'एडेनोमायोसिस' के संकेत हैं पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द और ऐंठन, एक्‍सपर्ट से जानिए इससे जुड़े सवाल-जवाब

एडेनोमायोसिस का अगर सही समय पर उपचार न किया जाए तो यह समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है। क्यों होता है ऐसा और इससे कैसे करें बचाव!
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'एडेनोमायोसिस' के संकेत हैं पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द और ऐंठन, एक्‍सपर्ट से जानिए इससे जुड़े सवाल-जवाब


आधुनिक जीवनशैली की वजह से स्त्रियों को जो स्वास्थ्य समस्याएं परेशान कर रही है, एडेनोमायोसिस भी उनमें से एक है। यह गर्भाशय की मांसपेशियों की भीतरी लाइनिंग यानी एंडोमीट्रियम के भीतरी हिस्से से संबंधित समस्या है। जब यहां मौज़ूद टिश्यूज़ का आकार बढ़ जाए, गर्भाशय के इस हिस्से सूजन या अधिक संकुचन जैसी समस्या हो तो ऐसी शारीरिक दशा एडेनोमायोसिस कहा जाता है। एडेनोमायोसिस से जुड़े सवालों के जवाब दे रही हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्‍टर माला श्रीवास्‍तव।   

एडेनोमायोसिस की प्रमुख वजहों के बारे में बताएं?

आज अतिव्यस्तता की वजह से शहरों में रहने वाली अधिकतर कामकाजी स्त्रियां अपनी सेहत और खानपान पर ध्यान नहीं दे पातीं। घर-बाहर की दोहरी जि़म्मेदारी उन्हें तनावग्रस्त कर देती है और इन्हीं कारणों से आगे चलकर उन्हें यह स्वास्थ्य समस्या परेशान करने लगती है। दरअसल, तनाव की वजह से स्त्रियों के मस्तिष्क, पिट्यूटरी ग्लैंड और ओवेरी के बीच कम्युनिकेशन गड़बड़ा जाता है। तनाव के दौरान शरीर में मौज़ूद न्यूरोकेमिकल्स में कई तरह के परिवर्तन होते हैं। स्त्रियों के शरीर में प्रोजेस्टेरॉन और एस्ट्रोजेन हॉर्मोन का असंतुलन भी इस समस्या के लिए जि़म्मेदार है।

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वज़न बढ़ाने वाली वसा युक्त चीज़ों, जैसे-चॉकलेट, मिठाइयां, ज़्यादा घी-तेल से बने खाद्य पदार्थ, केक-पेस्ट्री, जंक फूड और कोल्ड ड्रिंक्स का अधिक मात्रा में सेवन भी इस समस्या के लिए जि़म्मेदार माना जाता है। एल्कोहॉल, सिगरेट और कैफीन जैसी चीज़ों का अधिक सेवन आदि को भी इस समस्या के लिए जि़म्मेदार माना जाता है।

क्या इसके लक्षणों की पहचान संभव है?

हां, पेट के निचले हिस्से में तेज़ दर्द और ऐंठन, पीरियड्स के दौरान लंबे समय तक हेवी ब्लीडिंग और क्लॉटिंग, ओवल्युशन की अवधि में दर्द (आमतौर पर यह अवधि पीरियड के पांचवें से नौवें दिन के बीच होती है), यूरिन का प्रेशर न झेल पाना, सहवास में दर्द, तेज़ी से वज़न बढऩा, चेहरे पर अवांछित बाल और मुंहासे दिखाई देना, सहवास के दौरान तेज़ दर्द आदि इसके प्रमुख लक्षण हैं।  हालांकि सभी स्त्रियों में इसके अलग-अलग लक्षण नज़र आते हैं। यह ज़रूरी नहीं है कि किसी एक स्त्री में यहां बताए गए सारे लक्षण दिखाई दें।  

क्‍या देर से विवाह करने वाली स्त्रियों में इसकी आशंका बढ़ जाती है?

हां, यह बात कुछ हद तक सही है। दरअसल 30-35 साल की उम्र के बाद कुछ स्त्रियों के शरीर में एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन हॉर्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे उन्हें यह समस्या हो सकती है। डायबिटीज़ टाइप-2 या हृदय रोग से ग्रसित स्त्रियों में भी इस बीमारी की आशंका बढ़ जाती है।

क्या यह सच है कि अगर परिवार में इस बीमारी की फैमिली हिस्ट्री रही हो तो अगली पीढ़ी को भी यह समस्या हो सकती है?

हां, आनुवंशिकता और गर्भाशय की संरचना में गड़बडिय़ों की वजह से भी यह समस्या हो सकती है।    

क्या मेनोपॉज़ के बाद इस बीमारी की आशंका बढ़ जाती है?

नहीं, अकसर लोगों को यह गलतफहमी होती है कि मेनोपॉज़ के दौरान यह समस्या ज़्यादा परेशान करती है, पर वास्तव में ऐसा नहीं है यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। 

क्या इसकी वजह से संतानहीनता की समस्या हो सकती है?

हमेशा ऐसा नहीं होता। सामान्यत: उपचार के बाद कोई भी स्त्री मां बन सकती है, लेकिन जब गंभीर स्थिति में किसी को यूट्रस रिमूवल सर्जरी करानी पड़े, तब उसे ऐसी समस्या हो सकती है।

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इसकी जांच और उपचार के लिए कौन से तरीके अपनाए जाते हैं?

एडेनोमायोसिस की जांच अल्ट्रासाउंड द्वारा  की जाती है। शुरुआती दौर में केवल दवाओं के सेवन से ही यह समस्या दूर हो जाती है। गंभीर स्थिति में सर्जरी की भी ज़रूरत पड़ती है। अगर मेनोपॉज़ की उम्र में किसी को यह समस्या होती है तो शारीरिक अवस्था और मजऱ् की गंभीरता को देखते हुए डॉक्टर द्वारा यूट्रस रिमूवल सर्जरी की सलाह दी जाती है।

यूट्रस रिमूवल सर्जरी के बाद किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

संतुलित खानपान अपनाएं। तीन महीने तक सहवास से दूर रहें और भारी वज़न उठाने से बचें। डॉक्टर के सभी निर्देशों का पालन करें। आमतौर पर सर्जरी के 40 दिनों बाद स्त्रियां सामान्य दिनचर्या में लौट आती हैं।

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क्या इससे बचाव संभव है?

एडेनोमायोसिस से बचने के लिए अपने बढ़ते वज़न को नियंत्रित रखें। इसके लिए नियमित एक्सरसाइज़ और मॉर्निंग वॉक करें। खानपान की आदतों में बदलाव लाएं। रोज़ाना के भोजन में घी-तेल, मैदा, चीनी और नॉनवेज के इस्तेमाल से बचने की कोशिश करें। बेहतर यही होगा कि सादा और संतुलित खानपान अपनाएं। हमेशा प्रसन्न रहने की कोशिश करें क्योंकि तनाव इस समस्या की प्रमुख वजह है।

इसके बावज़ूद अगर पेट के निचले हिस्से में दर्द या हेवी ब्लीडिंग जैसे लक्षण दिखाई दें तो बिना देर किए स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। जितनी जल्दी उपचार शुरू होगा, बीमारी की रोकथाम उतनी ही आसान होगी।

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