विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर जानिए सिगरेट और तम्बाकू के सेवन दुष्परिणाम और धूम्रपान की लत छुड़ाने के लिए एक्सपर्ट की सलाह क्या है।
हर साल 31 मई को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस (No Tobacco Day 31 May 2020) के रूप में मनाया जाता है। ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके। दरअसल, हर साल तंबाकू और धूम्रपान से लाखों जिंदगियां बरबाद हो जाती हैं। दुनिया भर में तंबाकू का इस्तेमाल असमय मृत्यु और बीमारी का प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में तकरीबन 1 अरब लोग धूम्रपान और तंबाकू का सेवन करते हैं जिनमें से आधे प्रतिशत लोगो की सामान्य उम्र से पहले मृत्यु होने की सम्भावना बढ़ जाती है। 60 लाख लोग हर साल तम्बाकू के सेवन से मर जाते हैं। भारत की यह संख्या तक़रीबन 10 लाख प्रति वर्ष है।
डॉक्टर ज्ञानदीप मंगल (सीनियर कंसलटेंट, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टिट्यूट) बताते हैं अनुमानत: 90 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर, 30 प्रतिशत अन्य प्रकार के कैंसर, 80 प्रतिशत ब्रोंकाइटिस, इन्फिसिमा और 20 से 25 प्रतिशत घातक हृदय रोगों का कारण धूम्रपान है। भारत में जितनी तेज़ी से धूम्रपान के रूप में तंबाकू का सेवन किया जा रहा है उससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है की हर साल तंबाकू सेवन के कारण कितनी जाने खतरे में हैं। तंबाकू पीने (सिगरेट) का जितना हानिकारक है उससे कहीं ज़्यादा नुकसान इसे चबाने से होता है। तंबाकू में कार्बन मोनोऑक्साइड, और टार जैसे जहरीले पदार्थ पाये जाते हैं। और यह सभी पदार्थ स्वास्थ के लिए जानलेवा हैं।
धूम्रपान और धुंए रहित (तंबाकू चबाना) दोनों ही समान रूप से जानलेवा हैं। लोग धूम्रपान या तो स्टाइल या फिर स्टेटस के लिए शुरू करते हैं मगर यह धीरे-धीरे आपके फेफड़ों पर हमला करता है और हृदय और रक्त धमनियों में ऑक्सीजन के आवागमन में बाधा डालता है। इतना ही नहीं तम्बाकू प्रजनन क्षमता को भी कमजोर कर सकता है। तंबाकू शारीर में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को भी सीधा न्योता देता है।
4000 रसायनों में से तंबाकू में 70 आईएआरसी समूह 1 कैंसरजन हैं, जो मुंह के कैंसर, फेफड़ों के कैंसर, ग्रासनली, अग्नाशय, मूत्राशय आदि में कैंसर को बढ़ावा दे सकते हैं। आपके द्वारा उपभोग किए जाने वाले तंबाकू की ब्रांड या प्रकार को देखकर कभी गुमराह न हों कि यह आपको नुकसान नहीं पहुंचाएगा। बल्कि ये विश्वास कीजिए कि, तम्बाकू का सेवन हर हाल में आपको नुक़सान पहुंचाता है।
तम्बाकू के सेवन से स्त्री-पुरुष दोनों में इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है। पुरुषों की गिरती प्रजनन क्षमता के लिए धूम्रपान को जिम्मेवार ठहराया जा सकता है क्योंकि धूम्रपान करने से न केवल पुरुषों की स्पर्म क्वालिटी को क्षति पहुंचती है बल्कि उनके स्पर्म की संख्या में भी कमी आ जाती है। धूम्रपान करने वाला व्यक्ति यदि निःसंतान है तो तम्बाकू का सेवन इसके लिए जिम्मेवार हो सकता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि स्मोकिंग की वजह से लोगों में 30 प्रतिशत इनफर्टिलिटी होने की सम्भावना और महिलाओं को मिस्कैरिज (गर्भपात) का खतरा भी बढ़ जाती है। स्मोकिंग करने से न केवल ऑव्यूल को नुक़सान पहुंचता है बल्कि समय से पहले मेनोपॉज़ की भी हो जाती है।
डॉक्टर अंशुमन कुमार, (निदेशक, सर्जिकल ओन्कोलॉजी, धर्मशिला नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल) बताते है, कि तंबाकू के सेवन के विषय में अकसर दो तरह के यूजर्स चर्चा में रहते हैं, एक्टिव स्मोकर, पैसिव स्मोकर और इसी कड़ी में तीसरी श्रेणी आती है, 'थर्ड हैंड स्मोकर्स' की। थर्ड हैंड स्मोकिंग दरअसल सिगरेट के अवषेश हैं, जैसे कि बची राख, सिगरेट बट, और जिस जगह तंबाकू सेवन किया गया है, वहां के वातावरण में उपस्थित धुंए के रसायन। बंद कारें, घर या आवास के फर्नीचर, बैठक आदि नहीं चाहते हुए भी थर्ड हैंड स्मोकिंग एरिया बन जाते हैं।
