोगी को अस्‍थमा का अटैक पड़ने से जान का जोखिम भी रहता है। जिसमें उसकी श्वास नलिकाएं पूरी तरह बंद हो सकती हैं और शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो सकती है।
  • अस्‍थमा जानलेवा बीमारी है इसीलिए अस्‍थमा के रोगी को निरंतर अपनी दवाईयां लेते रहना चाहिए और अपने पास इनहेलर जरूर रखना चाहिए।

 

अस्थमा के लिए आयुर्वेंद


केला

एक पके केले को छिलके सहित सेंककर बाद में उसका छिलका हटाकर केले के टुकड़ो में पिसी काली मिर्च डालकर गर्म-गर्म दमे रोगी को देनी चाहिए। इससे रोगी को राहत मिलेगी।
  

लहसुन

लहसुन अस्‍थमा के इलाज में काफी कारगर साबित होता है। अस्‍थमा रोगी लहुसन की चाय या 30 मिली दूध में लहसुन की पांच कलियां उबालें और इस मिश्रण का हर रोज सेवन करने से अस्‍थमा में शुरुआती अवस्था में काफी फायदा मिलता है।

अजवाइन और लौंग

गर्म पानी में अजवाइन डालकर स्टीम लेने से भी अस्‍थमा को नियंत्रि‍त करने में राहत मिलती है। यह घरेलू उपाय काफी फायदेमंद है। इसके अलावा 4-5 लौंग लें और 125 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस मिश्रण को छानकर इसमें एक चम्मच शुद्ध शहद मिलाएं और गर्म-गर्म पी लें। हर रोज दो से तीन बार यह काढ़ा बनाकर पीने से मरीज को निश्चित रूप से लाभ होता है।


तुलसी

तुलसी अस्‍थमा को नियंत्रि‍त करने में लाभकरी है। तुलसी के पत्तों को अच्छी तरह से साफ कर उनमें पिसी कालीमिर्च डालकर खाने के साथ देने से अस्‍थमा नियंत्रण में रहता है। इसके अलावा तुलसी को पानी के साथ पीसकर उसमें शहद डालकर चाटने से अस्‍थमा से राहत मिलती है।
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अन्‍य लाभ

  • अस्‍थमा का अटैक बार-बार न पड़े इसके लिए हल्दी और शहद मिलाकर चांटना चाहिए।
  • अस्‍थमा आमतौर पर एलर्जी के कारण भी होता है। ऐसे में एलर्जी को नियंत्रि‍त करने के लिए दूध में हल्दी डालकर पीनी चाहिए।
  • शहद की गंध को अस्‍थमा रोगी को सुधांने से भी आराम मिलता है।
  • नींबू पानी अस्‍थमा के दौरे को नियंत्रि‍त करता है। खाने के साथ प्रतिदिन दमे रोगी को नींबू पानी देना चाहिए।
  • आंवला खाना भी ऐसे में अच्छा रहता है। आंवले को शहद के साथ खाना तो और भी अच्छा है।
  • सरसों के तेल को गर्म कर छाती पर मालिश करने से दमे के दौरे के दौरान आराम मिलता है।
  • मेथी के बीजों को पानी में पकाकर पानी जब काढ़ा बन जाए तो उसे पीना अस्‍थमा में लाभकारी होता है।

इन टिप्स को अपनाकर निश्चित तौर पर आप अस्‍थमा को नियंत्रि‍त कर सकते हैं। लेकिन इसके साथ ही जरूरी है कि रोगी को घूल मिट्टी, घुएं इत्यादि से खासतौर पर दूर रखना चाहिए।

इस लेख से संबंधित किसी प्रकार के सवाल या सुझाव के लिए आप यहां पोस्‍ट/कमेंट कर सकते हैं।

Image Source : Getty

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