Women's Day 2021: 21वीं सदी की महिलाओं को होने वाली 5 आम बीमारियां, जिनसे प्रभावित हो रहा है उनका स्वास्थ्य

मह‍िलाओं में पाई जाने वाली बीमारी, इंफेक्‍शन या ड‍िसीज समय रहते ठीक हो सकती हैं अगर आप उनके बढ़ने का इंतजार न करें 
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Women's Day 2021: 21वीं सदी की महिलाओं को होने वाली 5 आम बीमारियां, जिनसे प्रभावित हो रहा है उनका स्वास्थ्य

मह‍िलाओं में सबसे कॉमन बीमार‍ियां कौनसी हैं? 8 मार्च को पूरे व‍िश्‍व में मह‍िला द‍िवस मनाया जाता है। इस द‍िवस का उद्देश्‍य नारीत्‍व का सम्‍मान तो है ही साथ ही एक मह‍िला सशक्‍त तभी बन सकती है जब वो अपने स्‍वास्‍थ्य के ल‍िए क‍िसी पर न‍िर्भर न हो। कम शब्‍दों में कहें तो स्‍वस्‍थ मह‍िला ही सशक्‍त मह‍िला है पर मह‍िलाएं अपने स्‍वास्‍थ्‍य के प्रत‍ि लापरवाही बरतती हैं। कई बीमार‍ियां या कंडीशन है जो मह‍िलाओं के शरीर में अटैक करती हैं अगर उन्‍हें समय रहते ठीक क‍िया जाए तो शरीर पर कम इफेक्‍ट पड़ेगा। तो इस मह‍िला द‍िवस हम आपको बताने जा रहे हैं मह‍िलाओं में पाई जाने वाली सबसे कॉमन 5 समस्‍याएं और उनके लक्षण व इलाज।  इनमें ऑस्‍ट‍ियोपोरोस‍िस, सवाईकल कैंसर, पॉलिस‍िस्‍ट‍िक ओवरी स‍िंड्रोम, यूरीनरी ट्रैक्‍ट इंफेक्‍शन, ओवर‍ियन सिस्‍ट जैसी समस्‍याएं शाम‍िल हैं। अगर आपको भी इन बीमार‍ियों से म‍िलते-जुलते लक्षण खुद में या क‍िसी और में नजर आते हैं तो ब‍िल्‍कुल देर न करें। फौरन डॉक्‍टर से संपर्क करें। ज्‍यादा जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के मह‍िला अस्‍पताल झलकारीबाई की च‍िक‍ित्‍सा अधीक्ष‍िका और गाइनोकॉलोज‍िस्‍ट डॉ दीपा शर्मा से बात की। 

cervical cancer treatment 

1. बाक‍ि कैंसर की तरह लाइलाज नहीं है सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer is treatable if detected early)

ऐसा कहा जाता है क‍ि मह‍िलाओं में ब्रेस्‍ट कैंसर के बाद सबसे बड़ा और कॉमन पाए जाने वाला कैंसर है सर्वाइकल कैंसर। इसमें यूट्रस के सबसे न‍िचले ह‍िस्‍से सर्व‍िक्‍स में ट्यूमर हो जाता है। सर्वाइकल कैंसर का कारण है यूट्रस के सेल्‍स में एब्‍नॉर्मल ग्रोथ। अगर आप समय रहते च‍िक‍ित्‍सक मदद लें तो इलाज संभव है। बाक‍ि कैंसर को खत्‍म नहीं क‍िया जा सकता पर सर्वाइकल में ऐसा नहीं है। इलाज ही कैंसर की रोकथाम है। सर्वाइकल कैंसर में पेट के न‍िचले ह‍िस्‍से में दर्द, पेशाब करते समय दर्द, व्‍हाइट ड‍िस्‍चार्ज, पानी का र‍िसाव होना ये सभी कैंसर के लक्षण हैं। सर्वाइकल कैंसर से बचने के लि‍ए आप डॉक्‍टर से सलाह लेकर पैप स्‍मीयर टेस्‍ट करवाएं। इस कैंसर से बचने का सबसे अच्‍छा तरीका है कम उम्र में एचपीवी वैक्‍सीन लेना। अगर आपकी बेटी छोटी है तो एचपीवी वैक्‍सीन की जानकारी लें। इसके अलावा शरीर को साफ रखें। अगर आप समय-समय पर जांच करवाती रहें तो कैंसर के खतरे से बची रहेंगी। 

