जीवनशैली में बदलावों के कारण किडनी की बीमारी लोगों में तेजी से बढ़ रही है। हर व्यक्ति के शरीर में 2 किडनियां होती हैं। आमतौर पर एक किडनी खराब होने के बाद भी व्यक्ति का जीवन चल जाता है मगर यदि दोनों किडनियां खराब हो जाएं, तो जीवन संभव नहीं है। ऐसे में किडनियों को रोगों से बचाना बहुत जरूरी है। किडनियां यानि गुर्दे रीढ़ की हड्डी के नीचे दोनों सिरों पर दो अंग होते हैं। इनका आकार बीन्स जैसा होता है। शरीर के खून का ज्यादातर हिस्सा गुर्दों से होकर गुजरता है। गुर्दों में मौजूद लाखों नेफ्रोन नलिकाएं रक्त को छानकर शुद्ध करती हैं। ये रक्त के अशुद्ध भाग को मूत्र के रूप में अलग भेजती हैं।
किन लोगों को होता है किडनी रोगों का ज्यादा खतरा
मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप क्रॉनिक किडनी डिजीज के लिये सर्वाधिक जिम्मेदार होते हैं। लंबे समय से हाइपरटेंशन से पीड़ित लोगों को किडनी डिजीज होने का खतरा तीन से चार गुना बढ़ जाता है। धूम्रपान, मोटापा और 50 वर्ष से अधिक उम्र एवं दर्द निवारक दवाओं का अधिक इस्तेमाल भी क्रोनिक किडनी डिजीज का कारण हो सकता है।
किडनी रोगों से पहले दिखाई देते हैं लक्षण
किडनी रोगों से पहले शरीर में ऐसे कई लक्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें पहचानकर इन रोगों का सही समय पर इलाज किया जा सकता है ताकि किडनी के गंभीर रोगों से बचाव रहे।
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यूरिन की मात्रा कम या ज्यादा होना
मूत्र कम आना या ज्यादा आना किडनी रोग का पहला लक्षण है। गुर्दे की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को सामान्य की तुलना में कम या ज्यादा मूत्र आता है। ऐसे व्यक्ति को अक्सर रात में ज्यादा पेशाब आता है और रोगी के पेशाब का रंग गहरा होता है। कई बार रोगी को पेशाब का अहसास होता है, लेकिन टॉयलेट में जाने पर वह पेशाब नहीं कर पाता।
यूरिन के साथ ब्लड आना
पेशाब में खून आना भी किडनी रोग का लक्षण होता है। यह समस्या अन्य कारणों से भी हो सकती है, लेकिन इसका पहला कारण किडनी रोग ही माना जाता है। इस तरह की परेशानी होने पर उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
शरीर में सूजन की समस्या
किडनी शरीर से तमाम अशुद्ध अवशेषों को बाहर निकालने का काम करती है। जब गुर्दे सही ढंग से काम नहीं कर पाते, तो शरीर में बचे ये अवशेष सूजन का कारण बन जाते हैं। ऐसे में हाथ, पैर, टखनों और चेहरे पर सूजन आ जाती है।
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उल्टी और मितली आना
रक्त में अशुद्ध अवशेष रहने और इसके साफ न होने से रोगी का मितली और उल्टी आने की भी समस्या होती है। ऐसे में व्यक्ति का कुछ खाने का मन भी नहीं करता। आमतौर पर लोग मितली और उल्टी आने को सामान्य समस्या मानकर नजरअंदाज कर देते हैं।
लगातार कमजोरी और आलस महसूस होना
गुर्दे शरीर में एथ्रोपोटीन हार्मोन का उत्पादन करते हैं। जिससे लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में सहायक होता है, ये ऑक्सीजन को खींचने में सहायक होती हैं। किडनी के सही ढंग से काम न करने पर व्यक्ति एनीमिया का शिकार हो जाता है। शरीर में रक्त की कम मात्रा होने पर व्यक्ति को थकान और कमजोरी महसूस होती है।
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