शरीर पर कैसे असर करता है चिकनगुनिया, जानें चिकनगुनिया होने पर क्यों होता है जोड़ों में दर्द और कैसे पा सकते हैं इस दर्द से छुटकारा।
चिकनगुनिया मच्छरों से फैलने वाला संक्रामक रोग है। चिकनगुनिया का वायरस शरीर में प्रवेश करने पर 1-2 दिन बाद असर दिखाना शुरू करता है, जिसके कारण व्यक्ति को बुखार आ जाता है। इसके बाद व्यक्ति के जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द की समस्या होती है। इस बुखार में व्यक्ति को ठंड लगती है और उसका शरीर भी कांपता है। सही समय पर इलाज न करने पर ये रोग जानलेवा भी हो सकता है।
आमतौर पर चिकनगुनिया रोग एडीज नामक मच्छरों के द्वारा फैलाया जाता है। मच्छर की ये प्रजाति ज्यादातर शाम के समय जब धूप खत्म हो जाए, मगर उजाला रहे, तब एक्टिव होती है। छोटे बच्चों और बुजुर्गों को इस वायरस का खतरा ज्यादा होता है क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों से कम होती है।
चिकनगुनिया होने पर जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या शुरू हो जाती है। जोड़ों में दर्द इस बीमारी का सबसे प्रमुख लक्षण है। कई बार इस बीमारी के चलते जोड़ों में इतना दर्द होता है कि व्यक्ति का चलना-फिरना मुहाल हो जाता है। चिकनगुनिया में हाथों और पैरों और की उंगलियों के जोड़ों में सबसे अधिक दर्द होता है। उंगलियों के अलावा कलाई, कोहनी और कूल्हों में भी काफी पीड़ा हो सकती है। चिकनगुनिया के चलते मरीज के पूरे शरीर में दर्द की शिकायत रह सकती है।
जहां तक बच्चों की बात है, उन्हें जोड़ों में हल्के दर्द का सामना करना पड़ता है। हालांकि, उन्हें उल्टी और पेट की मांसपेशियों में दर्द जैसी सामान्य समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं के साथ सबसे बड़ा खतरा यह होता है कि यह बीमारी उनके जरिये भ्रूण को भी प्रभावित कर सकती है। इसके साथ ही चिकनगुनिया के कारण उन्हें प्रसव में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। विशेषतौर पर अगर गर्भावस्था के अंतिम चरण में महिला को यह बीमारी हो जाती है जिसके कारण उसे सीजेरियन भी करवाना पड़ सकता है।
नवजात शिशुओं और बहुत अधिक उम्र के लोगों के लिए तो यह बीमारी कई बार जानलेवा भी हो सकती है। वे लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है उन्हें अस्पताल में भी भर्ती होना पड़ सकता है।
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चिकनगुनिया में जोड़ों का दर्द आमतौर पर एक से दो सप्ताह तक रहता है। लेकिन, कई मामलों में यह परेशानी महीनों यहां तक कि वर्षों तक रह सकती है। चिकनगुनिया के इंफेक्शन के दस में से करीब एक मामला इतनी गंभीर स्थिति तक पहुंच सकता है।
कई बार चिकनगुनिया के कारण होने वाले दर्द को रियूमाटाइड अर्थराइटिस समझ लिया जाता है। कुछ शोध इस बात को प्रामाणित कर चुके हैं चिकनगुनिया में होने वाले जोड़ों के दर्द का इलाज रियूमाटाइड अर्थराइटिस से अलग होना चाहिए।
चिकनगुनिया का अभी तक कोई इलाज नहीं है। इसके इलाज का मुख्य उद्देश्य बुखार और दर्द का सही प्रबंधन करना होता है। चिकनगुनिया के कारण होने वाले जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए आयुर्वेदिक व होम्योपैथी का सहारा भी लिया जा सकता है।
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चिकनगुनिया के दर्द को कम करने के लिए जरूरी है कि एक स्वस्थ जीवनशैली अपनायी जाए। एक स्वस्थ आहार जिसमें फल और सब्जियों की मात्रा अधिक हो आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। इसके साथ ही रोगी को इस बीमारी के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए पर्याप्त मात्रा में आराम करने की भी सलाह दी जाती है।
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