2. ऑस्टियोपोरोसिस में कमजोर हो जाती हैं हड्ड‍ियां (Bones become week in Osteoporosis)

week bones in women

ये भी महिलाओं में पाई जाने वाली कॉमन बीमारी है। ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़‍ित मह‍िलाओं की हड्ड‍ियां कमजोर होने लगती हैं। 30 साल की उम्र के बाद हड्ड‍ियां बननी बंद हो जाती हैं और पुरानी हड्ड‍ियां कमजोर होने लगती हैं। अगर आप ऑस्‍ट‍ियोपोरोस‍िस से बचना चाहती हैं तो शुरू से ही व‍िटाम‍िन डी की कमी न होने दें। अपनी बेट‍ियों को हर द‍िन एक ग‍िलास दूध दें। इससे आगे चलकर उनकी हड्ड‍ियां कमजोर नहीं होंगी। प्रेगनेंसी के बाद भी हड्ड‍ियों में कमजोरी आ जाती है। ऑस्टियोपोरोसिस में बैक पेन, कमर में दर्द, गर्द‍न में या घुटने में दर्द आद‍ि की श‍िकायत होती है इसल‍िए ऐसे लक्षण द‍िखने पर डॉक्‍टर से संपर्क करें। व‍िश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ये मानता है क‍ि ऑस्‍ट‍ियोपोरोस‍िस से ग्रस‍ित मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इस बीमारी का कारण है शरीर में कैल्‍श‍ियम, मैग्‍न‍िश‍ियम, व‍िटाम‍िन डी की कमी होना। गंभीर केसों में आपको जल्‍दी-जल्‍दी हड्ड‍ियों में फ्रैक्‍चर होने लगता है। इससे बचने के लि‍ए पौष्‍ट‍िक आहार लें। रोज कसरत करें। कैल्‍श‍ियम युक्‍त भोजन खाएं। 

3. मह‍िलाओं में सबसे कॉमन है यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infection)

UTI is common in ladies

ये एक इंफेक्‍शन है जो मह‍िलाओं में सबसे कॉमन है और इससे यूरीनरी स‍िस्‍टम के बॉडी पार्ट जैसे क‍िडनी, ब्‍लैडर, यूरेथ्रा पर असर पड़ता है। ज्‍यादातर मह‍िलाएं इस इंफेक्‍शन का श‍िकार जरूर होती हैं। यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन या यूटाआई बैक्‍टीर‍िया के कारण होता है जो यूरीन ट्रैक्‍ट में बाधा डालता है। इस ट्रैक्‍ट मे क‍िडनी, यूरेटर, ब्‍लैडर, यूरेथ्रा आद‍ि शाम‍िल हैं। यूटीआई से पीड़‍ित मह‍िला के शरीर में मौजूद पूरे यूरीन ट्रैक्‍ट को ये इंफेक्‍शन प्रभाव‍ित कर सकता है। इसका कॉमन लक्षण है यूरीन पास करते समय दर्द और जलन होना। अगर आप प्रेगनेंट हैं तो आपको खास ख्‍याल रखना है क‍ि यूटीआई न हो क्‍योंक‍ि ये ड‍िलीवरी के समय आपकी सेहत ब‍िगाड़ सकता है। इससे भ्रूण को भी नुकसान हो सकता है। यूटीआई सभी उम्र की मह‍िलाओं में पाए जाने वाला कॉमन इंफेक्‍शन है। मह‍िलाओं के शरीर में यूरीनरी ट्यूब, यूरीनरी ट्रैक्‍ट के पास होती है इसल‍िए बैक्‍टेर‍िया आसानी से यूर‍िनरी ट्रैक्‍ट तक पहुंच जाते हैं। यही कारण है क‍ि पुरूषों के मुकाबले मह‍िलाओं में ये समस्‍या ज्‍यादा होती है। इससे बचने के ल‍िए आप हाथों की और प्राइवेट पार्ट की सफाई रखें। यूटीआई गुड बैक्‍टीर‍िया को प्रभाव‍ित करता है इसल‍िए गुड बैक्‍टीर‍िया को शरीर में बनाए रखने के ल‍िए दही का सेवन जरूर करें। 

