पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद निधन, 12 बजकर 7 मिनट पर ली अंतिम सांस

पूर्व वित्तमंत्री और भाजपा नेता अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद आज निधन हो गया है। 24 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर उन्होंने नई दिल्ली स्थित एम्स हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली।
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पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद निधन, 12 बजकर 7 मिनट पर ली अंतिम सांस


पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का लंबी बीमारी के बाद आज दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर निधन हो गया। उनके निधन के बारे में एम्स की तरफ से बयान जारी कर बताया गया कि माननीय सांसद अरुण जेटली अब हमारे बीच नहीं रहे। एम्स के ऑफिशियल बयान के अनुसार 24 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर श्री जेटली ने अंतिम सांस ली और जिंदगी को विदा कह गए।

पिछले दिनों सांस लेने में तकलीफ और बेचैनी होने के बाद उन्हें 9 अगस्त से नई दिल्ली स्थित एम्स (AIIMS) हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां वरिष्ठ चिकित्सक उनका इलाज कर रहे थे। हालत गंभीर होने पर उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर भी रखा गया, जिससे उनकी हालत में कुछ सुधार देखा गया था। आज सुबह ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन उन्हें देखने अस्पताल पहुंचे थे।

प्रधानमंत्री गृहमंत्री ने दी श्रद्धांजलि

जेटली के निधन पर देशभर में शोक की लहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए अरुण जेटली के निधक को दुःखद बताया।

इसके अलावा गृहमंत्री अमित शाह ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि उन्होंने अपने परिवार का एक अभिन्न सदस्य खो दिया है।

लंबे समय से चल रहा था कैंसर का इलाज

अरुण जेटली किडनी की बीमारी से ग्रसित थे। पिछले साल मई में उनका किडनी ट्रांस्प्लांट भी किया गया था। ऐसी स्थिति में पिछले काफी समय से वो लगातार डायलिसिस पर थे। इसके अलावा उन्हें बाएं पैर में सॉफ्ट टिशू कैंसर हो गया था, जिसके इलाज के लिए जेटली इसी साल अमेरिका गए थे। 9 अगस्त को अचाकन उन्हे बेचैनी और सांस लेने में तकलीफ के चलते एम्स में भर्ती कराया गया। अरुण जेटली एम्स के कार्डियो न्यूरो सेंटर में भर्ती थे। अंतिम दिनों में उन्हें Extracorporeal Membrane Oxygenation (ECMO) और Intra-Aortic Balloon Pump के सपोर्ट पर रखा गया था।

क्यों पड़ती है इन इस तरह के सपोर्ट की जरूरत?

आमतौर पर Extracorporeal Membrane Oxygenation (ECMO) की जरूरत तब पड़ती है, जब व्यक्ति के फेफड़े काम करना बंद कर दें। इस स्थिति में सपोर्ट सिस्टम में एक पंप के द्वारा आर्टिफिशियल फेफड़े से बंलड पंप किया जाता है, जिससे कि दिल तक पर्याप्त मात्रा में खून पहुंच सके।

Intra-Aortic Balloon Pump की जरूरत तब पड़ती है, जब दिल पर्याप्त मात्रा में खून को पंप नहीं कर पाता है। इस सिस्टम में एक पतले पाइप का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे कैथेटर (Catheter) कहते हैं। इसके साथ एक लंबा बैलून जुड़ा होता है। ये दोनों ही सपोर्ट सिस्टम व्यक्ति के पूरे शरीर में खून ऑक्सीजनयुक्त खून को पहुंचाने के लिए दिए जाते हैं, ताकि मरीज के अंग काम करते रहें और उसकी मौत न हो।

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