गर्मियों के बाद बारिश का मौसम मन को अच्छा लगता है मगर ये मौसम शरीर के लिए कई तरह की समस्याएं और रोग लेकर आता है। खासकर शिशुओं की इस मौसम में तबीयत ज्यादा बिगड़ती है इसलिए उनका विशेष ध्यान रखना पड़ता है। मच्छरों के प्रकोप के अलावा इस मौसम में नमी और पानी से फैलने वाले कई रोगों का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप अपने शिशु का ठीक से खयाल रखें, तो इस मौसम में भी उसे पूरी तरह स्वस्थ रखा जा सकता है। आइये आपको बताते हैं कि बारिश के मौसम में शिशु की देखभाल में आपको किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।
बच्चे को कितनी बार नहलाएं?
बारिश के मौसम में पानी से कई तरह के रोग फैल सकते हैं क्योंकि इस समय ज्यादातर पानी बैक्टीरियायुक्त हो जाते हैं। नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है इसलिए उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली इन बैक्टीरिया से उनकी सुरक्षा आसानी से नहीं कर पाती है। नवजात शिशु दिनभर या ज्यादातर समय बिस्तर पर लेटे रहते हैं इसलिए वो इतनी जल्दी गंदे नहीं होते बशर्ते आप मल-मूत्र करने पर उनकी ठीक से सफाई करती रहें। इसलिए नवजात शिशुओं को सप्ताह में 2-3 बार नहलाना पर्याप्त होता है। लेकिन कई बार मानसून के दौरान भी गर्मी बहुत बढ़ जाती है। ऐसे में शिशु को सामान्य पानी से 2 दिन में कम से कम 1 बार जरूर नहलाएं।
बारिश के मौसम में शिशु को तेल की मालिश
कई तेलों की प्रकृति गर्म होती है और ये चिपचिपे होते हैं इसलिए कई बार महिलाएं गर्मी या बरसात के मौसम में शिशु की तेल मालिश को लेकर कंफ्यूज होती हैं। लेकिन आपको बता दें कि तेल की मालिश से शिशु के अंगों को मजबूती मिलती है इसलिए नियमित नहीं तो कम से कम सप्ताह में 2 बार तेल की मालिश जरूर करें। लेकिन मालिश से पहले ध्यान रखें कि आप मालिश के लिए जो भी तेल चुनें उसकी तासीर ठंडी हो। अगर गर्मी बहुत ज्यादा हो और कमरे को ठंडा रखने की उचित व्यवस्था न हो, तो तेल मालिश न करें क्योंकि उससे शिशु को ज्यादा पसीना आएगा और गर्मी लगेगी।
मानसून में शिशु के कपड़े
मानसून में कई बार दिन के तापमान और रात के तापमान में काफी अंतर होता है। इसलिए जैसा तापमान हो उस अनुसार शिशु को कपड़े पहनाएं। अधिक गर्मी होने पर हल्के कॉटन के कपड़े ठीक रहते हैं। इसके अलावा ध्यान दें कि दिन में शिशु को मच्छरों से बचाने की पूरी व्यवस्था रखें। इसके लिए सबसे पहले तो शिशु को पूरी बांह के कपड़े पहनाएं और फिर क्वाइल, रिपेलेंट या मॉस्किटो क्रीम का प्रयोग करें। इस मौसम में डेंगू, मलेरिया जैसे मच्छरजनित रोगों का खतरा काफी बढ़ जाता है।
बारिश के मौसम में पानी से सावधानी
बारिश के मौसम में पानी से होने वाली बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। कई बार सड़कों पर पानी भर जाने के कारण या पाइप फट जाने के कारण सप्लाई का पानी भी दूषित हो जाता है इसलिए इस मौसम में पानी के इस्तेमाल में सावधानी बरतें। अच्छा होगा कि इस मौसम में शिशु को पिलाने वाला पानी और पूरे परिवार के लिए पीने वाला पानी उबाल लें। पानी को एक बार उबालने से उसमें मौजूद बैक्टीरिया मर जाते हैं। उबालने के बाद पानी पीने के लिहाज से शुद्ध हो जाता है। अगर आप आर.ओ. वाटर पीते हैं, तो शिशु को इसे सीधे पिला सकते हैं।
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बारिश में शिशु का आहार
6 महीने से कम के बच्चों को मां का दूध ही पिलाना चाहिए। अगर आप शिशु को अपना दूध पिला रही हैं, तो उसे अलग से पानी पिलाने की जरूरत नहीं है क्योंकि दूध में ही पर्याप्त पानी उसे मिल जाता है। अगर आप धूप में कहीं निकलती हैं और शिशु को बहुत पसीना आ रहा है, तो जरूरत होने पर अलग से पानी पिला सकती हैं। बाहर खुले में मिलने वाले पानी या नल का पानी पिलाने के बजाय कहीं जाने से पहले अपने पास एक बोतल उबला हुआ पानी और एक छोटी ग्लास रखें। शिशु अगर एक बार में एक सिप पानी भी पी लेता है, तो उसके लिए पर्याप्त है। अगर आपका बच्चा ठोस आहार खाने लगा है, तो भी सफर के दौरान उसे ज्यादा से ज्यादा लिक्विड चीजें ही पिलाएं।
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