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4. ओवरी में गांठ का कारण है पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome)

ovarian cyst

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक तरह का हॉर्मोनल ड‍िसऑर्डर है ज‍िसमें ओवरी की बाहरी सतह में छोटी गांठ हो जाती है और ओवरी का साइज बड़ा हो जाता है। इस समस्‍या से भी व‍िश्‍व भर में मह‍िलाएं जूझ रही हैं। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम होने पर ओवरी में बन रही गांठ या स‍िस्‍ट में तरल पदार्थ भर जाता है। इस बीमारी के चलते मह‍िलाओं के शरीर में हॉर्मोन का बैलेंस ब‍िगड़ जाता है। इसका सबसे कॉमन लक्षण है पीरियड्स अन‍ियम‍ित होना या बंद हो जाना। खराब लाइफस्‍टाइल भी पीसीओएस का कारण हो सकता है जैसे एक्‍सरसाइज न करना, स‍िगरेट पीना, नींद न लेना या स्‍ट्रेस। पीसीओएस का इलाज करने के ल‍िए डॉक्‍टर आपका ब्‍लड टेस्‍ट या अल्‍ट्रासाउंड करवा सकते हैं। इस बीमारी का पता लगते ही इलाज शुरू कर द‍िया जाता है पर आपको इस बीमारी की नौबत ही नहीं आने देनी है उसके ल‍िए हेल्‍दी लाइफस्‍टाइल फॉलो करें। ताजे फल खाएं। रोजाना व्‍यायाम करें। आपको अपनी नींद भी लेनी है इससे स्‍ट्रेस अपने आप कम होगा। इन आसान उपायों से आप पीसीओएस से बच सकते हैं। 

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5. ओवेरियन सिस्ट कैंसर का रूप भी ले सकती है (Ovarian Cyst)

ओवेर‍ियन स‍िस्‍ट एक फ्लूड से भरी हुई गांठ है जो ओवरी में जन्‍म ले लेती है। ओव‍ेर‍ियन स‍िस्‍ट में आपके पेट में दर्द, वजाइना में सूजन, कमर के नीचे दर्द, अपच, थकान, कब्‍ज जैसी श‍िकायत हो सकती है। ओवेर‍ियन स‍िस्‍ट मोटापे, इंफेक्‍शन, अर्ली पीर‍ियड्स आद‍ि के कारण हो सकती है। कई ओव‍ेर‍ियन स‍िस्‍ट ओवेर‍ियन कैंसर का रूप ले लेती हैं इसलि‍ए इलाज और डायग्‍नोस‍िस जरूरी है। ओवेर‍ियन स‍िस्‍ट से बचने के लि‍ए आपको डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहि‍ए। वो आपको कांट्रासेप्‍ट‍िव‍ पिल्‍स दे सकते हैं ज‍िससे स‍िस्‍ट की ग्रोथ रुक जाएगी। सर्जरी की मदद से भी स‍िस्‍ट को हटाया जाता है। स‍िस्‍ट की पहचान करने के ल‍िए कोलोनोस्‍कोपी, एब्‍डोम‍िनल फल्‍यूइड एस्‍प‍िरेशन, ट्रांसव‍ेज‍िनल अल्‍ट्रासाउंड या बॉयोप्‍सी आद‍ि करवा सकते हैं। अल्‍ट्रासाउंड से भी स‍िस्‍ट का साइज, लोकेशन आद‍ि का पता लगाया जाता है। 

मह‍िलाओं में पाई जाने वाली ये सबसे कॉमन बीमारि‍यां हैं ज‍िनके लक्षण और इलाज का तरीका हमने आपको बताया, जरूरत लगने पर डॉक्‍टर से संपर्क करें। 

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