
जब 64 वर्षीय ओमप्रकाश गोएनका को पिछले महिने एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट में दाखिल किया गया तब वो सांस भी नहीं ले पा रहे थे और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। उनके चिकित्सकीय निदान में ये स्पष्ट हुआ था कि उनके ह्रदय की मुख्य धमनी (एओर्टा) अपने सामान्य आकार से तीन गुना ज्यादा सूज गई थी और इसके कारण श्वास नलिका पर दबाव पड़ रहा था। ये सूजन इतनी ज्यादा थी कि कि ईलाज के लिए अपने घर से मुंबई की यात्रा के दौरान उन्हें सांस लेने में बेहद कठिनाई होने लगी और उनकी हालत गंभीर हो गई थी।
कार्डियो थोरैसिक सर्जन और एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट डॉक्टर रमाकांता पांडा ने कहा, "जब इस मरीज़ को अस्पताल में लाया गया तो उनकी हालत बहुत गंभीर थी और उनके ऊपर तुरंत इमरजेंसी में हार्ट सर्जरी किए जाने की आवश्यकता थी। उनके ह्रदय की प्रमुख धमनी में बड़ा एन्यूरिज़म (धमनी विस्फार- रक्त वाहिका की दीवार में कमजोरी के वजह से रक्त वाहिका का एक गुब्बारे की तरह फूलना) विकसित हो गया था जो एक टेनिस बॉल से भी बड़ा हो गया था। वो इतना बड़ा था कि उसनें खतरनाक तरीके से श्वास नलिका को संकरा कर दिया था और ह्रदय की एक प्रमुख नस जो मस्तिष्क के बाएं हिस्से और बाएं हाथ से रक्त लाती है उसे पूरी तरह ब्लॉक कर दिया था।"
डॉ. पांडा ने आगे कहा "हमें इस मरीज पर तुरंत इमर्जेंसी में ऑपरेशन करना पड़ा क्योंकि जरा सी भी देरी किए जाने पर उनके ह्रदय की धमनी फट कर मौत हो सकती थी।" 11 घंटे 40 मिनट तक चली इस सर्जरी में बीटिंग हार्ट तकनीक का इस्तेमाल करते हुए डॉक्टरों ने एक जटिल हार्ट सर्जरी की। इसमें मस्तिष्क और हाथ में (डि ब्रांचिंग) रक्त की आपूर्ति के लिए रि रुटिंग किया जाना शामिल था। डॉक्टरों ने चार बायपास ग्राफ्ट (दायां हाथ, बायां हाथ, मस्तिष्क का दायां भाग, मस्तिष्क का बायां भाग) रखे थे और बड़े एन्यूरिज़म (धमनी विस्फार) को नियमित रक्त संचार करने से रोकने के लिए एक स्टेंट मरीज के एओर्टा में रखा गया था।
डॉ. पांडा ने कहा "ये बेहद जटिल सर्जरी थी क्योंकि यदि मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति में 3 मिनट से ज्यादा की रुकावट आती है तो इससे ठीक न किए जा सकने वाली क्षति हो सकती है।" हालांकि सर्जरी के तुंरत बाद एन्यूरिज्म से निपट लिया गया था लेकिन जो संकरापन एन्यूरिज्म के कारण हुआ था! उसके चलते मरीज़ को सांस लेने में पूरी राहत नहीं मिल पाई थी।
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गोएनका को सांस लेने में आसानी के लिए डॉक्टरों को उस पर ट्रेकियोस्टोमी प्रक्रिया करनी पड़ी। ट्रेकियोस्टोमी इस प्रक्रिया में सर्जरी कर गर्दन में सांस की नली में छेद किया जाता है। सांस लेने के लिए एक ट्यूब जिसे ट्रेक ट्यूब कहा जाता है इस छेद में से सीधे आपके श्वास नलिका में रखा जाता है ताकि मरीज़ सांस ले सके। इस प्रक्रिया के बाद गोएनका की हालत स्थिर हुई। उन्हें वेंटिलेटर से अलग कर दिया गया और एक सप्ताह के अंदर उन्हें सूजन से 70% राहत मिल सकी। इसके बाद उन पर लगाई गई ब्रिदिंग पाइप को निकाल लिया गया और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
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