Glucose Tolerance Test: ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट या ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट क्या है?

ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट या ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज की जांच के लिए किया जाता है, जानें इसके बारे में।

Written by: Prins Bahadur Singh Updated at: 2022-02-10 19:26

प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव की वजह से कई तरह की समस्याएं शुरू हो जाती हैं। इस दौरान अचानक वजन बढ़ने से महिलाओं को कई दिक्कतें भी हो सकती हैं। प्रेगनेंसी के तीसरे महीने के बाद वजन बढ़ने के कारण शरीर में इंसुलिन के फंक्शन भी ब्लाक हो सकते हैं जिसकी वजह से शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। यही वजह है कि प्रेगनेंसी एक दौरान महिलाओं को डायबिटीज की समस्या का खतरा रहता है। इस खतरे से बचने के लिए प्रेगनेंसी के दौरान ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Glucose Tolerance Test) या ग्लूकोज चैलेंज की सलाह दी जाती है। यह एक प्रकार की मेडिकल जांच है जिसके द्वारा शरीर में ग्लूकोज का स्तर चेक किया जाता है। इसके अलावा कई बार इस टेस्ट के माध्यम से डायबिटीज के अलावा कई अन्य गंभीर समस्याओं की जांच भी होती है। प्रेगनेंसी में डायबिटीज की वजह से मां और गर्भ में पल रहे शिशु दोनों को खतरा रहता है जिससे बचने के लिए ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट या ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट जरूर कराना चाहिए, आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।

क्यों जरूरी है ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट? (Glucose Tolerance Test in Pregnancy Benefits)

प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलाव के कारण महिलाओं का वजन तेजी से बढ़ने लगता है। वजन बढ़ने के कारण शरीर में कई तरह की समस्याओं का खतरा बना रहता है। प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं में गर्भकालीन मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) की समस्या तेजी से बढ़ रही है। यह समस्या भी तेजी से वजन बढ़ने के कारण इंसुलिन फंक्शन के ब्लाक होने के कारण होती है। ऐसे में प्रेगनेंसी के 24 से लेकर 28 वें हफ्ते के बाद ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट या ग्लूकोज चैलेंज जरूरी होता है। इस टेस्ट के माध्यम से शरीर में डायबिटीज की समस्या, इंसुलिन से जुड़ी जानकारी और तमाम अन्य जानकारियां मिलती हैं। जिसके आधार पर चिकित्सक आपको स्वस्थ रहने की सलाह देते हैं। इस टेस्ट से डायबिटीज का आसानी से पता लगाकर उचित समय पर इलाज किया जाता है।

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कैसे होता है ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट? (How Glucose Tolerance Test Is Done?)

ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज यानी मधुमेह का पता लगाने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट में सबसे पहले आपको एक निश्चित मात्रा में ग्लूकोज खाने के लिए दिया जाता है जिसके बाद 2 घंटे तक आपको इंतजार करने की सलाह दी जाती है। 2 से 3 घंटे के अंतराल के बाद आपके शरीर में ग्लूकोज की जांच की जाती है। अगर आपके शरीर में ग्लूकोज की मात्रा में बदलाव देखने को मिलता है तो डॉक्टर उसी के आधार पर आपका इलाज करते हैं। इस टेस्ट को अलग-अलग महिलाओं पर अलग-अलग तरीके से किया जा सकता है। इस टेस्ट में जिस ग्लूकोज का सेवन आप करती हैं उसके कोई भी साइड इफेक्ट्स नही होते हैं। इसके अलावा यह टेस्ट पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है।

प्रेगनेंसी के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव के टिप्स (Gestational Diabetes Prevention Tips In Hindi)

गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज की समस्या को गर्भकालीन मधुमेह या जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। यह समस्या महिलाओं में गर्भावस्था से पहले नहीं होती है यह गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण देखने को मिलती है। आमतौर पर महिलाओं को जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या प्रेगनेंसी के 24 सप्ताह के बीच में होती है। इससे बचाव के लिए आप इन बातों का ध्यान रख सकती हैं।

  • स्वस्थ और पौष्टिक आहार का सेवन करें।
  • एक्टिव जीवनशैली अपनाएं।
  • वजन अधिक बढ़ने न दें।
  • समय-समय पर डायबिटीज की जांच करें।
  • स्ट्रेस न लें और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें।
  • अधिक वजन वाली महिलाएं डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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गर्भकालीन मधुमेह की समस्या आज के समय में आम हो चुकी है। इसका एक प्रमुख कारण असंतुलित आहार का सेवन और निष्क्रिय जीवनशैली अपनाना है। गर्भावस्था के दौरान इस समस्या से बचाव के लिए आप ऊपर बताई गयी बातों का ध्यान जरूर रखें। जेस्टेशनल डायबिटीज से बचाव के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें। इस समस्या की जांच के ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट या ग्लूकोज चैलेंज टेस्ट करना फायदेमंद माना जाता है। 

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