मां का दूध पीने वाले बच्चे हमेशा रहते हैं संक्रमण मुक्त, जानें अन्य फायदे

मां का दूध वाकई बच्चे के लिए अमृत समान होता है। मां के दूध में इतने पोषण और विटामिन्स होते हैं जो बच्चे को उम्रभर स्वस्थ और फिट रखने में मदद करते हैं। मां के दूध से शिशु को पोषण के साथ-साथ रोगों से लड़ने की शक्ति भी मिलती है।
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मां का दूध पीने वाले बच्चे हमेशा रहते हैं संक्रमण मुक्त, जानें अन्य फायदे

मां का दूध वाकई बच्चे के लिए अमृत समान होता है। मां के दूध में इतने पोषण और विटामिन्स होते हैं जो बच्चे को उम्रभर स्वस्थ और फिट रखने में मदद करते हैं। मां के दूध से शिशु को पोषण के साथ-साथ रोगों से लड़ने की शक्ति भी मिलती है। पहले छह महीने तक बच्चों को केवल स्तनपान पर ही निर्भर रखना चाहिए। सुपाच्य होने के कारण मां के दूध से शिशु को किसी भी तरह की पेट की गड़बड़ी होने की आशंका नहीं होती है। मां का दूध शिशु की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होता है। इसलिए यह आपके शिशु के जीवन के लिए जरूरी है। इतना ही नहीं स्तनपान सिर्फ आपके शिशु के लिए ही नहीं बल्कि आपके लिए भी फयदेमंद है।

बच्चे को नहीं होता इंफेक्शन

मां का दूध पीने वाला बच्चा न सिर्फ जीवनभर स्वस्थ रहता है बल्कि वह इंफेक्शन की चपेट में भी जल्दी नहीं आता है। यह बच्चों को लंबे समय तक संक्रमण से बचाता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी मजबूत करता है। मां के दूध में एंटीआॅक्सीडेंट, एंटीबॉडी और प्रोटीन सहित लैक्टोफेरिन और लाइसोइज्म पोषक तत्वों का भंडार होता है जो बच्चे को संक्रमण से बचाता है। बाजारी खाद्य पदार्थो की अपेक्षा यह पचाने में आसान होता है और इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी होती है। जो आपके बच्चे के प्रतिरक्षा प्रणाली के निर्माण और सुदृढ़ करने में सहायक होता है। स्तनपान के लिए अभ्यास जरूरी है और इसे एक दिन में नही सीखा जा सकता आपको निपुण होने के लिए धैर्य रखने की आवश्यकता है।

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नहीं होता डायरिया रोग

0 से 1 साल की उम्र तक के शिशु में डायरिया रोग से लड़ने की क्षमता कम होती है। मां का दूध उन्हें इस रोग से लड़ने की क्षमता देता है। मां के स्तन से पहली बार निकलने वाला दूध के साथ गाढ़ा पीले रंग का द्रव भी आता है, जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं, इसे शिशु को जरूर पिलाएं। इससे शिशु को संक्रमण से बचने और उसकी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद मिलती है।

कई बीमारियां होती हैं दूर

मां का दूध शिशु के लिए सुपाच्य होता है। इससे बच्चों पर चर्बी नहीं चढ़ती है। स्तनपान से जीवन के बाद के चरणों में रक्त कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है। मां का दूध का बच्चों के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। इससे बच्चों की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है।

बनता है भावनात्मक रिश्ता

स्तनपान कराने वाली मां और उसके शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता बहुत मजबूत होता है। मां का दूध शिशु को उसी तापमान में मिलता है, जो उसके शरीर का है। इससे शिशु का सर्दी नहीं लगती है।

SIDS का खतरा होता है दूर

एक महिने से एक साल की उम्र में शिशु में SIDS (अचानक शिशु मृत्यु संलक्षण) का खतरा रहता है। मां का दूध शिशु को इससे बचाता है। जिन शिशु को टीकाकरण से ठीक पहले अथवा बाद में स्तनपान कराया जाता है, उनमें तकलीफ के कम लक्षण पाए जाते हैं।

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मां को भी होता है लाभ

  • गर्भावस्था में जो आपका वनज बढ़ जाता है उसे कम करने में यह सहायक होता है।
  • जीवन में अस्थि–सुशिरता रोग के विकसित होने की संभावना कम हो जाती है।
  • स्तन, गर्भाशय, और अण्डाषयी कैंसर होने की संभावना कम होती है।
  • बच्चे के साथ बेहतर संबंध में मदद करता है।
  • बच्चे की वृद्धि और विकास के लिए आदर्श संतुलित पोषण प्रदान करता है।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है इसके रूप में यह रोग प्रतिरोधक जो संक्रमण, एलर्जी, और बीमारियो को रोकने में शामिल होता है।
  • स्तनपान करने वाले बच्चो का बेहतर मस्तिष्क विकास और बुद्धि तेज होती है।
  • क्मर्शियल फार्मूलों की खरीद, निप्पल और वार्मिंग स्टरलाइज बोतलो की अपेक्षा स्तनपान सस्ता और आसान है।
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