यानी तंबाकू का सेवन करने वाला व्यक्ति अपनी ही नहीं अपने आस पास के लोगों के स्वास्थ्य को भी बहुत गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। इस श्रेणी के अनुसार इसका शिकार बच्चों और पालतू जानवरों के होने की सबसे अधिक आशंका रहती है, क्योंकि अकसर देखा गया है कि धूम्रपान करने वाले तंबाकू का सेवन करते समय एहतियात बरतते हुए अपने बच्चों से उचित दूरी बनाकर रखते हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि फिर भी इसके ख़तरों की चपेट में आने की पूरी-पूरी आशंका होती है। क्योंकि थर्ड हैंड स्मोकिंग की प्रक्रिया में 250 से अधिक रसायन पाए जाते हैं। कोशिश करें कि अपनी कार और अपने आस पास के इलाके में किसी को धूम्रपान करने की इजाज़त न दें।
डॉक्टर शिल्पी शर्मा (कंसल्टेंट सर्जिकल ओन्कोलॉजिस्ट, नारायण सुपरस्पेशेलिटी हॉस्पिटल) के अनुसार, "हालांकि सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करते पकड़े जाने पर जुर्माना है, लेकिन अक्सर देखा गया है इस नियम का शायद ही पालन किया जाता है! सरकार ने भी इस दिशा में बहुत से कदम उठाये हैं, धुम्रपान करने और तम्बाकू चबाने से क्रोनिक ओब्स्ट्रकटिव पल्मोनरी बीमारी, लंग कैंसर, हृदयरोग और स्ट्रोक इत्यादि जैसी कई क्रोनिक बीमारियां हो जाती हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, सीओपीडी दुनिया भर में लोगों के मरने का तीसरा प्रमुख कारण है और ह्रदय रोग के कारण होने वाली 20% मृत्यु के लिए धूम्रपान के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही रूप ज़िम्मेदार हो सकते हैं।
इस लत को छुड़ाने के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन व समाजसेवी समूहों की मदद ली जा सकती है। दुखद है कि तम्बाकू की लत केवल युवाओं तक ही सीमित नहीं है, इसकी पहुंच बच्चों और किशोरों में भी दखी जा सकती है। ऐसे कदम उठाये जाने चाहियें जिनसे इनको बच्चों की पहुंच से दूर रखा जाये, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इस लत से बचाया जा सके। साथ ही तम्बाकू से निजात दृढ़ इच्छाशक्ति से भी पायी जा सकती है।
डॉक्टर आशीष गोयल (एसोसिएट डायरेक्टर- सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, जेपी हॉस्पिटल, नोएडा) बताते हैं, तम्बाकू का असर केवल लंग कैंसर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि तथ्य यह भी है कि तम्बाकू का सेवन छोड़ देने के बाद भी कैंसर होने कि संभावना बनी रहती है। और लंग कैंसर के अलावा मुंह का कैंसर, फ़ूड पाइप का प्रभावित होना फेफड़ों में संक्रमण होना भी इसी कड़ी में शामिल हैं।
उचित इलाज के साथ, तंबाकू की लत को प्रबंधित ज़रूर किया जा सकता है। परन्तु अन्य नशे की लत की तरह, तंबाकू की लत वास्तव में पूरी तरह से ठीक हो, यह नहीं कहा जा सकता है। असल रूप में किसी भी लत को अपनाना या छोड़ना इंसान के अपने दृढ़ संकल्प पर है। व्यक्ति चाहे तो वह इस लत से छुटकारा पा सकता है। कुछ चीज़े आपकी सहायता अवश्य कर सकती है जैसे-
यह थेरेपी पैच के रूप में भी जानी जाती है। इसमें एक छोटा सा, पट्टी की तरह स्टीकर/ पैच होता है उसको उपयोगकर्ता के हाथ या पीठ पर लगाया जाता है। पैच शरीर में निकोटिन की छोटी खुराक पहुंचाता है जो धीरे-धीरे लत छुड़ाने में मदद करता है।
निकोटिन गम धूम्रपान और तम्बाकू चबाने की लत को छुड़ाने में उपयोगकर्ताओं की मदद करता हैं। यह भी NRT का दूसरा रूप है।जिन्हें तम्बाकू चबाने की लत होती है उनको आदत होती है की उनके मुंह में कुछ न कुछ चबाने के लिए हो, ऐसे में व्यक्ति को निकोटिन गम खिलाने से उसका लत से ध्यान हट जाता है। उपयोगकर्ता की हुड़क के प्रबंधन में मदद करने के लिए निकोटिन गम भी निकोटिन की छोटी खुराक शरीर में पहुंचता है।
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निकोटिन स्प्रे और इनहेलर भी तम्बाकू और सिगरेट की लत छुड़ाने में निकोटिन की कम खुराक देकर मदद करता है। डॉक्टर्स के अनुसार यह उपचार का एक अच्छा विकल्प है।
तंबाकू नशा उन्मूलन के प्रबंधन हेतु बहुत सारी तकनीकों का उपयोग किया जाता है। कुछ तंबाकू उपयोगकर्ताओं को हिप्नोथेरेपी, संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी, या न्यूरो भाषाई प्रोग्रामिंग (NLP) जैसे तरीकों से तम्बाकू की लत छुड़ाने में सफलता मिली है।
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