बढ़ते प्रदुषण, बदलती जीवनशैली और खान-पान के चलते क्रॉनिक किडनी डिजीज के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं। लेकिन इसका एक मात्र समाधान सर्जिकल चिकित्सा या एलोपैथी ही नहीं हैं, क्रॉनिक किडनी की बीमारियों के इलाज के कुछ वैकल्पिक तरीके भी उपनाए जा सकते हैं। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं क्रॉनिक किडनी बीमारी के इलाज के कुछ वैकल्पिक तरीके।
गुर्दे रीढ़ की हड्डी के दोनों सिरों पर बीन की तरह के दो अंग होते हैं। जिन्हें हम किडनी के नाम से भी जानते हैं। हमारे शरीर के रक्त का काफी बड़ा हिस्सा गुर्दों से ही होकर गुजरता है। गुर्दों में मौजूद लाखों नेफ्रोन नलिकाएं रक्त छानकर इसे शुध्द करने की महत्वपूर्ण काम करती हैं। ये रक्त की अशुध्दियों को मूत्र के रूप में बाहर कर देते हैं। अगर गुर्दे स्वस्थ न हों तो रक्त शुध्द नहीं पाएगा।
जिस कारण रक्त हम बीमार पड़ सकती हैं और गंभीर मामलों में मौत तक हो सकती है। गुर्दे में खराबी होने पर मरीज को डायलिसिस मशीन पर रखा जाता है। ऐसे में मशीन रक्त साफ करती हैं। गुर्दे खराब हो जाने की स्थिति में मरीज के गुर्दे भी बदलने पड़ सकते हैं। लेकिन गुर्दे बदलना आसान काम नहीं है। पहले तो गुर्दा आसानी से मिलता नहीं, और यदि मिल भी जाए तो इसका खर्च लाखों में आता है। इसलिए क्रॉनिक किडनी बीमारी के इलाज के वैकल्पिक तरीके अपनाना कहीं बेहतर विकल्प हो सकता है।
प्रोबायोटिक आहार सप्लीमेंट
क्रॉनिक किडनी जिजीज के वैकल्पिक इलाज के तौर पर प्रोबायोटिक आहार सप्लीमेंट (अनुपूरक) का उपयोग किया जाता है, जो कि आंत में खून द्वारा छोड़े सेनाइट्रोजन अपशिष्ट को मेटाबॉलाइज करता है। प्रोबायोटिक्स तेजी से काम करते हैं और अधिक नाइट्रोजन वेस्ट को खतम करते हैं। जोकि प्रभावी रूप से गुर्दों की कार्यप्रणाली को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।
होलिस्टिक और होम्योपैथिक चिकित्सा
होलिस्टिक चिकित्साविद मामते हैं कि इलाज की यह दवाएं सिर्फ लक्षणों को खतम करने के बजाय पूरे रोग का इलाज करने का काम करती हैं। होलिस्टिक मेडिसिन में इलाज के तौर तरीकों की एक पूरी किस्म होती हैं। जिनमें होम्योपैथी, हर्बल चिकित्सा, एक्यूपंक्चर और चीनी चिकित्सा (टीसीएम) भी शामिल हैं।
होम्योपैथी
होम्योपैथी 'treating like with like' के उपचार सिद्धांत पर काम करती है। लेकिन एलोपैथी की तुलना में होम्योपैथिक उपचार बहुत डायलूटिड होते हैं (हालांकि होम्योपैथीमें यह इलाज का अधिक कारगर तरीका है)। होम्योपैथी के, क्लासिकल और कॉम्लेक्स दो प्रकार होते हैं। क्लासिकल होम्योपैथी में एक समय में केवल एक उपचार का उपयोग होता है। इसके विपरीत, कॉम्लेक्स होम्योपैथी में एक समय में कई उपचार का उपयोग किया जाता है। हालांकि एलोपैथी की तुलना में इस उपचार माध्यम में थोड़ा समय लगता है।
हर्बल चिकित्सा
यदि आप हर्बल दवाओं का उपयोग कर रहे हैं, यह ध्यान रहे कि आप इसकी ओवर डोज बिल्कुल न लें। हर्बल उपचार किसी भी अन्य दवा की तरह ही है, और इसके भी दुष्प्रभाव हो सकते हैं। हर्बल उपचार बहुत शक्तिशाली हो सकता है। इसलिे बिना डॉक्टर के सुझाव के हर्बल दवाओं को बिल्कुल नहीं लेना चाहिए।
कैसे करते हैं वैकल्पिक उपचार क्रॉनिक किडनी डिजीज में मदद
जब अपशिष्ट उत्पाद उच्च सांद्रता में रक्त में जमा हो जाते हैं तो वे बेहद जहरीले बन जाते हैं और यदि ये ठीक से बाहर न निकलें तो कई अंग प्रणालियों को गंभीर नुकसान हो सकता है। खराब गुर्दे के कारण खून में इन जहरीले अपशिष्ट का जमाव हो जाता है। गुर्दा रोग के वैकल्पिक उपचार में कुछ प्रोबायोटिक सूक्ष्मजीवों को शामिल किया जाता है जो यूरिया, यूरिक एसिड और क्रिएटिनिन तथा इस जिजीज के विकास के लिए पोषक तत्वों व अन्य विषाक्त पदार्थों का उपयोग कर सकते है। और इस समस्या पर काबू कर सकते हैं।
विज्ञान में शामिल क्रोनिक किडनी रोग पैदा कर सकने वाले 100 से अधिक यूरेमिक विषाक्त पदार्थों को परिभाषित किया गया है। ऐसे में वैकल्पिक उपचार माध्यम, प्राकृतिक और सफल तरीके से इन विषाक्त पदार्थों को दूर करने की पेशकश करते हैं।
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