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एचआईवी से मुक्त होने के लिए विश्वभर में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। भारत में इस मामले में काफी कठिन प्रयास भी चल रहें, साथ ही इस पर नियत्रंण को लेकर अच्छे परिणाम भी सामने आ रहें है। जर्मन प्राइमेट सेंटर (डीपीजेड) के वैज्ञानिकों सहित अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान टीम ने इसका इलाज भी ढूंढ निकाला है। अध्ययन के अनुसार बंदरो में पाया जाने वाला सिमियन एम्यूनोडेफिसिएंसी वायरस एचआईवी के लिए प्रभावी होता है। 
एसआईवी बंदरों के विभिन्न प्रजातियों को प्रभावित करता है और इसे ही एचआईवी का जनक माना जाता है। इस अध्यन के दौरान एसआईवी से संक्रमित बंदरों की एक प्रजाति का पहले 90 दिनों तक एंटीरेट्रोवायरल दवाओं से इलाज किया गया। उसके अलावा उन्हें 23 सप्ताह तक विशेष एंटीबॉडी दिया गया।
इलाज पूरा होने के बाद सभी बंदरों में संक्रमण पूर्ण रूप से नियंत्रित मिला क्योंकि उनके रक्त और आंत के उत्तकों में एसआई विषाणु नहीं मिले। इम्यून प्रणाली के लिए आवश्यक सीडी4प्लस टी कोशिकाएं इन उत्तकों में पर्याप्त संख्या में मौजूद रहेंगे।
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