26 नवंबर 2008, कभी न भूल पाने वाले दिनों में से एक है। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में दुनिया के सबसे खतरनाक क्रूर आतंकवादी हमला हुआ था। जिसके लिए दुनिया भर के लोगों की याद में इस तारीख को उकेरा गया है। इस हमले में हमला करने वाली राइफलों, गोला-बारूद और हथगोले के साथ दस सशस्त्र आतंकवादियों ने शहर के कुछ भीड़-भाड़ वाले इलाकों पर हमला किया, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए।
यल दिल दहला देने वाला आंतकी हमला पूरे चार दिन तक चला था। इन चार दिनों के आतंक और ट्रॉमा ने पूरी दुनिया में दहशत मचाकर सबको हिला दिया और इस तारीख को मानव जाति के इतिहास में काले दिनों के रूप में चिह्नित किया गया। इस जानलेवा व घातक हमले के बाद लोगों को कई समस्याएँ हुईं। यह हमला केवल उन लोगों तक सीमित नहीं था जिन्होंने इस हमले का सामना किया, बल्कि जिन्होंने इस घटना को अलग-अलग ऑडियो और विज़ुअल मीडिया पर ट्रैक देखा और सुना, उनके भी इस हमले से दिल दहल उठे। 26/11 हमले और मुंबई आतंकी हमले जैसे हैशटैग के साथ ट्वीट इस दुर्भाग्यपूर्ण दिन की याद दिलाते हैं।
Eleven years have gone by since #2611attack. We respectfully remember the martyrs and pay tributes to them. The spirit, courage and sense of duty valiant citizens displayed on that day shall inspire us forever. #MumbaiTerrorAttack
— Nirmala Sitharaman (@nsitharaman) November 26, 2019
On the 11th anniversary of the Mumbai terror attacks, we remember everyone who lost their lives and mourn with their families. A grateful nation salutes the security personnel who made the supreme sacrifice. We remain firm in our resolve to defeat all forms of terrorism.
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 26, 2019
26/11 के बाद का ट्रामा
26/11 के हमले के बाद कई लोग ट्रामा में आ गये थे। क्योंकि इस हमले का असर न केवल उन लोगों पर देखा गया, जिन्होंने हमले को देखा और आघात से जुझे, बल्कि भारत की व्यापारिक राजधानी मुंबई की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्से पर भी इसका प्रभाव देखने को मिला।
यह आतंकी हमला लोगों में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट के कारण बना। 11 साल बीत जाने के बाद भी यह भयानक दृश्य अभी भी दुनिया भर में लोगों को परेशान करता है। इस घटना के बाद बचे लोग ट्रॉमा में चले गए। वहीं कुछ प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं का अभी भी सामना कर रहे हैं:
PTSD या पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर
सदमे और आतंक के 4 दिन की लंबी घटना के बाद, अधिकांश मुंबई वासियों को PTSD या पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर से जूझना पड़ा। मनोचिकित्सकों का कहना है कि बहुत से लोग यह भी नहीं जानते हैं कि उन्हें PTSD है। वे 26/11 के हमले के बाद पैदा हुए मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों का स्वयं में पता लगाने में असमर्थ हैं। यह एक ऐसी स्थिति है, जब व्यक्ति का सामान्य रूप से जीवन जीना मुश्किल हो जाता है और उसकी सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होती है।
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चिंता या पैनिक अटैक
26/11 के हमले के बाद लोगों की चिंता और पैनिक अटैक की समस्या बढ़ गई। पैनिक अटैक एक प्रकार का एंजाइटी डिसऑर्डर है। इसमें व्यक्ति को अचानक घबराहट के दौरे पड़ते हैं। इस आतंकी हमले के बाद पैनिक अटैक के मामले भी बढ़ गए। कुछ लोगों का अभी भी इलाज चल रहा है।
घटना के बार-बार फ्लैशबैक और बुरे सपने
26/11 के इस आतंकवादी हमले से बचे लोगों को घटना की याद और बार-बार फ्लैशबैक यानि झलक मिलती है। इतना ही नहीं, उनमें से कुछ को बार-बार बुरे सपने आते हैं जिससे उनका सोना मुश्किल हो जाता है।
नॉइस हाइपर सेंसिटीविटी
इस हमले के बाद भी लोगों के कानों में उस दौरान की गोलियों की आवाज, लोगों की चीख, पुलिस वैन के सायरन की आवाज थी। क्योंकि लोग नॉइस हाइपर सेंसिटीविटी के शिकार हो गए। तब से अभी तक बहुत से लोग इन स्वास्थ्य मुद्दों से उबर रहे हैं।
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दर्दनाक घटना के बाद ट्रॉमा से उभरने के टिप्स
1. किसी भी इस तरह दिल दहला देने वाली घटना से निकलने के लिए सबसे जरूरी बात है कि आप अपने करीबियों से बात करें। क्योंकि यदि आप अपनी भावनाओं को अंदर दबाए रखते हैं, तो यह खतरनाक है। इसलिए हमेशा जिनके आप करीब हैं और उनके साथ अपने दुख साझा करें और मन की बात कहें। जितना इंसान अपना दुख बांटता है, उसके लिए ट्रॉमा से बाहर आना आसान होता है।
2. ट्रॉमा अगर खतरनाक है, तो आप एक मनोचिकित्सक से परामर्श लें। किसी भी गंभीर मनोवैज्ञानिक स्थिति को रोकने के लिए, अपनी स्थिति को समझाते हुए मनोचिकित्सक से बात करना जरूरी है। ऐसे में आपको इस स्थिति से बाहर आने में मदद मिलेगी।
3. इसके अलावा, ट्रॉमा आपके मस्तिष्क और संज्ञानात्मक कार्यों को प्रमुख रूप से प्रभावित करता है। ऐसे में क्षति को कम करने के लिए, कुछ रचनात्मक और शांत उपचारों जैसे कि पेंटिंग, संगीत, क्राफ्टिंग, आदि में डूबना और व्यस्त होना आपके मन और शरीर में स्थिरता लाएंगे।
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